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त्वचा में सफेद दाग होने के कई कारण हैं, जिनमें खून का ठंडापन व खराबी, बलगम में विषैले तत्व, आनुवांशिक कारण, त्वचा का धूप में जलना प्रमुख हैं। यूनानी पद्धति में इनका इलाज तीन तरीकों से किया जाता है।
हिजामा और लीच थैरेपी
दाग की जगह हफ्ते में 1-2 बार (महीने में 5-6 बार) मेडिसनल जोंक से दूषित रक्त को बाहर निकाला जाता है। इसके अलावा कपिंग थैरेपी (हिजामा) भी की जाती है।
फारमाकोथैरेपी
इसमें मरीज को बावची, गेरू, जजबील, शाहतरा, अत्रीलाल, कलौंजी, चिरायता और गंधक आमलासार जैसी हर्बल दवाएं पाउडर, चटनी, तेल व काढ़े के रूप मेे दी जाती हैं।
डायटोथैरेपी: डाइट में बदलाव
बादाम, करेला, खजूर, अंजीर, दानामेथी, गेहूं, शलजम, पालक, चावल, चने की दाल व बाजरा जैसी गर्म तासीर वाली चीजें डाइट में शामिल करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ये रक्तको गर्म करने का काम करती हैं।
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