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Notice to 350 constables recruited in Choutala Govt
चौटाला सरकार में भर्ती 350 कांस्टेबल को नोटिस
ललित कुमार त्न चंडीगढ़
वर्ष 2004 में प्रदेश में चौटाला सरकार के दौरान गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) और हरियाणा आम्र्ड पुलिस (एचएपी) में हुई 350 कांस्टेबलों की भर्ती पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि क्यों न इस भर्ती को खारिज कर दिया जाए। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने सोमवार को भर्ती किए गए सभी कांस्टेबलों को भी नोटिस जारी करते उनसे जवाब मांगा है। बेंच ने कहा कि जब 13 साल से नौकरी कर रहे जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति खारिज की जा सकती है तो फिर इन कांस्टेबलों की भर्ती खारिज क्यों नहीं की जा सकती? खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में कानून के मुताबिक जो भी जरूरी कार्रवाई हो, वह की जाए।
इससे पहले, हरियाणा सरकार की तरफ से अदालत में जवाब दायर कर कहा गया कि इन कांस्टेबलों को भर्ती हुए 10 साल से अधिक हो चुके हैं और इनकी ट्रेनिंग वगैरह पर लाखों रुपये खर्च हुए हैं। इस भर्ती से जुड़ा रिकॉर्ड भी सलेक्शन बोर्ड नष्ट कर चुका है, ऐसे में यह जानना मुश्किल होगा कि मेरिट पर किन उम्मीदवारों की भर्ती हुई? सरकार ने कहा कि मौजूदा हालात में इन कांस्टेबलों को नौकरी से निकालना संभव नहीं है।
२००४ में की गई थी जीआरपी और एचएपी में भर्ती
सीबीआई ने जांच में कही थी अनियमितताएं मिलने की बात
सरकार बोली- भर्ती 10 साल पुरानी, ट्रेनिंग पर लाखों खर्च, ऐसे में संभव नहीं है निकालना
सरकार पर लग चुका है 10 हजार रुपए जुर्माना
हाईकोर्ट के आदेश पर नहीं की कार्रवाई
8 जून 2003 को तत्कालीन चौटाला सरकार ने जीआरपी और एचएपी में कांस्टेबलों के 350 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे। 12 दिसंबर 2003 को इंटरव्यू के बाद 9 जुलाई 2004 को अभ्यार्थियों को चयन के लिए बुलावा भेजा गया। बाद में 29 जुलाई 2004 को रेवाड़ी के शैलेंद्र को यह कहते हुए ज्वाइन कराने से इनकार कर दिया गया कि उसका नाम अभी वेटिंग लिस्ट में है। इस पर शैलेंद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने भर्ती की जांच सीबीआई को सौंप दी जिसने अपनी जांच में अनियमितताएं बरते जाने का खुलासा किया। 10 जनवरी 2008 को हाईकोर्ट ने अपने फैसले मे कहा था कि सीबीआई की रिपोर्ट पर प्रदेश सरकार कानून के मुताबिक कार्रवाई करे। हाईकोर्ट की ओर से कहा गया कि इस दौरान यदि सरकार चयनित उम्मीदवारों को नौकरी में रखना चाहे तो शैलेंद्र जैसे अन्य सभी याचियों को अधिकार है कि वे नौकरी पाने के लिए अपना दावा रखें। इस मामले में जब सरकार ने कोई काम नहीं किया तो हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए इसे अदालत की अवमानना बताया और मुख्य सचिव से जवाब तलब कर लिया।
भर्ती की जांच के दौरान सीबीआई ने अनियमितताएं मिलने की बात कही थी, इसके बावजूद सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दायर करने के लिए वक्त मांगा। इसी मामले में मुख्य सचिव ने कहा था कि सरकार इन कांस्टेबलों को नौकरी में बनाए रखना चाहती है। इसके अलावा यह केस पंचकूला सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन है, वहां से फैसला आने पर ही आगे कार्रवाई की जाएगी। इस जवाब पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट ने सरकार पर 10,000 रुपये जुर्माना लगा दिया था।
एचएपी में आवेदन, जीआरपी में भर्ती
अनुसूचित जाति (एससी) बी कैटेगरी से एचएपी में आवेदन करने वाले गुणपाल की नियुक्ति की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने उसकी भर्ती खारिज करने की सिफारिश की है। एसआईटी की ओर से कहा गया कि गुणपाल ने एचएपी में आवेदन किया जबकि मेरिट सूची में उसका नाम जीआरपी के लिए पहले स्थान पर दर्शाया गया।
पूछा- जब १३ साल से नौकरी कर रहे जेबीटी शिक्षक हटाए जा सकते हैं तो ये भर्ती खारिज क्यों नहीं की जा सकती
