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प्रमुख शिक्षा सचिव से हाईकोर्ट ने पूछा
बीपीएल छात्रों को आरक्षण क्यों नहीं मिला !
बीपीएल छात्रों को आरक्षण क्यों नहीं मिला !
चंडीगढ़। हाईकोर्ट ने हरियाणा के प्रमुख शिक्षा सचिव एवं डायरेक्टर स्कूल्स को तलब किया गया है। उन्हें हरियाणा में निजी स्कूलों में 10 प्रतिशत सीटें गरीबी रेखा से नीचे के बच्चों के लिए आरक्षण के विरोध में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान इन दोनों अधिकारियों को तलब किया गया है। उन्हें जवाब देना होगा कि आखिर स्कूलों में बीपीएल छात्रों के लिए 25 प्रतिशत सीटों के आरक्षण की केंद्र की नीति क्यों लागू नहीं की गई। सुनवाई 29 सितंबर को होगी।
पिछली सुनवाई परजस्टिस सूर्यकांत पर आधारित डिवीजन बेंच ने निजी स्कूलों की संस्थाओं से ब्योरा तलब किया था। उनसे पूछा था कि यदि उन्हें मुफ्त में पढ़ाना पड़े तो सरकार से मिलने वाली इसकी री-इंबर्समेंट कितना बनेगा। हरियाणा सरकार ने आरटीई के नियम में निजी स्कूलों को सरकारी दरों के हिसाब से बीपीएल बच्चों को शिक्षा के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान बनाया था। युनाइटेड स्कूल एसोसिएशन ने एडवोकेट राजबीर शहरावत के माध्यम से दायर याचिका में कहा था कि सरकारी स्कूलों में बीपीएल बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। ऐसे में निजी स्कूल 10 प्रतिशत आरक्षण देकर बीपीएल बच्चों को मुफ्त शिक्षा क्यों दें। सरकार के इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी और हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाते हुए कहा था कि निजी स्कूलों पर यह फैसला जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता।
इसी मामले में स्कूलों ने हाईकोर्ट से कहा था कि 10 प्रतिशत सीटों पर बीपीएल बच्चों को शिक्षा देने पर जो खर्च आएगा, वह सरकार के प्रावधान के मुताबिक रीइंबर्स भी नहीं हो सकेगा। क्योंकि, सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इस पर पहले बेंच ने पूछा था कि यदि निजी स्कूलों को यह आरक्षण देना भी पड़े, तो इस पर क्या खर्च आएगा, ताकि सरकार से री-इंबर्समेंट के लिए कोई डाटा उपलब्ध हो सके। सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव शिक्षा एवं डायरेक्टर स्कूल्स को तलब कर लिया है।
कि केंद्र की नीति के अनुसार 25 प्रतिशत आरक्षण क्यों लागू नहीं किया गया।
डायरेक्टर स्कूल्स भी किए हैं कोर्ट में तलब, देना होगा दोनों को जवाब
पिछली सुनवाई परजस्टिस सूर्यकांत पर आधारित डिवीजन बेंच ने निजी स्कूलों की संस्थाओं से ब्योरा तलब किया था। उनसे पूछा था कि यदि उन्हें मुफ्त में पढ़ाना पड़े तो सरकार से मिलने वाली इसकी री-इंबर्समेंट कितना बनेगा। हरियाणा सरकार ने आरटीई के नियम में निजी स्कूलों को सरकारी दरों के हिसाब से बीपीएल बच्चों को शिक्षा के लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान बनाया था। युनाइटेड स्कूल एसोसिएशन ने एडवोकेट राजबीर शहरावत के माध्यम से दायर याचिका में कहा था कि सरकारी स्कूलों में बीपीएल बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। ऐसे में निजी स्कूल 10 प्रतिशत आरक्षण देकर बीपीएल बच्चों को मुफ्त शिक्षा क्यों दें। सरकार के इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी और हाईकोर्ट ने आरक्षण पर रोक लगाते हुए कहा था कि निजी स्कूलों पर यह फैसला जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता।
इसी मामले में स्कूलों ने हाईकोर्ट से कहा था कि 10 प्रतिशत सीटों पर बीपीएल बच्चों को शिक्षा देने पर जो खर्च आएगा, वह सरकार के प्रावधान के मुताबिक रीइंबर्स भी नहीं हो सकेगा। क्योंकि, सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा दी जाती है। इस पर पहले बेंच ने पूछा था कि यदि निजी स्कूलों को यह आरक्षण देना भी पड़े, तो इस पर क्या खर्च आएगा, ताकि सरकार से री-इंबर्समेंट के लिए कोई डाटा उपलब्ध हो सके। सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव शिक्षा एवं डायरेक्टर स्कूल्स को तलब कर लिया है।
कि केंद्र की नीति के अनुसार 25 प्रतिशत आरक्षण क्यों लागू नहीं किया गया।
डायरेक्टर स्कूल्स भी किए हैं कोर्ट में तलब, देना होगा दोनों को जवाब
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