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मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बॉम्बे पारसी पंचायत के उस मानदंड को सही ठहराया है जिसमें 90000 रूपए प्रति माह से ज्यादा न कमाने वाले और 25 लाख रूपए तक की असेट रखने वाले पारसी को गरीब माना गया है। गौरतलब है कि भारत में वर्ष 2013-14 में प्रति व्यक्ति आय 74380 रूपए है, जबकि ग्रामीण इलाकों में प्रति माह 816 रूपए और शहरी इलाकों में प्रति माह 1000 रूपए से कम कमाने वाले को गरीबी रेखा के नीचे रखा गया है।
हाई कोर्ट ने हाल ही दहनु में रहने वाले रॉहिन्टन तारापोरवाला की याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अंधेरी स्थित पनथकी बाग में कम्यूनिटी हाउसिंग स्कीम मे फ्लैट अलॉट न किए जाने पर एतराज जताया था। तारापोरवाला ने इस याचिका में कहा था कि वे वनगावं में रहते हैं और यहां हॉस्पिटल में केवल बेसिक सुविधाएं ही हैं। उन्हें हाई ब्लडप्रेशर, प्रॉस्टेट प्रॉब्लम और डायबिटीज रहती है और उनकी पत्नी भी डिप्रेशन और बेचैनी की शिकार हैं, इसलिए वे मुंबई में रहना चाहते हैं।
पंचायत ने इसके खिलाफ कहा था कि तारापोरवाला के पास 2000 स्क्वायर फुट में फैला दो मंजिला बंगला है और वे मुंबई के रहने वाले नहीं हैं। उनका बेटा यूके में और बेटी अमरीका में अपने परिवार के साथ बसे हुए हैं। ट्रस्टीज ने कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट के अक्टूबर 2009 में दिए गए निर्देश के अनुसार ही फ्लैट बेचे हैं।
उन्होंने बताया कि इसमें प्राथमिकता उन्हें दी गई है जो शादी के बाद सैटल होना चाहते हैं। जस्टिस एस जे वजीफदार और रेवती मोहिती देरे की डिवीजन बैंच ने फैसला सुनाया कि क्योंकि तारापोरवाला की मासिक आय 90000 से ज्यादा है और उनकी असेट भी 25 लाख रूपए से कहीं ज्यादा है, इसलिए वे इस मानदंड में फिट नहीं बैठते।
कोर्ट ने कहा, "तारापोरवाला ने मुंबई के बाहरी इलाके में अपनी 17 एकड़ जमीन की कीमत 51 लाख रूपए बताई है, यह संदेहात्मक है। याचिकाकर्ता ने वर्ष 2008-09 में इनकम टैक्स रिटर्न में अपनी नेट इनकम 11 लाख रूपए से ज्यादा दर्शाई है, जिसे देखकर यह कहा जा सकता है कि ना ही तो याचिकाकर्ता गरीब है और न ही वह इस फ्लैट का अलॉटमेंट डिजर्व करता है।" -
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