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प्रदेश के दो विश्वविद्यालयों महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू), रोहतक और कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी (केयू) में चार वर्षीय बीएड कोर्स शुरू होगा। इस कोर्स में 12वीं के बाद ही दाखिला मिलेगा। इससे युवाओं की शिक्षक बनने
का रास्ता और आसान होगा। राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अनुसार आट्र्स और साइंस
दोनों स्ट्रीम के छात्रों को बराबर लाभ होगा। एनसीटीई ने
बीए-बीएड और बीएससी-बीएड के नाम से यह इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू
करेगा। एमडीयू और केयू में भी कोर्स संचालन की तैयारियों शुरू
हो चुकी हैं। हालांकि, दोनों ही पाठ्यक्रम अगले सत्र
यानी 2015-16 से शुरू किए जाएंगे।
तैयारियां जारी हैं, अच्छा निर्णय है
"योजना सराहनीय है। जब छात्र 12वीं के बाद सीधे इंटीग्रेटेड
बीएड कोर्स में एडमिशन लेगा, तो उसका लक्ष्य टीचिंग में कॅरिअर
बनाना ही रहेगा। अभी अधिकतर लोग और विषयों या क्षेत्रों में
कामयाब नहीं होने पर टीचर्स ट्रेनिंग कर शिक्षण को विकल्प
मानते हैं। नई व्यवस्था से शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा।" --रेणु
गुप्ता, प्रिंसिपल, हिंदू शिक्षण महाविद्यालय, सोनीपत
विद्यार्थियों को होगा फायदा
"सामान्य बीएड और एमएड कोर्स भी दो वर्ष का होगा। ये देशभर
के शैक्षणिक संस्थानों में शुरू किया जाएगा। चार वर्षीय बीए-
बीएड और बीएससी-बीएड कोर्स शुरू करने का निर्णय शिक्षा के
स्तर को सुधारने के मकसद से लिया गया है।" --प्रो. संतोष पांडा,
चेयरमैन, एनसीटीई
बीएड-एमए का सामान्य कोर्स अब होगा दो साल का
बीएड और एमएड सामान्य यानी एक वर्षीय कोर्स अगले सत्र से बंद
करने की भी तैयारी है। ये दोनों कोर्स अब दो वर्ष के होंगे।
दोनों कोर्स में प्रवेश के लिए पात्रता पुरानी ही रहेगी।
ऐसा नेशनल कॅरिकुलम फ्रेमवर्क ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीएफटीई) ने
बीएड और एमएड कोर्स में बदलाव करने की अनुशंसा के बाद
किया जा रहा है। एनसीएमफटीई ने इंजीनियरिंग और मेडिकल
की तरह ही टीचिंग क्षेत्र में भी स्पेशलाइजेशन के लिए काम करने
का सुझाव दिया था। उल्लेखनीय है कि युवाओं में बीएड को लेकर
जबरदस्त उत्साह है। अकेले सोनीपत में बीएड के दर्जनभर कॉलेजों में
पांच हजार से अधिक छात्र हैं। बीते वर्ष प्रदेशभर में बीएड की 50
हजार से अधिक सीटें थी।
का रास्ता और आसान होगा। राष्ट्रीय अध्यापक
शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अनुसार आट्र्स और साइंस
दोनों स्ट्रीम के छात्रों को बराबर लाभ होगा। एनसीटीई ने
बीए-बीएड और बीएससी-बीएड के नाम से यह इंटीग्रेटेड कोर्स शुरू
करेगा। एमडीयू और केयू में भी कोर्स संचालन की तैयारियों शुरू
हो चुकी हैं। हालांकि, दोनों ही पाठ्यक्रम अगले सत्र
यानी 2015-16 से शुरू किए जाएंगे।
तैयारियां जारी हैं, अच्छा निर्णय है
"योजना सराहनीय है। जब छात्र 12वीं के बाद सीधे इंटीग्रेटेड
बीएड कोर्स में एडमिशन लेगा, तो उसका लक्ष्य टीचिंग में कॅरिअर
बनाना ही रहेगा। अभी अधिकतर लोग और विषयों या क्षेत्रों में
कामयाब नहीं होने पर टीचर्स ट्रेनिंग कर शिक्षण को विकल्प
मानते हैं। नई व्यवस्था से शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा।" --रेणु
गुप्ता, प्रिंसिपल, हिंदू शिक्षण महाविद्यालय, सोनीपत
विद्यार्थियों को होगा फायदा
"सामान्य बीएड और एमएड कोर्स भी दो वर्ष का होगा। ये देशभर
के शैक्षणिक संस्थानों में शुरू किया जाएगा। चार वर्षीय बीए-
बीएड और बीएससी-बीएड कोर्स शुरू करने का निर्णय शिक्षा के
स्तर को सुधारने के मकसद से लिया गया है।" --प्रो. संतोष पांडा,
चेयरमैन, एनसीटीई
बीएड-एमए का सामान्य कोर्स अब होगा दो साल का
बीएड और एमएड सामान्य यानी एक वर्षीय कोर्स अगले सत्र से बंद
करने की भी तैयारी है। ये दोनों कोर्स अब दो वर्ष के होंगे।
दोनों कोर्स में प्रवेश के लिए पात्रता पुरानी ही रहेगी।
ऐसा नेशनल कॅरिकुलम फ्रेमवर्क ऑफ टीचर एजुकेशन (एनसीएफटीई) ने
बीएड और एमएड कोर्स में बदलाव करने की अनुशंसा के बाद
किया जा रहा है। एनसीएमफटीई ने इंजीनियरिंग और मेडिकल
की तरह ही टीचिंग क्षेत्र में भी स्पेशलाइजेशन के लिए काम करने
का सुझाव दिया था। उल्लेखनीय है कि युवाओं में बीएड को लेकर
जबरदस्त उत्साह है। अकेले सोनीपत में बीएड के दर्जनभर कॉलेजों में
पांच हजार से अधिक छात्र हैं। बीते वर्ष प्रदेशभर में बीएड की 50
हजार से अधिक सीटें थी।
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