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जाट आरक्षण : सरकार ने जवाब देने को मांगा समय
जागरण संवाददाता, चंडीगढ : प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के बिश्नोई, जाट, जाट सिख, रोर और त्यागी इन पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल किये जाने के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर याचिका पर अपना जवाब दायर करने के लिए हरियाणा सरकार ने कुछ समय मांगा है। वहीं याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कॉल एवं जस्टिस अरुण पल्ली पर आधारित खंडपीठ से सरकार द्वारा इन जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में सहमिल किए जाने की नोटिफिकेशन पर रोक लगाए जाने की मांग की।1 याचिकाकर्ताओं का कहना था की यह आरक्षण शिक्षण संस्थानों में दाखिले में भी लागू किया है । इस आधार पर कई लोग दाखिला भी ले लेंगे लिहाजा जब तक हाई कोर्ट इस याचिका पर कोई फैसला नहीं करता तब तक इस नोटिफिकेशन पर रोक लगायी जानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं की रोक लगये जाने की इस मांग को मानने से खंडपीठ ने इंकार कर दिया और साथ ही हरियाणा सरकार को 3 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई पर अपना जवाब दायर करने के आदेश दे दिए हैं। बता दें पंचकूला के नीरज अ}ि सहित 4 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा सरकार द्वारा इन 5 वगोर्ं को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल किये जाने को असंवैधानिक बताते हुए सरकार द्वारा गत वर्ष 27 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन को रद्द किये जाने की मांग की है। याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1999 में एक मामले में आदेश देते हुए कहा था की ऐसी किसी जाति को आरक्षण नहीं दिया जा सकता जो पहले से ही नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रयाप्त संख्या में हों।1 एचसीएस ग्रेडेशन की जनवरी 2013 की सूची के अनुसार 186 एचसीएस अधिकारीयों में से 85 अधिकारी जाट समुदाय से हैं। इन्हे आरक्षण देना गलत है। वहीँ इससे पहले सेवा समिति भिवानी के सचिव मुरारी लाल गुप्ता सहित तीन लोगों की ओर से दायर जनहित याचिका में सरकार के इस फैसले और इस विषय पर जारी नोटिफिकेशन को रद्द किये जाने की मांग की गई है। 1जागरण संवाददाता, चंडीगढ : प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के बिश्नोई, जाट, जाट सिख, रोर और त्यागी इन पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल किये जाने के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर याचिका पर अपना जवाब दायर करने के लिए हरियाणा सरकार ने कुछ समय मांगा है। वहीं याचिकाकर्ता ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कॉल एवं जस्टिस अरुण पल्ली पर आधारित खंडपीठ से सरकार द्वारा इन जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में सहमिल किए जाने की नोटिफिकेशन पर रोक लगाए जाने की मांग की।1 याचिकाकर्ताओं का कहना था की यह आरक्षण शिक्षण संस्थानों में दाखिले में भी लागू किया है । इस आधार पर कई लोग दाखिला भी ले लेंगे लिहाजा जब तक हाई कोर्ट इस याचिका पर कोई फैसला नहीं करता तब तक इस नोटिफिकेशन पर रोक लगायी जानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं की रोक लगये जाने की इस मांग को मानने से खंडपीठ ने इंकार कर दिया और साथ ही हरियाणा सरकार को 3 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई पर अपना जवाब दायर करने के आदेश दे दिए हैं। बता दें पंचकूला के नीरज अ}ि सहित 4 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर हरियाणा सरकार द्वारा इन 5 वगोर्ं को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल किये जाने को असंवैधानिक बताते हुए सरकार द्वारा गत वर्ष 27 सितंबर को जारी नोटिफिकेशन को रद्द किये जाने की मांग की है। याचिका के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1999 में एक मामले में आदेश देते हुए कहा था की ऐसी किसी जाति को आरक्षण नहीं दिया जा सकता जो पहले से ही नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रयाप्त संख्या में हों।1 एचसीएस ग्रेडेशन की जनवरी 2013 की सूची के अनुसार 186 एचसीएस अधिकारीयों में से 85 अधिकारी जाट समुदाय से हैं। इन्हे आरक्षण देना गलत है। वहीँ इससे पहले सेवा समिति भिवानी के सचिव मुरारी लाल गुप्ता सहित तीन लोगों की ओर से दायर जनहित याचिका में सरकार के इस फैसले और इस विषय पर जारी नोटिफिकेशन को रद्द किये जाने की मांग की गई है।
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