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ज्यूरिख/नई दिल्ली
एक तरफ तो भारत ब्लैक मनी के मुद्दे पर लगातार स्विट्जरलैंड पर प्रेशर डाल रहा है, मगर दूसरी तरफ स्विस बैंकों से 350 बिलियन स्विस फ्रैंक्स यानी करीब 25 लाख करोड़ रुपये का विदेशी धन निकाल लिया गया है। इस बात पता नहीं चला है कि इसमें से कितनी रकम भारतीयों की थी, मगर आशंका है कि निकाली गई राशि में भारतीयों की ब्लैक मनी भी बड़ी मात्रा में हो सकती है।
ग्लोबल कंसल्टंसी जाएंट 'प्राइस वॉटरहाउस कूपर्स' की स्विस यूनिट ने स्विट्जरलैंड के 90 प्राइवेट बैंकिंग इंस्टिट्यूशंस की स्टडी करवाई है। कंसल्टंसी की रिपोर्ट में लिखा है, 'हमारा अंदाजा है कि पिछले 6 साल में विदेशी क्लाइंट्स ने बैंकों से करीब 25 लाख करोड़ रुपये निकाल हैं।' कंसल्टंसी का मानना है कि 350 बिलियन डॉलर्स में से 250 बिलियन डॉलर रकम वह है, जो टैक्स देने वाले लोगों की थी और वे उसे अपने देश के बैंकों में ले गए। बाकी के 100 बिलियन डॉलर उन लोगों के हो सकते हैं, जिन्होंने टैक्स वगैरह से बचने के लिए यह रकम यहां जमा करवाई थी।
स्विट्जरलैंड पर भारत समेत कई देशों ने प्रेशर बनाया हुआ है। भारत ने स्विट्जलैंड और अन्य देशों में भारतीयों के काले धन का पता लगाने के लिए एक एसआईटी भी बनाई है। दरअसल पिछले कुछ सालों में स्विट्जरलैंड दुनिया भर के कई देशों की ब्लैक मनी को सुरक्षित रखने का ठिकाना बन गया है। स्विट्जरलैंड को मजबूर होकर भारत के साथ अपने टैक्स समझौते और कई अन्य नियम-कायदे बदलने पड़े हैं। साथ ही उसे अब भारत के साथ कई तरह की सूचनाएं भी शेयर करनी पड़ती हैं। माना जा रहा है कि इसी वजह से कई बड़े क्लाइंट स्विस बैंकों से पैसा निकाल रहे हैं।
स्विस नैशनल बैंक के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक साल 2013 में स्विस बैंकों में विदेशी क्लाइंट्स के पैसे में 90 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है। एसएनबी के ऑफिशल डेटा में भारतीयों या किसी अन्य देश के क्लाइंट्स की रकम का सीधा-सीधा जिक्र तो नहीं है, लेकिन इस दौरान भारतीय क्लाइंट्स के पैसों में 40 फीसदी यानी 14,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। पिछले कुछ सालों तक इसमें गिरावट देखी जा रही थी।
पीडब्ल्यूसी की स्टडी के मुताबिक स्विट्जरलैंड में टैक्स को लेकर पारदर्शिता बढ़ाने की बढ़ रही मांग की वजह से ही पैसा बाहर जा रहा है। कंसल्टंसी का यह भी कहना है कि 2008 से चुनौतियों का सामना कर रहे स्विस बैंकों को अपना दूसरी तरीका अपनाना होगा। वे अच्छी क्वॉलिटी की सर्विस और परफॉर्मेंस से भी ग्राहकों को आकर्षित कर सकते है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स देने वाले क्लाइंट्स की संख्या वैसे भी उन क्लाइंट्स से ज्यादा होती है, जो टैक्स देने से बचाना चाहते हैं। अगर स्विस राजनेता दुनिया भर के हमले झेल रहे बैंकिंग सेक्टर को बचाकर यूरोपीय बाजारों में बिजनस शुरू करते हैं तो यह एक अच्छा कदम रहेगा।
पीडब्ल्यूसी की स्टडी के मुताबिक स्विट्जरलैंड में टैक्स को लेकर पारदर्शिता बढ़ाने की बढ़ रही मांग की वजह से ही पैसा बाहर जा रहा है। कंसल्टंसी का यह भी कहना है कि 2008 से चुनौतियों का सामना कर रहे स्विस बैंकों को अपना दूसरी तरीका अपनाना होगा। वे अच्छी क्वॉलिटी की सर्विस और परफॉर्मेंस से भी ग्राहकों को आकर्षित कर सकते है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स देने वाले क्लाइंट्स की संख्या वैसे भी उन क्लाइंट्स से ज्यादा होती है, जो टैक्स देने से बचाना चाहते हैं। अगर स्विस राजनेता दुनिया भर के हमले झेल रहे बैंकिंग सेक्टर को बचाकर यूरोपीय बाजारों में बिजनस शुरू करते हैं तो यह एक अच्छा कदम रहेगा।
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