प्रमोशन की डगर में ऐसी लक्ष्मण रेखा


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पदोन्नति की डगर पर खिंची लक्ष्मण रेखा 

1बरसों से पदोन्नति का सपना संजोए बैठे मास्टरों के लिए बुरी खबर है। सरकार ने उनके प्रमोशन की डगर में ऐसी लक्ष्मण रेखा खींच दी है कि इसे शायद ही कोई पार कर सके। एक तरफ सरकार ने लेक्चरार के पद के लिए केस मांग लिए हैं तो दूसरी ओर नए सर्विस रूल के नियमों को देखे तो उसे चुनिंदा ही शिक्षक पूरा कर पाएं। स्थिति यह बनी है कि गुरुजी अपना कद बढ़वाने के लिए आवेदन भी करते तो उनकी पदोन्नति संभव नहीं है। जैसे ही सूचना शिक्षकों तक पहुंचेगी तो पूरे शिक्षा जगत में हड़कंप मचना भी तय है। 1हाल ही में शिक्षा विभाग ने करीब 14 हजार लेक्चरार नियुक्त किए, जबकि सात हजार पद स्वीकृत हो चुके हैं। नियमानुसार इन पदों के मुकाबले 33 प्रतिशत सीएंडवी व मास्टर वर्ग को पदोन्नत कर लेक्चरार बनाया जाना है। लेकिन शिक्षा विभाग के वर्ष 2012 नए सर्विस रूल पर नजर डालें तो इनकी पदोन्नति होना असंभव सा है। चुनिंदा शिक्षक ही नए सर्विस रूल पर को पूरा कर पाएंगे। नए नियमों के अनुसार पदोन्नति के लिए मास्टर का बीएड होना जरूरी है। एचटेट पास होना अनिवार्य है। यदि किसी शिक्षक ने गणित में सेवाएं दी हैं और उसने सेवाकाल के दौरान एमएम अंग्रेजी 50 प्रतिशत से अधिक अंक से की है तो उसे मान्य नहीं करार दिया जाएगा। यह तीनों नियम शिक्षकों के गले की फांस बन चुके हैं। क्योंकि दस साल या इससे पहले अध्यापन में आए सीएंडवी शिक्षकों के लिए बीएड की योग्यता रखना जरूरी नहीं था। जबकि उस समय एचटेट की परीक्षा का प्रावधान भी शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य नहीं था। इस वजह से वह पदोन्नति के लिए केस भेज सकते हैं, लेकिन नियम पर खरा नहीं उतर सकते। इसके साथ ही एसएस मास्टर, साइंस मास्टर व गणित मास्टर के लिए बीएड की योग्यता रखना अनिवार्य था। वह बीएड हैं, लेकिन उन्होंने एचटेट की परीक्षा पास नहीं की हुई। ऐसे में वह भी पदोन्नति के नियमों पर खरे नहीं उतरते। पदोन्नति के लिए मांगे गए केस का कोई औचित्य हीं नहीं रह जाता। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के पूर्व प्रदेश सचिव कृष्ण कुमार निर्माण का कहना है कि सरकार पदोन्नति नहीं देना चाहती है। इस तरह के कठोर नियम बनाए गए हैं। सरकार ने इन नियमों को लचीला नहीं बनाया तो आंदोलन की राह पकड़ ली जाएगी। 1बिना बीएड बने प्राध्यापकों की नौकरी खतरे में : हाल ही में नियुक्त किए गए करीब 14 हजार प्राध्यापकों में से उन शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है, जिन्होंने बीएड नहीं की हुई है। सरकार ने नियम लागू किया है कि प्राध्यापकों का बीएड होना जरूरी है। यह मामला शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल तक पहुंचा तो तय किया कि प्राध्यापक वर्ष 2015 तक बीएड पास कर लें।

4 comments:

  1. Jisne is khabar ko likha hai,usko pure rule ka gyan nahi hai,promotion case me HTET pass karne ki koi sarat nahi hai

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  2. Promotion me HTET ki condition hati hui h. Par same subject cadre ki condition nahi hati.Agar koi sanskrit tr. MA Hindi ,and B ed h to vo Hindi lct. ki promotion nahi le sakta kyoki uske pas sanskrit ka experience h. Dusri taraf sarkar usse hindi and sanskrit padva rahi h.

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    1. IRONY OF PROMOTION OF HARYANA GOVT

      These promotion rules are completely wrong. A maths teacher with non-medical can not
      become the lect of Physics or chemistry though he is Msc. In Physics or chemistry because he
      is having the teaching experience of Maths. So as a teacher of Sanskrit with can not take the
      promotion of Hindi Lect. if he is MA in Hindi wih Bed. Because he is having the teaching
      experience of Sanskrit.But in Middle Schools he is teaching Hindi as well Sanskrit. Actually the
      rule should be changed . Promotion subjects should be of Graduation Subjects.

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  3. ye subject ki condition hatwa do bhai.............
    teacher union kya kar rahi hai

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