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देश में लागू होगी अनिवार्य वोटिंग
केंद्र में यह प्रयोग होने के अनुमान इसलिए भी लगाए जा रहे हैं, क्योंकि बीजेपी ने 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी घोषणा-पत्र में इसे मुद्दा बनाया था। पार्टी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी कई साल से इसकी वकालत कर रहे हैं।
चुनाव आयोग सहमत नहीं
चुनाव आयोग पहले ही इस मुद्दे पर तमाम पक्षों से बात कर चुका है। आयोग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि आयोग में इस पर 7 बार मीटिंग हो चुकी है। हर बार यही बात सामने आई कि वोटर्स की अशिक्षा और सामाजिक विविधता के कारण ऐसे कानून व्यावहारिक नहीं हैं। 2010 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने अपनी रिपोर्ट में अनिवार्य वोटिंग के प्रस्ताव को खारिज भी कर दिया था।
गुजरात में बन गया है कानून
चुनाव आयोग सहमत नहीं
चुनाव आयोग पहले ही इस मुद्दे पर तमाम पक्षों से बात कर चुका है। आयोग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि आयोग में इस पर 7 बार मीटिंग हो चुकी है। हर बार यही बात सामने आई कि वोटर्स की अशिक्षा और सामाजिक विविधता के कारण ऐसे कानून व्यावहारिक नहीं हैं। 2010 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने अपनी रिपोर्ट में अनिवार्य वोटिंग के प्रस्ताव को खारिज भी कर दिया था।
गुजरात में बन गया है कानून
इन देशों में सजा का प्रावधान 22
देशों में अनिवार्य है वोटिंग 38
देशों ने लागू किया, फिर हटाया
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, साइप्रस, इक्वोडोर, लक्जेमबर्ग, नाउरु, पेरू, सिंगापुर, स्कैफसन।• नरेन्द्र नाथ, नई दिल्ली
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, साइप्रस, इक्वोडोर, लक्जेमबर्ग, नाउरु, पेरू, सिंगापुर, स्कैफसन।• नरेन्द्र नाथ, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बतौर मुख्यमंत्री की गई पहल पर गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहां वोट देना अब कानूनन जरूरी होगा। हालांकि यह अभी स्थानीय निकाय चुनावों में ही लागू किया गया है। वोट नहीं देने पर सजा क्या होगी, इसका फैसला सरकार बाद में करेगी।
इस बारे में गुजरात लोकल अथॉरिटीज लॉज (अमेंडमेंट) बिल पर राज्यपाल ओपी कोहली ने भले ही हाल में साइन किए, लेकिन यह मोदी का बरसों पुराना ड्रीम बिल है, जो उन्होंने बतौर सीएम 3 बार (2009, 2010, 2011) तत्कालीन राज्यपाल कमला बेनीपाल के पास भेजा, लेकिन उन्होंने सहमति नहीं दी। अब मोदी केंद्र में हैं, तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या उनका यह प्रयोग पूरे देश में लागू होगा/ सूत्रों का कहना है कि सरकार के लिए विधानसभा और लोकसभा जैसे बड़े चुनावों में यह फैसला लागू करना आसान नहीं है। इसके लिए तमाम राज्य सरकारों की एक राय बनानी होगी, जो मुश्किल होगा।
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