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अब प्राइवेट स्कूल अपनी मनमर्जी से फीस में बढ़ोतरी नहीं कर पाएंगे। शिक्षा विभाग ने मनमर्जी तरीके से फीस बढ़ोत्तरी करने के फैसले पर लगाम लगाने का मन बना लिया है। नए सत्र में प्राइवेट स्कूल संचालक फीस में बढ़ोत्तरी करते हैं तो सबसे पहले इसकी जानकारी शिक्षा विभाग को देनी होगी। यहीं नहीं इसे स्कूल के नोटिस बोर्ड पर डिस्पले भी करना होगा। प्राइवेट स्कूलों का नया सत्र एक मार्च से शुरू हो चुका है।
देखने वाली बात यह होगी की कितने स्कूल इस नियम का पालन करेंगे।
अमूमन प्राइवेट स्कूल संचालक हर वर्ष फीस में बढ़ोतरी करते हैं। इससे अभिभावकों की जेब पर असर पड़ता है। अब स्कूल संचालक फीस बढ़ोतरी का कारण बताना होगा। इसमें स्कूल में क्या सुविधा दी जा रही है। जिससे फीस में बढ़ोतरी हुई है। अगर कोई स्कूल संचालक फीस बढ़ाता है। इसके लिए जनवरी माह में फार्म भरते हुए शिक्षा विभाग के पास आवेदन करना होता है। इसमें फीस बढऩे का कारण स्पष्ट करना होगा। विभाग के अधिकारियों को लगता है कि फीस जायज बढ़ाई जा रही है तो अनुमति दे दी जाती है। स्कूल संचालकों को ली गई फीस की रसीद विद्यार्थी को देना जरूरी है। इसके लिए खंड स्तर पर शिकायत खंड शिक्षा अधिकारी व खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी को लिखित में करनी होगी।
शिक्षा विभाग ने तो अपनी तरफ से लगाम लगाने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाहता। यह तभी संभव हो पाएगा जब अभिभावक जागरूक होंगे। नए सत्र के दौरान अगर स्कूल संचालक उनसे ज्यादा फीस मांगते हैं तो अभिभावकों को चाहिए कि इसकी शिकायत शिक्षा विभाग अधिकारियों से करे ताकि उन स्कूलों पर कार्रवाई हो सके व दूसरे स्कूल भी इस तरह की गलती करने से बचे।
३.५ लाख विद्यार्थी ले रहे हैं शिक्षा
इस समय भिवानी में प्राइवेट स्कूलों की संख्या की बात करे तो लगभग 950 है। इन स्कूलों में साढ़े तीन लाख विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे है। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रधान राम अवतार शर्मा ने बताया कि बहुत कम स्कूल फीस में वृद्धि करते हैं। जो स्कूल वृद्धि कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि वे शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करे ताकि विद्यार्थियों को व स्कूल को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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