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ऑनलाइन काम टीसीएस को देने पर शिक्षा बोर्ड प्रशासन और कर्मचारी आमने-सामने
अशोक कौशिक त्न भिवानी
बोर्ड परीक्षाओं का ऑनलाइन कार्य ठेके पर देने को लेकर बोर्ड प्रशासन व कर्मचारी आमने-सामने हो गए हैं। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात को वाजिब ठहरा रहे हैं। इस संबंध में बोर्ड कर्मचारियों की कई बार बोर्ड सचिव व चेयरमैन से मंत्रणा हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पा रहा है। इस संबंध में बोर्ड कर्मचारी गेट मीटिंग कर अपना विरोध भी जता चुके हैं। उधर, कर्मचारियों ने कहा कि वे ऑनलाइन कार्य बिना टेंडर टीसीएस कंपनी को नहीं देने देंगे। इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने का भय सता रहा है।
यह है मामला : कर्मचारियों की कमी के चलते बोर्ड प्रशासन ने गत वर्ष परीक्षा का कार्य ऑनलाइन शुरू किया था। इस में फार्म भरने से लेकर तक सार्टिफिकेट जारी करने तक का कार्य शामिल है। गत वर्ष बोर्ड ने पहली बार इसका कार्य टीसीएस कंपनी को दिया था। फार्म भरने में जहां छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई छात्रों को अनुक्रमांक पत्र प्राप्त करने के लिए बोर्ड के चक्कर काटने पड़े थे। रात के दो-दो बजे तक बोर्ड कर्मचारियों ने जाग-जागकर छात्रों को अनुक्रमांक उपलब्ध करवाए थे। इतना ही नहीं अनुक्रमांक मिलने व पेपर देने के बाद कई बच्चों को अपना परीक्षा परिणाम भी नहीं मिला था।
उधर बोर्ड सचिव डॉ. जे गणेशन ने कहा कि ऐसी कोई बात नही है। कंपनी सही कार्य कर रही है। मैंने इसके कार्य को देखा है और यह सही कार्य करेगी।
> कर्मियों का आरोप- कंपनी को काम का कोई अनुभव नहीं > बोर्ड सचिव का मत- कंपनी को पूरा अनुभव, सही काम करेगी
यूनियन ने गिनाई थी खामियां
कार्य का सही संचालन कार्य नहीं कर पाने पर बोर्ड यूनियन तालमेल कमेटी ने एक प्रस्ताव पास कर टीसीएस कंपनी का विरोध जताया तथा बोर्ड अधिकारियों के पास तीन पेज की नोटिंग भेज कर कंपनी की खामियों का चिट्ठा बोर्ड अधिकारियों को भेजा था। इसके बावजूद बोर्ड प्रशासन उसी कंपनी को बिना टेंडर जारी किए ऑनलाइन का कार्य दे रहा है। बोर्ड कर्मचारी चाहते हैं कि ऑनलाइन का कार्य टेंडर जारी कर ही दिया जाए।
ऐसे हुई थी अनियमितता : कर्मचारियों की मानें तो ऑनलाइन का कार्य लेने के बाद इसके कुछ कार्य अन्य कंपनियों को सबलेट कर दिए थे। इससे सबलेट लेने वाली फर्म पर इतनी जिम्मेदारी नहीं रहती, जिससे कार्य में अनियमितता होना स्वाभाविक है।
बोर्ड परीक्षाओं का ऑनलाइन कार्य ठेके पर देने को लेकर बोर्ड प्रशासन व कर्मचारी आमने-सामने हो गए हैं। दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात को वाजिब ठहरा रहे हैं। इस संबंध में बोर्ड कर्मचारियों की कई बार बोर्ड सचिव व चेयरमैन से मंत्रणा हो चुकी है, लेकिन कोई हल नहीं निकल पा रहा है। इस संबंध में बोर्ड कर्मचारी गेट मीटिंग कर अपना विरोध भी जता चुके हैं। उधर, कर्मचारियों ने कहा कि वे ऑनलाइन कार्य बिना टेंडर टीसीएस कंपनी को नहीं देने देंगे। इससे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने का भय सता रहा है।
यह है मामला : कर्मचारियों की कमी के चलते बोर्ड प्रशासन ने गत वर्ष परीक्षा का कार्य ऑनलाइन शुरू किया था। इस में फार्म भरने से लेकर तक सार्टिफिकेट जारी करने तक का कार्य शामिल है। गत वर्ष बोर्ड ने पहली बार इसका कार्य टीसीएस कंपनी को दिया था। फार्म भरने में जहां छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई छात्रों को अनुक्रमांक पत्र प्राप्त करने के लिए बोर्ड के चक्कर काटने पड़े थे। रात के दो-दो बजे तक बोर्ड कर्मचारियों ने जाग-जागकर छात्रों को अनुक्रमांक उपलब्ध करवाए थे। इतना ही नहीं अनुक्रमांक मिलने व पेपर देने के बाद कई बच्चों को अपना परीक्षा परिणाम भी नहीं मिला था।
उधर बोर्ड सचिव डॉ. जे गणेशन ने कहा कि ऐसी कोई बात नही है। कंपनी सही कार्य कर रही है। मैंने इसके कार्य को देखा है और यह सही कार्य करेगी।
> कर्मियों का आरोप- कंपनी को काम का कोई अनुभव नहीं > बोर्ड सचिव का मत- कंपनी को पूरा अनुभव, सही काम करेगी
यूनियन ने गिनाई थी खामियां
कार्य का सही संचालन कार्य नहीं कर पाने पर बोर्ड यूनियन तालमेल कमेटी ने एक प्रस्ताव पास कर टीसीएस कंपनी का विरोध जताया तथा बोर्ड अधिकारियों के पास तीन पेज की नोटिंग भेज कर कंपनी की खामियों का चिट्ठा बोर्ड अधिकारियों को भेजा था। इसके बावजूद बोर्ड प्रशासन उसी कंपनी को बिना टेंडर जारी किए ऑनलाइन का कार्य दे रहा है। बोर्ड कर्मचारी चाहते हैं कि ऑनलाइन का कार्य टेंडर जारी कर ही दिया जाए।
ऐसे हुई थी अनियमितता : कर्मचारियों की मानें तो ऑनलाइन का कार्य लेने के बाद इसके कुछ कार्य अन्य कंपनियों को सबलेट कर दिए थे। इससे सबलेट लेने वाली फर्म पर इतनी जिम्मेदारी नहीं रहती, जिससे कार्य में अनियमितता होना स्वाभाविक है।
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