भ्रष्टाचार के मामलों के 6 बड़े सज़ायाफ़्ता !


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भ्रष्टाचार के मामलों के 6 बड़े सज़ायाफ़्ता !
जे जयललिता
बंगलौर की एक विशेष अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में शनिवार को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को दोषी क़रार दिया है. इस मामले में अदालत ने फ़ैसला देने में 18 साल का लंबा वक़्त लगाया. उन्हें जिन धाराओं में दोषी ठहराया गया है, उसके तहत एक से सात साल तक की सजा हो सकती है.
लेकिन जयललिता ऐसी पहली नेता नहीं हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी क़रार दिया गया है. कई बड़े नेता भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जा चुके हैं.
लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को 3 अक्टूबर 2013 को अदालत ने पांच साल की सजा और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.
कोर्ट ने लालू यादव को चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 68 लाख रुपये के गबन के आरोप में दोषी पाया. कोर्ट में मामला 17 साल चला. (अभी ज़मानत पर बाहर)
जगन्नाथ मिश्रा
जगन्नाथ मिश्रा को भी चारा घोटाले के सिलसिले में जेल जाना पड़ा. वे भी चाइबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपए निकालने के मामले में दोषी पाए गए.
उन्हें इस मामले में अभियुक्त तब बनाया गया था जब वे विधानसभा में विपक्ष के नेता थे.
जगन्नाथ मिश्रा बिहार के आख़िरी कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे. उनके चुनाव में हारने के बाद कांग्रेस कभी बिहार में सत्ता में वापसी नहीं कर पाई. (अभी ज़मानत पर बाहर)
ओमप्रकाश चौटाला
दिल्ली की एक अदालत ने जनवरी 2013 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे समेत 53 लोगों को तीन हज़ार अध्यापकों को ग़ैर क़ानूनी रूप से भर्ती करने का दोषी क़रार दिया.
चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला को 10-10 साल क़ैद की सज़ा सुनाई गई.
हरियाणा में 1999-2000 के दौरान 3,032 लोगों को अध्यापक के तौर पर भर्ती किया गया था. आरोप था कि इनमें से हर एक से तीन से चार लाख रुपये की रिश्वत ली गई थी. (ओमप्रकाश चौटाला अभी ज़मानत पर बाहर हैं)
रशीद मसूद
कांग्रेस सांसद रशीद मसूद को सीबीआई की विशेष अदालत ने एमबीबीएस सीट आवंटन मामले में चार साल जेल की सज़ा सुनाई.
मसूद साल 1990 और 1991 के बीच केंद्रीय स्वास्थ राज्य मंत्री थे.
केंद्रीय पूल से देश भर के मेडिकल कॉलेजों में दाख़िले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अयोग्य उम्मीदवारों को नामित करने के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया था. (अभी ज़मानत पर जेल से बाहर)
सुखराम
नवंबर 2011 में पूर्व दूरसंचार मंत्री सुखराम को पांच साल की क़ैद और चार लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी.
सुखराम ने पीवी नरसिंह राव सरकार में संचार मंत्री रहते हुए हरियाणा टेलीकॉम लिमिटेड कंपनी को 30 करोड़ रुपये के अवैध ठेके दिये थे.
इसकी एवज में उन पर तीन लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप था. (सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत के बाद अभी जेल से बाहर)।

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