शिक्षकों की आकलन परीक्षा के बहिष्कार का लिया फैसला


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शिक्षकों की आकलन परीक्षा के बहिष्कार का लिया फैसला

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल और मुख्यमंत्री के प्रधान ओएसडी एमएस चोपड़ा से मुलाकात कर शिक्षकों की आकलन परीक्षा का विरोध जताया है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने भी इस परीक्षा पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है, जिसके बाद शिक्षा मंत्री ने पुनर्विचार के संकेत दिए हैं। 1 राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विनोद ठाकरान, विनोद चौहान और सुधीर दलाल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री व प्रधान ओएसडी से मुलाकात की। संघ के राज्य महासचिव दीपक गोस्वामी ने बताया कि हरियाणा में शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की आंकलन परीक्षा ली जा रही है और राज्य सरकार को उसकी खबर तक नहीं है। शिक्षा मंत्री ने स्वयं ऐसी परीक्षा की जानकारी होने से इनकार किया है। 1उन्होंने बताया कि 21 मई को हर जिले में प्रदर्शन कर शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और मौलिक शिक्षा महानिदेशक के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे। उसके बाद भी विभाग की नींद नहीं टूटी तो 26 मई को शिक्षा सदन पंचकूला में प्रदर्शन होगा। उन्होंने बताया कि परीक्षा के दिन प्रत्येक शिक्षक इस परीक्षा का संपूर्ण रूप से बहिष्कार करेगा। इस बहिष्कार में मास्टर वर्ग ऐसोसिएशन भी प्राथमिक शिक्षकों के साथ है। काबिल-ए-गौर है कि 29 मई को सभी पीआरटी/जेबीटी एवं टीजीटी अध्यापकों की परीक्षा खंड स्तर पर होगी। 30 जून को सभी प्राध्यापकों पीजीटी की परीक्षा रखी गई है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर सिंह, महासचिव सीएन भारती, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, संगठन सचिव बलबीर सिंह, वरिष्ठ उपप्रधान गजे सिंह भ्याण व प्रचार सचिव महीपाल चमरोड़ी ने कहा कि शिक्षा विभाग पहले भी अनेक बार अव्यावहारिक व बिना किसी ठोस योजना के निर्णय लेकर सुर्खियों में रह चुका है। विरोध होने पर उसे अपने कदम भी पीछे हटाने पड़ते हैं। 1 राज्य अध्यक्ष ने कहा कि उनका संगठन वास्तव में शिक्षा सुधार चाहता है परंतु यह सुधार शिक्षकों को विश्वास में लिए बिना कभी भी संभव नहीं है। विभाग ने एकतरफा आकस्मिक परीक्षा तिथियां तो जारी कर दी परंतु इसके लक्ष्य, उद्देश्य, इसका रोड मैप, पाठ्यक्रम, संचालन, मूल्यांकन व परिणाम के बाद की योजना पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि यह सारा मामला सरकारी अध्यापकों को बदनाम करने एवं प्राइवेट एनजीओ को एक मोटी रकम स्थानांतरित करने से जुड़ा लगता है।राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल और मुख्यमंत्री के प्रधान ओएसडी एमएस चोपड़ा से मुलाकात कर शिक्षकों की आकलन परीक्षा का विरोध जताया है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने भी इस परीक्षा पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है, जिसके बाद शिक्षा मंत्री ने पुनर्विचार के संकेत दिए हैं। 1 राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष विनोद ठाकरान, विनोद चौहान और सुधीर दलाल के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री व प्रधान ओएसडी से मुलाकात की। संघ के राज्य महासचिव दीपक गोस्वामी ने बताया कि हरियाणा में शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों की आंकलन परीक्षा ली जा रही है और राज्य सरकार को उसकी खबर तक नहीं है। शिक्षा मंत्री ने स्वयं ऐसी परीक्षा की जानकारी होने से इनकार किया है। 1उन्होंने बताया कि 21 मई को हर जिले में प्रदर्शन कर शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और मौलिक शिक्षा महानिदेशक के नाम ज्ञापन दिए जाएंगे। उसके बाद भी विभाग की नींद नहीं टूटी तो 26 मई को शिक्षा सदन पंचकूला में प्रदर्शन होगा। उन्होंने बताया कि परीक्षा के दिन प्रत्येक शिक्षक इस परीक्षा का संपूर्ण रूप से बहिष्कार करेगा। इस बहिष्कार में मास्टर वर्ग ऐसोसिएशन भी प्राथमिक शिक्षकों के साथ है। काबिल-ए-गौर है कि 29 मई को सभी पीआरटी/जेबीटी एवं टीजीटी अध्यापकों की परीक्षा खंड स्तर पर होगी। 30 जून को सभी प्राध्यापकों पीजीटी की परीक्षा रखी गई है। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के अध्यक्ष वजीर सिंह, महासचिव सीएन भारती, कोषाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद, संगठन सचिव बलबीर सिंह, वरिष्ठ उपप्रधान गजे सिंह भ्याण व प्रचार सचिव महीपाल चमरोड़ी ने कहा कि शिक्षा विभाग पहले भी अनेक बार अव्यावहारिक व बिना किसी ठोस योजना के निर्णय लेकर सुर्खियों में रह चुका है। विरोध होने पर उसे अपने कदम भी पीछे हटाने पड़ते हैं। 1 राज्य अध्यक्ष ने कहा कि उनका संगठन वास्तव में शिक्षा सुधार चाहता है परंतु यह सुधार शिक्षकों को विश्वास में लिए बिना कभी भी संभव नहीं है। विभाग ने एकतरफा आकस्मिक परीक्षा तिथियां तो जारी कर दी परंतु इसके लक्ष्य, उद्देश्य, इसका रोड मैप, पाठ्यक्रम, संचालन, मूल्यांकन व परिणाम के बाद की योजना पर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया है। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि यह सारा मामला सरकारी अध्यापकों को बदनाम करने एवं प्राइवेट एनजीओ को एक मोटी रकम स्थानांतरित करने से जुड़ा लगता है।

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