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कंप्यूटर शिक्षा के नाम पर घोटाला
चंडीगढ़, 24 अप्रैल (ट्रिन्यू)
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा देने के नाम पर शुरू की गई योजना में करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है। कंप्यूटर की पढ़ाई प्राइवेट हाथों में देने के चलते इस योजना को पलीता लग गया है। निजी कंपनियां जहां शिक्षकों के वेतन में देरी कर रही हैं वहीं अब उनके वेतन से सिक्योरिटी के नाम पर पैसा काटना शुरू कर दिया है। प्रदेश की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं।
इससे पूर्व कंप्यूटर शिक्षा की पूरी योजना की जांच के लिए शिक्षा विभाग की डिप्टी डायरेक्टर की अध्यक्षता में बनाई गई जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। बताते हैं कि जांच रिपोर्ट का अध्ययन हो रहा है। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कंप्यूटर शिक्षा का ठेका लेने वाली कंपनियों के साथ-साथ कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भी इस मामले में गाज़ गिर सकती है। उल्लेखनीय है कि यह मामला हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में भी गूंजा था।
वहीं पूर्व में की गई जांच रिपोर्ट के बारे में मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में की गई सिफारिशों के आधार पर कंपनियों के साथ-साथ लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ भी एक्शन होगा।
छठी से 12वीं तक किया था अनिवार्य
उल्लेखनीय है कि हुड्डा सरकार ने केंद्र की योजना के तहत प्रदेश के 3117 स्कूलों में छठी से बारहवीं कक्षा तक कंप्यूटर शिक्षा को अनिवार्य किया था। इसके लिए तीन कंपनियों को प्रदेशभर के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा का ठेका दिया गया। रामा न्यूज होरिजन कंपनी को गुडग़ांव व अंबाला मंडल, ट्रांसलाइन टेक्नो लिमिटेड को हिसार मंडल तथा भूपेंद्र सोसायटी को रोहतक डिवीजन के स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा का ठेका दिया गया।
भाजपा विधायक दल के नेता अनिल विज का आरोप है कि ये कंपनियां सरकार का 7 करोड़ रुपये से अधिक पैसा डकार गई हैं। उल्लेखनीय है कि कंप्यूटर शिक्षकों ने कई दिनों तक पंचकूला में अनशन भी किया। विज ने तो इस पूरे मामले की सीबीआई जांच करवाने की मांग भी की है। प्रदेश की शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि 19 अगस्त, 2013 को इन कंपनियों के साथ सरकार का करार हुआ था। इस करार के तहत कंप्यूटर शिक्षकों को 12 हजार रुपये वेतन देना तय हुआ था।
अपनी शर्तों पर की नियुक्ति
इन कंपनियों ने कंप्यूटर शिक्षकों को नियुक्त भी अपनी ही शर्तों के साथ किया था। शर्त के तहत कंप्यूटर शिक्षकों से पहले ही कई-कई हजार रुपये की सिक्योरिटी राशि ली गई थी। सिक्योरिटी राशि लेने के पीछे यह तर्क दिया गया था कि यह राशि जमा होने के बाद शिक्षक बीच में काम छोड़कर नहीं जाएंगे। यह मामला संज्ञान में आने के बाद सरकार ने जांच के आदेश दिए थे। अब जांच रिपोर्ट आ चुकी है। इसी बीच इन कंपनियों ने शिक्षकों के वेतन से सिक्योरिटी की राशि फिर से काटनी शुरू कर दी। इस पर शिक्षकों ने आपत्ति जताई और शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल से भी इस मामले में शिकायत की। शिक्षा मंत्री ने इस मामले में नोटिस लेते हुए इसकी जांच के आदेश दिए हैं
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