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हरियाणा के दस हजार शिक्षक पसोपेश में हैं। क्योंकि, ड्यूटी समय के दौरान इनकी गैर शिक्षा कार्य के लिए सेवा ली जा रही है। ये शिक्षा अपनी सेवा बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के रूप में दे रहे हैं। प्रदेश में कुल 15 हजार बीएलओ की जरूरत है। इनमें से दो तिहाई यानी 10 हजार पदों पर शिक्षकों से सेवा ली जा रही है।
अव्वल यह कि शिक्षा विभाग और चुनाव आयोग के आला अधिकारी चिट्ठी लिख कर शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से तुरंत हटाने की बात तो कह रहे हैं, लेकिन उन्हें इससे कोई वास्ता नहीं है कि शिक्षकों को बीएलओ के कार्य से मुक्त किया गया अथवा नहीं। उल्लेखनीय है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा कानून-2009 के तहत शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने छह दिसंबर 2007 को एक मामले की सुनवाई में व्यवस्था दी थी कि शैक्षणिक अवधि में अध्यापकों से बीएलओ की ड्यूटी नहीं करवाई जा सकती। इसी आधार पर केंद्र सरकार ने 13 सितंबर 2010 को आदेश जारी कर कहा कि शिक्षकों से स्कूल के समय में बीएलओ की ड्यूटी नहीं ली जा सकती। फिर प्रदेश के तत्कालीन मौलिक शिक्षा निदेशक एक अक्टूबर 2010 को जारी पत्र में कहा कि स्कूल के समय में शिक्षकों से बीएलओ की ड्यूटी को सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना माना जाएगा। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इसकी काट मौखिक आदेश के रूप में निकाल लिया है। क्योंकि, लिखित आदेश देने पर अधिकारियों के खिलाफ अवमानना का मामला बन सकता है।
ऐसे में अगर शिक्षक मौखिक आदेश का पालन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात कही जाती है। ड्यूटी करने पर ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना के दायरे में आते हैं।
महानिदेशक का आदेश भी ठेंगे पर त्न राज्य के मौलिक शिक्षा महानिदेशक ने बीते साल 13 सितंबर को सभी डीसी और शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि आठवीं तक के शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से तुरंत प्रभाव से हटाएं। उनकी जगह साक्षरता कार्यक्रम में लगे प्रेरकों की सेवा बीएलओ के रूप में लेने की बात हुई। लेकिन, अब तक इस पर अमल नहीं हुआ।
हमने एक भी शिक्षक को बीएलओ की ड्यूटी नहीं दी है। बीएलओ को ड्यूटी पर डीसी लगाते हैं। हम उन्हें कैसे रोक सकते हैं?
-सुरीना राजन, प्रिंसिपल सेक्रेटरी, एजुकेशन
प्रदेश में शिक्षक बीएलओ के रूप में काम कर रहे हैं। जून में समीक्षा बैठक होगी। तब हम तय करेंगे कि इनकी जगह किस से काम लिया जाए। -श्रीकांत वाल्गद, मुख्य चुनाव अधिकारी
ऐसे है सुप्रीम कोर्ट की अवमानना
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