कर्मचारियों को तोहफे की तैयारी में सरकार


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कर्मचारियों को तोहफे की तैयारी में सरकार

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : कर्मचारी तालमेल कमेटी के साथ हुए समझौते को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने कवायद तेज कर दी है। मुख्य सचिव एससी चौधरी ने सोमवार को करीब एक दर्जन विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाकर समझौता लागू करने की दिशा में हुई प्रगति के बारे में जानकारी हासिल की। कर्मचारी तालमेल कमेटी ने इसे आंखों में धूल झोंकने वाला बताया है। 1आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण कर्मचारी नेताओं और सरकार के बीच हुए समझौते को लागू नहीं किया जा सका है। सोमवार को चुनाव आचार संहिता के हटते ही मुख्य सचिव एससी चौधरी ने विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाकर पूरी स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की है। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एसएस ढिल्लो और उप प्रधान सचिव आरएस दून भी मौजूद रहे। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कर्मचारियों को 8100 रुपये न्यूनतम वेतन का परिपत्र जारी होने में देरी की वजह पूछी। इसके अलावा कर्मचारियों को नियमित करने में आ रही बाधाओं, हड़ताल के दौरान कर्मचारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने में हुई प्रगति तथा एसीपी और ग्रेड पे के बारे में भी चर्चा की गई। बैठक के बाद मुख्य सचिव ने बताया कि आचार संहिता के चलते अभी तक कर्मचारिओं की मांगों को पूरा नहीं किया जा सका था लेकिन अब उनकी मांगों को जल्दी पूरा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आचार संहिता खत्म होने के बाद रुके पड़े प्रशासनिक और विकास कार्यो में भी तेजी आएगी। 1मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे प्रशासनिक अधिकारी : लांबा : हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्य सुभाष लांबा ने कहा कि राज्य सरकार की नीयत साफ नहीं है। अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह किया जा रहा है। अभी तक न्यूनतम वेतन 8100 रुपये की चिट्ठी जारी नहीं हुई है। थर्ड एसीपी के बाद ग्रेड पे में बदलाव को लेकर भी राज्य सरकार गंभीर नहीं है। कुशल व अर्ध कुशल कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतनमान देने के बारे में भी अधिकारी गंभीर नहीं है। सुभाष लांबा के अनुसार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के मामले में अधिकारी स्पष्ट नहीं हैं। मुख्यमंत्री को बार-बार गलत सूचनाएं दी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के केस कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी केस का हवाला देकर कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही जा रही है, जबकि इस आधार पर यदि कर्मचारियों को नियमित किया जाता है तो कच्चे कर्मचारी कभी पक्के नहीं हो सकते, क्योंकि इस केस में कई तरह की बाध्यताएं हैं।1राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : कर्मचारी तालमेल कमेटी के साथ हुए समझौते को लागू करने के लिए प्रदेश सरकार ने कवायद तेज कर दी है। मुख्य सचिव एससी चौधरी ने सोमवार को करीब एक दर्जन विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाकर समझौता लागू करने की दिशा में हुई प्रगति के बारे में जानकारी हासिल की। कर्मचारी तालमेल कमेटी ने इसे आंखों में धूल झोंकने वाला बताया है। 1आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण कर्मचारी नेताओं और सरकार के बीच हुए समझौते को लागू नहीं किया जा सका है। सोमवार को चुनाव आचार संहिता के हटते ही मुख्य सचिव एससी चौधरी ने विभागीय अधिकारियों की बैठक बुलाकर पूरी स्थिति के बारे में जानकारी हासिल की है। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव एसएस ढिल्लो और उप प्रधान सचिव आरएस दून भी मौजूद रहे। मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कर्मचारियों को 8100 रुपये न्यूनतम वेतन का परिपत्र जारी होने में देरी की वजह पूछी। इसके अलावा कर्मचारियों को नियमित करने में आ रही बाधाओं, हड़ताल के दौरान कर्मचारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने में हुई प्रगति तथा एसीपी और ग्रेड पे के बारे में भी चर्चा की गई। बैठक के बाद मुख्य सचिव ने बताया कि आचार संहिता के चलते अभी तक कर्मचारिओं की मांगों को पूरा नहीं किया जा सका था लेकिन अब उनकी मांगों को जल्दी पूरा कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आचार संहिता खत्म होने के बाद रुके पड़े प्रशासनिक और विकास कार्यो में भी तेजी आएगी। 1मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे प्रशासनिक अधिकारी : लांबा : हरियाणा कर्मचारी तालमेल कमेटी के सदस्य सुभाष लांबा ने कहा कि राज्य सरकार की नीयत साफ नहीं है। अधिकारियों द्वारा सरकार को गुमराह किया जा रहा है। अभी तक न्यूनतम वेतन 8100 रुपये की चिट्ठी जारी नहीं हुई है। थर्ड एसीपी के बाद ग्रेड पे में बदलाव को लेकर भी राज्य सरकार गंभीर नहीं है। कुशल व अर्ध कुशल कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान वेतनमान देने के बारे में भी अधिकारी गंभीर नहीं है। सुभाष लांबा के अनुसार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के मामले में अधिकारी स्पष्ट नहीं हैं। मुख्यमंत्री को बार-बार गलत सूचनाएं दी जा रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के केस कर्नाटक सरकार बनाम उमा देवी केस का हवाला देकर कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही जा रही है, जबकि इस आधार पर यदि कर्मचारियों को नियमित किया जाता है तो कच्चे कर्मचारी कभी पक्के नहीं हो सकते, क्योंकि इस केस में कई तरह की बाध्यताएं हैं।1

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