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70 फीसद गरीब बच्चे नहीं दे पाए मूल्यांकन परीक्षा
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिला के लिए नियम 134 ए के तहत हुए लर्निग लेवल असेसमेंट टेस्ट में अव्यवस्था हावी रही है। दाखिला के लिए आवेदन करने वालों में से तीस प्रतिशत बच्चे ही मूल्यांकन परीक्षा में शामिल में हो पाए, जबकि 70 फीसद गरीब बच्चे टेस्ट देने से वंचित रह गए। अधिकांश बच्चों के टेस्ट देने के लिए न पहुंचने के पीछे सबसे बड़ा कारण शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली को माना जा रहा है।1 अभिभावकों में जहां निजी स्कूलों के दाखिला न देने की भ्रांति भी फैली हुई है, वहीं अनेक गरीब बच्चों को परीक्षा के लिए शिक्षा विभाग द्वारा भेजा गया एसएमएस भी नहीं पहुंचा था। शिक्षा विभाग ने तीसरी से दसवीं व 12वीं कक्षा में प्रवेश के लिए मूल्यांकन परीक्षा कराने का जिम्मा हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड को सौंपा था। लेकिन बोर्ड सुगमता से परीक्षा संपन्न कराने में लगभग असफल रहा है। एक तो परीक्षा पत्र का पैटर्न केवल हिंदी रखा हुआ था, जिससे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ रहे अनेक गरीब बच्चों को प्रश्न समझने में दिक्कत हुई। इसके अलावा परीक्षा केंद्रों पर बच्चों से रोल नंबर मांगने के कारण भी अफरातफरी का माहौल रहा। शिक्षा विभाग व शिक्षा बोर्ड के प्रति गरीब बच्चों के अभिभावकों में काफी रोष भी देखा गया। कुल 29634 बच्चों ने तीसरी से 10वीं व 12वीं कक्षा में दाखिला के लिए आवेदन किया हुआ है। इसमें से 30 प्रतिशत बच्चों के ही टेस्ट में शामिल होने से अब वंचित रह गए बच्चों के लिए दोबारा टेस्ट कराने की भी मांग उठने लगी है। सत्यवीर हुड्डा ने बताया कि गरीब बच्चों द्वारा दाखिला फार्म में भरे गए पसंदीदा स्कूलों के विकल्प को कंप्यूटर में आगे-पीछे दर्शाया गया है। उन्होंने मांग की है कि बच्चों ने जैसे विकल्प भरे थे, उन्हें स्कूलों का आवंटन उसी तर्ज पर होना चाहिए।
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