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सूरीना राजन को लगाई फटकार
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट के आदेश पर हरियाणा स्कूली शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव, वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक, व मौलिक शिक्षा विभाग के निदेशक सोमवार को हाईकोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत पर आधारित खंडपीठ के सामने पेश हुए। 1 प्रधान सचिव ने बेंच को बताया कि सरकार निजी स्कूलों को मान्यता देती है और 134 ए के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश के लिए वह स्कूलों को बाध्य कर सकती हैं। प्रधान सचिव के इस जवाब पर बेंच ने उनको फटकार लगाते हुए कहा कि कौन सा नियम है कि इन बच्चों को प्रवेश के लिए टेस्ट लिया जाए। शिक्षा के अधिकार के तहत ऐसा कोई नियम नही है। आप खुद के नियम बना रहे हैं। 1 बेंच की फटकार के बाद अधिकारियों ने बताया कि प्रवेश के लिए जिला स्तर पर कमेटी बनाई गई हैं। बेंच ने अधिकारियों को कहा कि वो इस बाबत विस्तृत जवाब दायर कर यह बताएं कि राज्य में कितने प्रवेश दिए गए हैं तथा गुडगांव व फरीदाबाद की जिला स्तर पर प्रवेश के लिए जो कमेटी बनी है उनके सदस्य कौन कौन हैं। खंडपीठ ने इस नियम पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार राज्य में केंद्रीय शिक्षा का अधिकार लागू क्यों नही कर रही।1 रूल्ज 134 ए के तहत मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में इस समय गरीब तबके के केवल 10 प्रतिशत बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है जबकि केंद्रीय शिक्षा के अधिकार के तहत आर्थिक रूप से 25 प्रतिशत बच्चों को प्रवेश दिया जाना चाहिये। बेंच ने हरियाणा सरकार के इस नियम को केंद्रीय शिक्षा के अधिकार के पूर्ण रूप से विपरीत बताते हुए इस पर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने यह आदेश हरियाणा प्रोगेसिव स्कूल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनाया। याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा रूल्ज 134 ए के तहत मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीट आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षित करने को चुनौती दी है। याचिका में आरोप लगाया कि यह नियम निजी स्कूलों को बंद करने के कगार पर ला देगा।
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