सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर सवाल


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सोनीपत
दीनबंधुछोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को लेकर मामला अब और उलझ गया है। एक आेर तो पहले से ही नियुिक्तयों पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं अब नियुक्ति सही ठहराने के लिए अब नियम ही बदल दिए गए हैं।
साथ ही विवि प्रशासन ने नियुक्ति प्रक्रिया को पूर्ण करने लिए चुनाव आयोग से भी अनुमति मांगी गई है। आरोप है कि किसी विशेष (चहेतों) को लाभ देने के इरादे से यह बदलाव किया जा रहा है।
सीटपांच आवेदन 550
बतायागया है कि विवि में सहायक प्रोफेसर बनने की चाह करीब 550 आवेदकों ने दिखाई है। यहां बता दें कि सीटें महज पांच ही है। जिसमें डिमांड कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में जहां करीब तीन सीटों के लिए करीब तीन सौ आवेदन है तो वहीं फिजिक्स की दो सीटों के लिए 150 एवं केमेस्ट्री की भी दो सीटों के लिए करीब एक सौ प्रतिभागियों के आवेदन है।
दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो. आरपी दहिया ने बताया कि विवि में सभी नियुक्ति प्रक्रिया समाचार पत्र में प्रकाशित नियमों के मुताबिक हो रही है। कहीं कुछ गलत नहीं है। विवि प्रशासन निष्पक्ष चयन प्रक्रिया का पूर्ण पक्षधर है। इससे अधिक वे कुछ नहीं कह सकते।
नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत जहां टेस्ट के लिए 20 नंबर, एकेडमिक मेरिट के लिए 50 तथा साक्षात्कार के लिए 30 अंक निर्धारित किए गए हैं। इसमें यहां टेस्ट और साक्षात्कार में जहां कोई बदलाव नहीं है तो वहीं एकेडमिक मेरिट जोकि सर्वाधिक महत्वपूर्ण है, उसमें व्यवस्था बदल गई है। पूर्व में जहां 60 अंक बढ़ते स्तर के साथ मेरिट भी उच्च होती जाती थी, लेकिन अब अगर विद्यार्थी के 60 अंक है तो भी उतने ही अंक और 75 अंक है तो भी उतने ही अंक उम्मीदवार को मिलेंगे।
जिससे सीधे तौर पर मेधावी उम्मीदवार प्रभावित होंगे।
सूत्रों के मुताबिक यह बदलाव अगस्त माह के पहले पखवाड़े में ही किया गया। जिसकी सूचना अब कुछ उम्मीदवारों को भी लगी है।
विवि प्रशासन की ओर से मापदंड में भले ही बदलाव की यह कोशिश की हो, लेकिन अभी उन्हें विवि की ईसी की बैठक में भी इसे मंजूर कराना होगा। संभावना है कि यह बैठक इसी माह आयोजित की जाएगी।
विवि में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया उस समय संदेह के घेरे में गई थी जब जिस 15 जुलाई को आवेदन करने की अंतिम तिथि का टेस्ट संचालित किए जाने के बजाए उन उम्मीदवारों का टेस्ट लिया गया जिन्होंने 28 जुलाई को आवेदन किया था। यहां आरोप लगाया जा रहा है कि ऐसा राजनैतिक पृष्ठभूमि से जुड़े सीएम के खास व्यक्ति के परिवार को विशेष खुशी देने के लिए किया जा रहा है। यह आरोप इसलिए गंभीर बनता है क्योंकि संबंधित आवेदनकर्ता ने अपना वाइवा ही 25 जुलाई को पूरा किया था।

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