वर्ष 2004 में प्रदेश में चौटाला सरकार के दौरान गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) और हरियाणा आम्र्ड पुलिस (एचएपी) में हुई 350 कांस्टेबलों की भर्ती पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि क्यों न इस भर्ती को खारिज कर दिया जाए। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल व जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने सोमवार को भर्ती किए गए सभी कांस्टेबलों को भी नोटिस जारी करते उनसे जवाब मांगा है। बेंच ने कहा कि जब 13 साल से नौकरी कर रहे जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति खारिज की जा सकती है तो फिर इन कांस्टेबलों की भर्ती खारिज क्यों नहीं की जा सकती? खंडपीठ ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस मामले में कानून के मुताबिक जो भी जरूरी कार्रवाई हो, वह की जाए।
इससे पहले, हरियाणा सरकार की तरफ से अदालत में जवाब दायर कर कहा गया कि इन कांस्टेबलों को भर्ती हुए 10 साल से अधिक हो चुके हैं और इनकी ट्रेनिंग वगैरह पर लाखों रुपये खर्च हुए हैं। इस भर्ती से जुड़ा रिकॉर्ड भी सलेक्शन बोर्ड नष्ट कर चुका है, ऐसे में यह जानना मुश्किल होगा कि मेरिट पर किन उम्मीदवारों की भर्ती हुई? सरकार ने कहा कि मौजूदा हालात में इन कांस्टेबलों को नौकरी से निकालना संभव नहीं है।
२००४ में की गई थी जीआरपी और एचएपी में भर्ती
सीबीआई ने जांच में कही थी अनियमितताएं मिलने की बात
सरकार बोली- भर्ती 10 साल पुरानी, ट्रेनिंग पर लाखों खर्च, ऐसे में संभव नहीं है निकालना
सरकार पर लग चुका है 10 हजार रुपए जुर्माना
हाईकोर्ट के आदेश पर नहीं की कार्रवाई
8 जून 2003 को तत्कालीन चौटाला सरकार ने जीआरपी और एचएपी में कांस्टेबलों के 350 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे। 12 दिसंबर 2003 को इंटरव्यू के बाद 9 जुलाई 2004 को अभ्यार्थियों को चयन के लिए बुलावा भेजा गया। बाद में 29 जुलाई 2004 को रेवाड़ी के शैलेंद्र को यह कहते हुए ज्वाइन कराने से इनकार कर दिया गया कि उसका नाम अभी वेटिंग लिस्ट में है। इस पर शैलेंद्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने भर्ती की जांच सीबीआई को सौंप दी जिसने अपनी जांच में अनियमितताएं बरते जाने का खुलासा किया। 10 जनवरी 2008 को हाईकोर्ट ने अपने फैसले मे कहा था कि सीबीआई की रिपोर्ट पर प्रदेश सरकार कानून के मुताबिक कार्रवाई करे। हाईकोर्ट की ओर से कहा गया कि इस दौरान यदि सरकार चयनित उम्मीदवारों को नौकरी में रखना चाहे तो शैलेंद्र जैसे अन्य सभी याचियों को अधिकार है कि वे नौकरी पाने के लिए अपना दावा रखें। इस मामले में जब सरकार ने कोई काम नहीं किया तो हाईकोर्ट ने स्वयं संज्ञान लेते हुए इसे अदालत की अवमानना बताया और मुख्य सचिव से जवाब तलब कर लिया।
भर्ती की जांच के दौरान सीबीआई ने अनियमितताएं मिलने की बात कही थी, इसके बावजूद सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दायर करने के लिए वक्त मांगा। इसी मामले में मुख्य सचिव ने कहा था कि सरकार इन कांस्टेबलों को नौकरी में बनाए रखना चाहती है। इसके अलावा यह केस पंचकूला सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन है, वहां से फैसला आने पर ही आगे कार्रवाई की जाएगी। इस जवाब पर असंतोष जताते हुए हाईकोर्ट ने सरकार पर 10,000 रुपये जुर्माना लगा दिया था।
एचएपी में आवेदन, जीआरपी में भर्ती
अनुसूचित जाति (एससी) बी कैटेगरी से एचएपी में आवेदन करने वाले गुणपाल की नियुक्ति की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने उसकी भर्ती खारिज करने की सिफारिश की है। एसआईटी की ओर से कहा गया कि गुणपाल ने एचएपी में आवेदन किया जबकि मेरिट सूची में उसका नाम जीआरपी के लिए पहले स्थान पर दर्शाया गया।
पूछा- जब १३ साल से नौकरी कर रहे जेबीटी शिक्षक हटाए जा सकते हैं तो ये भर्ती खारिज क्यों नहीं की जा सकती
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