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एक ऐप की मदद से कोई भी शख्स आपके फोन का इस्तेमाल किए बिना आपके ही नंबर से किसी को भी कॉल कर सकता है। गूगल प्ले और ऐपल स्टोर पर ऐसे कई ऐप्स हैं, जिनसे कॉलर की लोकेशन या कॉल डिटेल्स ट्रेस करना मुश्किल होता है।
आईडी चेंजर ऐप पहचान छिपाने के साथ-साथ किसी को भी फंसा सकता है। जैसे, यदि आप किसी को कॉल करना चाहते हैं तो कॉलर आईडी के लिए 0000000000 से भी डायल कर सकते हैं। साथ ही, अपनी आवाज मेल या फीमेल में चेंज कर सकते हैं। हालांकि कॉल के लिए इंडिया का कोड +91 जरूरी है और रीचार्ज भी कराना पड़ता है, जिसके लिए 268 रुपये खर्च करने जरूरी हैं।
फेक आईडी ऐप भी आईडी चेंजर की तरह काम करता है। लेकिन आपने जिसे कॉल की है, उसे कॉलर आईडी के तौर पर महज 4 नंबर का इंटरनैशनल नंबर दिखाई पड़ता है। इंटेलिजेंस ब्यूरो ने इसी तरह के वी फोन ऐप को बैन करने की मांग की थी, क्योंकि इसका सर्वर विदेश में है।
एक्सपर्ट्स की राय
साइबर लॉ एक्सपर्ट पवन दुग्गल के मुताबिक, ऐसे ऐप्स बनाने से पहले ध्यान में रखा जाता है कि उनसे हुई कॉल्स डीटेल्स मौजूद न रहे और कोई रेकॉर्ड भी न बन सके। हालांकि कॉल्स डीटेल्स में सर्विस प्रोवाइडर मदद कर सकते हैं क्योंकि ऐप डाउनलोड में खर्च हुए डेटा का रेकॉर्ड सर्विस प्रोवाइडर के सर्वर पर रहता है।
नोएडा स्थित इरिक्सन के नेटवर्किंग इंजीनियर विष्णु तिवारी के मुताबिक, इनसे हुई कॉल ट्रेस करने पर सर्विस प्रोवाइडर की आईपी का पता लग जाता है, जिससे कॉलर को ढूंढा जा सकता है। लेकिन यह बेहद झंझट वाला काम होता है।
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