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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अनुसूचित जातियों में
आरक्षण में प्रमोशन को रद्द का फैसला एेतिहासिक कदम है। एसए
ब्लॉक के चेयरमैन और अखिल भारतीय धानक उत्थान महासंघ के प्रधान
राष्ट्रीय महासचिव सुरेंद्र धानक ने कहा कि छुआछूत से ग्रस्त दलित
जातियों के लिए बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान में
आरक्षण का प्रावधान किया था न की प्रमोशन का।
पूर्व की कांग्रेस सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के लिए इसे
असंवैधनिक तरीके से लागू कर रखा जबकि आरक्षण से वंचित एससीए वर्ग
की 38 जातियों के आरक्षण एव बी को एक जाति विशेष के दबाव में
समाप्त कर दिया गया। अगर आरक्षण में प्रमोशन संवैधानिक है
तो गुरनाम सिंह आयोग की रिपोर्ट को भी सरकार ने
ज्यों का त्यों लागू रखना चाहिए था। इससे देश की आजादी के 67
वर्ष बीत जाने के बाद भी उपेक्षित दलित जातियां आरक्षण से वंचित
हैं।
धानक ने कहा कि हरियाणा में दलित जातियों की आय का सर्वे
करवाया जाए तो चौकाने वाले आंकड़े सामने आयेंगे। धानक ने सरकार
को चेताया कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को तुरंत
लागू नहीं किया तो आम दलित जो वर्षों से आरक्षण से वंचित है
को आंदोलन करने पर मजबूर होना पड़ेगा। इससे मुटठी भर
लोगों को ही फायदा होगा जबकी बहुत सी ऐसी जातियां हैं
जिन्हें आज तक आरक्षण का लाभ नहीं मिला है।
धानक ने सभी सवर्ण, बैकवर्ड और दलित जातियों के विधायकों,
मंत्रियों से अपील करते हुए कहा कि वास्तविक आरक्षण गरीब के लिए
बना है जो मिलाना चाहिए। इस पर विधानसभा में
खुली चर्चा होनी चाहिए।
पहली बार भाजपा द्वारा उपेक्षित दलित समाज को अहम
भागेदारी देने पर संगठन ने पार्टी का धन्यावाद किया।
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