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गरीब बच्चों के दाखिले पर फिलहाल विराम
हाई कोर्ट ने कहा- निजी स्कूलों पर दबाव नहीं बना सकती सरकार
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रदेश के मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के निश्शुल्क दाखिले पर फिलहाल विराम लग गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार 134 ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दाखिला देने के लिए मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर दवाब नहीं बना सकती। हाई कोर्ट ने अपने इस अंतरिम आदेश के साथ ही मामले की सुनवाई 4 जुलाई तक स्थगित कर दी।1हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षा नियमावली 134 ए के तहत मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में 10 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करने को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया है कि यह नियम निजी स्कूलों को बंद करने के कगार पर ला देगा, क्योंकि यह नियम व्यावहारिक तौर पर सही नहीं है। यह निजी स्कूलों को आथिर्क तौर पर कमजोर कर रहा है। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था, लेकिन उसकी तरफ से सोमवार को कोई जवाब दायर नहीं किया गया। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए पीठ ने कहा कि जब तक सरकार जवाब दायर नहीं करती, वह निजी स्कूलों पर प्रवेश के बारे में दबाव नहीं बना सकती। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सरकार से जवाब दाखिल करने को है। 1उधर, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि जब शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो गया तो 134 ए का प्रावधान नहीं होना चाहिए। इसके तहत दाखिले की जो प्रणाली राज्य सरकार ने तैयार की है वह भी उचित नहीं है। यदि 134ए के तहत बच्चों का दाखिला होता भी है तो वह सिर्फ प्राथमिक स्तर पर होना चाहिए।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : प्रदेश के मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के निश्शुल्क दाखिले पर फिलहाल विराम लग गया है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार 134 ए के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को दाखिला देने के लिए मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर दवाब नहीं बना सकती। हाई कोर्ट ने अपने इस अंतरिम आदेश के साथ ही मामले की सुनवाई 4 जुलाई तक स्थगित कर दी।1हरियाणा प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षा नियमावली 134 ए के तहत मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में 10 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करने को चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया है कि यह नियम निजी स्कूलों को बंद करने के कगार पर ला देगा, क्योंकि यह नियम व्यावहारिक तौर पर सही नहीं है। यह निजी स्कूलों को आथिर्क तौर पर कमजोर कर रहा है। हाईकोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था, लेकिन उसकी तरफ से सोमवार को कोई जवाब दायर नहीं किया गया। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए पीठ ने कहा कि जब तक सरकार जवाब दायर नहीं करती, वह निजी स्कूलों पर प्रवेश के बारे में दबाव नहीं बना सकती। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर सरकार से जवाब दाखिल करने को है। 1उधर, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि जब शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो गया तो 134 ए का प्रावधान नहीं होना चाहिए। इसके तहत दाखिले की जो प्रणाली राज्य सरकार ने तैयार की है वह भी उचित नहीं है। यदि 134ए के तहत बच्चों का दाखिला होता भी है तो वह सिर्फ प्राथमिक स्तर पर होना चाहिए।
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