हरियाणा में 70 फीसदी तक पहुंचा आरक्षण, विशेष पिछड़ा वर्ग घोषित करने की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती


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हरियाणा में 70 फीसदी तक पहुंचा आरक्षण
•अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में विश्नोई, जाट, जाट सिख, रोर और त्यागी जाति को विशेष पिछड़ा वर्ग घोषित करने की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। भिवानी निवासी मुरारी लाल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर हरियाणा सरकार के 24 जनवरी 2013 और 27 सितंबर 2013 को रद्द करने का आग्रह किया गया है।
याचिका में दलील दी गई है कि इन दोनों अधिसूचनाओं से हरियाणा में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण दर 70 फीसदी पहुंच गई है। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद चीफ जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अरुण पल्ली पर आधारित खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब कर लिया। हाईकोर्ट ने मामले की आगामी सुनवाई 25 मार्च के लिए निर्धारित की है। हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने 24 जनवरी 2013 को पांच जातियों को विशेष जाति का दर्जा दिया है। इनमें विश्नोई, जाट, जाट, जाट सिख, रोर और त्यागी शामिल हैं। विशेष दर्जा मिलने के बाद इन जातियों को सरकारी नौकरियों, सरकारी उपक्रमाें, स्थानीय निकाय में दस फीसदी आरक्षण मिला गया है। तत्काल प्रभाव से लागू इस अधिसूचना के सीलिंग लिमिट 50 फीसदी बढ़ गई है। चूंकि, पिछड़ी जातियों के लिए पहले से ही 27 फीसदी आरक्षण है। बाद में सरकार ने सामान्य पदों के आर्थिक पिछड़ा वर्ग के लिए भी अधिसूचना जारी की, जिसके तहत उन्हें सभी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी का आरक्षण मिल गया है। इससे शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण दर 70 फीसदी पहुंच गई है।
याचिका में इसे असंवैधानिक करार दिया है। याचिकाकर्ता की दलील है कि यह फंडामेंटल राइट का सीधा उल्लंघन है।
•विशेष पिछड़ा वर्ग की अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती

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