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एचसीएस भर्ती में धांधली से सरकार का इनकार
ट्रांसपोर्ट पाॅलिसी रिव्यू करने के निर्देश
हाईकोर्ट में सरकार ने दिया जवाब, दो लोगों ने दायर की थी याचिका, हुड्डा पर था चहेतों को िनयुिक्त देने का आरोप
भास्कर न्यूज | चंडीगढ़
पूर्वमुख्यमंत्री और उनके प्रिंसिपल ओएसडी के करीबियों को हरियाणा सिविल सर्विस (एचसीएस) एग्जीक्यूटिव ब्रांच में नियुक्ति मामले में हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि नियुक्तियों में कोई धांधली नहीं हुई। भर्ती नियमों का पालन कर नियुक्तियां की गई।
हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब को रिकार्ड पर लेने के बाद मामले पर 15 जनवरी के लिए सुनवाई तय की है। हरियाणा सरकार के पर्सनल विभाग के उप सचिव धन सिंह ने जवाब दायर कर कहा कि भर्ती प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी।
ऐसे में याचिकाकर्ता के आरोप गलत और बेबुनियाद हैं। हिसार में ग्राम सचिव भजन लाल सोनीपत के एक विद्यालय की संस्कृत शिक्षक मुकेश कुमारी ने याचिका दायर करते हुए कहा कि (एचसीएस) एग्जीक्यूटिव ब्रांच के तीन पदों पर नियुक्तियां करने में नियमों को ताक पर रख दिया गया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने इन नियुक्तियों में इतनी जल्दबाजी दिखाई कि नियुक्तियों के लिए जहां 31 जुलाई को इंटरव्यू लिए गए, वहीं अगले ही दिन इन नियुक्तियों को सिरे चढ़ा दिया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इन नियुक्तियों के लिए जिस प्रकार से मुख्यमंत्री और उनके प्रिंसिपल ओएसडी के करीबियों को चुना गया है, वह मेधावी लोगों के हकों को मारना है। याचिका में कहा गया कि जिन तीन लोगों को नियुक्ति दी गई है, उनमें से एक ब्रिजेंद्र सिंह हैं, जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गांव के रहने वाले हैं। नियुक्तियों में दूसरा नाम मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल ओएसडी के पूर्व पीए सुरिंदर पाल का और तीसरा नाम ओएसडी महिंदर चोपड़ा के करीबी आशुतोष राजन का है।
चंडीगढ़ | प्रदेशसरकार को अपनी ट्रांसपोर्ट पाॅलिसी को रिव्यू करना होगा। मंगलवार को इस संबंध में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि सरकार पालिसी पर दोबारा विचार करे। जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि पाॅलिसी के मुताबिक सरकार प्राइवेट ऑपरेटर्स को मनचाहे परमिट दे सकती है। सरकार चाहे तो परमिट की संख्या कम करे या ज्यादा। ऐसे में यह ब्लैंकेट अथारिटी नहीं दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इससे पहले 11 अगस्त को हरियाणा सरकार की ट्रांसपोर्ट पाॅलिसी पर रोक लगा दी थी और कहा था कि जनहित को देखते हुए सरकार चाहे तो प्राइवेट ऑपरेटर्स को परमिट जारी कर सकती है। सिरसा निवासी सोम प्रकाश अन्यों की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि रूट परमिट फिक्स नहीं है।
पांच लाख या इससे ज्यादा की जनसंख्या वाले शहरों के लिए परमिट फिक्स किए जाने चाहिए।
हाईकोर्ट में सरकार ने दिया जवाब, दो लोगों ने दायर की थी याचिका, हुड्डा पर था चहेतों को िनयुिक्त देने का आरोप
भास्कर न्यूज | चंडीगढ़
पूर्वमुख्यमंत्री और उनके प्रिंसिपल ओएसडी के करीबियों को हरियाणा सिविल सर्विस (एचसीएस) एग्जीक्यूटिव ब्रांच में नियुक्ति मामले में हरियाणा सरकार ने हाईकोर्ट में जवाब दायर कर कहा कि नियुक्तियों में कोई धांधली नहीं हुई। भर्ती नियमों का पालन कर नियुक्तियां की गई।
हाईकोर्ट ने सरकार के जवाब को रिकार्ड पर लेने के बाद मामले पर 15 जनवरी के लिए सुनवाई तय की है। हरियाणा सरकार के पर्सनल विभाग के उप सचिव धन सिंह ने जवाब दायर कर कहा कि भर्ती प्रक्रिया में कोई खामी नहीं थी।
ऐसे में याचिकाकर्ता के आरोप गलत और बेबुनियाद हैं। हिसार में ग्राम सचिव भजन लाल सोनीपत के एक विद्यालय की संस्कृत शिक्षक मुकेश कुमारी ने याचिका दायर करते हुए कहा कि (एचसीएस) एग्जीक्यूटिव ब्रांच के तीन पदों पर नियुक्तियां करने में नियमों को ताक पर रख दिया गया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने इन नियुक्तियों में इतनी जल्दबाजी दिखाई कि नियुक्तियों के लिए जहां 31 जुलाई को इंटरव्यू लिए गए, वहीं अगले ही दिन इन नियुक्तियों को सिरे चढ़ा दिया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि इन नियुक्तियों के लिए जिस प्रकार से मुख्यमंत्री और उनके प्रिंसिपल ओएसडी के करीबियों को चुना गया है, वह मेधावी लोगों के हकों को मारना है। याचिका में कहा गया कि जिन तीन लोगों को नियुक्ति दी गई है, उनमें से एक ब्रिजेंद्र सिंह हैं, जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गांव के रहने वाले हैं। नियुक्तियों में दूसरा नाम मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल ओएसडी के पूर्व पीए सुरिंदर पाल का और तीसरा नाम ओएसडी महिंदर चोपड़ा के करीबी आशुतोष राजन का है।
चंडीगढ़ | प्रदेशसरकार को अपनी ट्रांसपोर्ट पाॅलिसी को रिव्यू करना होगा। मंगलवार को इस संबंध में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि सरकार पालिसी पर दोबारा विचार करे। जस्टिस सूर्यकांत की खंडपीठ ने फैसले में कहा कि पाॅलिसी के मुताबिक सरकार प्राइवेट ऑपरेटर्स को मनचाहे परमिट दे सकती है। सरकार चाहे तो परमिट की संख्या कम करे या ज्यादा। ऐसे में यह ब्लैंकेट अथारिटी नहीं दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इससे पहले 11 अगस्त को हरियाणा सरकार की ट्रांसपोर्ट पाॅलिसी पर रोक लगा दी थी और कहा था कि जनहित को देखते हुए सरकार चाहे तो प्राइवेट ऑपरेटर्स को परमिट जारी कर सकती है। सिरसा निवासी सोम प्रकाश अन्यों की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया कि रूट परमिट फिक्स नहीं है।
पांच लाख या इससे ज्यादा की जनसंख्या वाले शहरों के लिए परमिट फिक्स किए जाने चाहिए।
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