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एक बड़ा ही रोचक मामला बताता हूँ। एक रेगुलर जेबीटी शिक्षक साथी है। उसने एम.ए फिजिक्स की हुई थी। स्कूल में फिजिक्स का लेक्चरर नहीं था तो प्रिंसिपल साहब ने आदेश पुस्तिका में ये आदेश निकाल दिया कि वो एम.ए फिजिक्स पास जेबीटी शिक्षक 11वीं व 12वीं क्लास पढ़ायेगा। जेबीटी शिक्षक साथी ने आदेश की पालना की और 5 साल तक 11वीं व 12वीं क्लास को फिजिक्स पढ़ाई और हर साल उसका रिजल्ट 100 % आता था। उसने अपना 5 साल तक 11वीं व 12वीं क्लास को पढ़ाने का अनुभव प्रमाण पत्र बनवा लिया और पीजीटी फिजिक्स की भर्ती में अप्लाई कर दिया लेकिन बोर्ड ने उसका इंटरव्यू रिजेक्ट कर दिया, ये कह के कि, "तुम तो जेबीटी पोस्ट पर लगे हुए हो"। उसने कहा कि, "फिर क्या हो गया, मैं पढ़ा तो 5 साल से 11वीं व 12वीं क्लास को रहा हूँ और अनुभव प्रमाण पत्र भी बनाया हुआ है।" बोर्ड नहीं माना तो मामला हाईकोर्ट में गया। सरकार भी कोर्ट में अड़ गयी कि, "ये तो जेबीटी पोस्ट पर नियुक्त है।" जज साहब ने कहा कि, "फिर क्या हो गया, पढ़ा तो ये 5 साल से 11वीं व 12वीं क्लास को रहा है। मतलब ये तो अपनी जगह सही ही है। फिर विभाग ने इसका अनुभव प्रमाण पत्र भी बनाया हुआ है।" जबरदस्त बहस के बाद केस का फैसला जेबीटी शिक्षक के हक में सुनाया गया। तो यूँ लगी सीधी जेबीटी से पीजीटी की छलाँग। इस मामले की सुनवाई में कुछ ऐसी बाते भी हुई कि आदमी हँसते-हँसते लोट-पोट हो जाए लेकिन वो वाल पर लिख नहीं सकता।
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