अध्यापकों की तनख्वाह से बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में करवा दूंगा


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अध्यापकों की तनख्वाह से बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में करवा दूंगा
अमर उजाला ब्यूरो
झज्जर। डीईओ साहब, 200 बच्चों को पढ़ाने के लिए 21 अध्यापकों का स्टाफ है। अगर अभी भी इन्हें ढंग से नहीं पढ़ाया गया, तो इन अध्यापकों की तनख्वाह से इन बच्चों का दाखिला निजी स्कूल में करवा दूंगा।
यह बात प्रदेश के कृषि, सिंचाई, विकास एवं पंचायत मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने अपने पैतृक गांव ढाकला में बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान जिला शिक्षा अधिकारी को शिक्षा स्तर में सुधार लाने के निर्देश देते हुए कही। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे धनखड़ ने कहा कि जो अध्यापक बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के काबिल नहीं है, उसकी सरकार को भी जरूरत नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त लहजे में कहा कि शिक्षण कार्य में कोई भी लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। बच्चों के भविष्य और व्यक्तित्व विकास के लिए बेहतर शिक्षा जरूरी है। राजकीय स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि राजकीय स्कूलों में बढ़िया भवन हैं। शिक्षित युवकों को अध्यापक भर्ती किया जाता है। इसके बावजूद स्कूलाें का रिजल्ट निजी स्कूलों की अपेक्षा बहुत खराब आता है। उन्होंने कहा कि यह सब अध्यापकों की लापरवाही के कारण हो रहा है। धनखड़ ने चेतावनी दी कि अब इसे किसी हाल में सहन नहीं किया जाएगा। जो भी अधिकारी अपनी ड्यूटी सही तरह से नहीं करेगा या जो अध्यापक बच्चों को पढ़ाने के लिए मेहनत नहीं करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल का एक अध्यापक दस हजार रुपये की तनख्वाह में बच्चों को पढ़ाता है। सरकारी अध्यापक प्रतिमाह 40 से 50 हजार रुपये तनख्वाह लेते हैं। इसके बावजूद सरकारी स्कूलों का परिणाम खराब क्यों आता है, इसकी समीक्षा की जाएगी। कृषि मंत्री ने गांव छुछकवास स्थित आरईडी स्कूल में स्पोर्ट्स कांप्लेक्स का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर एसडीएम झज्जर डॉ. सतेंद्र दूहन, जिला शिक्षा अधिकारी साधुराम रोहिल्ला, डीएसपी अनूप सिंह दहिया सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी और क्षेत्र के गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
हमेशा होना चाहिए बड़ा लक्ष्य
कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने बाल दिवस की शुभकामनाएं देते हुए बच्चों को प्रेरित किया कि कोई भी संस्था या संस्थान आपकी सीमा नहीं है। आपके कदम उस संस्था में जरूर होंगे, लेकिन आपका लक्ष्य ही आपको सर्वश्रेष्ठ स्थान पर पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि ऊंचाईयों की कोई सीमा नहीं होती। किसी भी चीज को परिणाम तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि किसी भी विषय को पढ़ना, उसकी समझ विकसित करना, उसके ज्ञान को व्यवहार में लाना ही सीखने का मतलब होता है। ज्ञान का वास्तविक उद्देश्य व्यवहार में परिवर्तन लाना होता है। उन्होंने कहा कि जीवन में बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए संस्कारों का महत्व होता है। हमारे स्कूल और कॉलेज शिक्षा का केंद्र तो हैं, लेकिन संस्कारों के बगैर जीवन में महान नहीं बना जा सकता। उन्होंने बच्चों को जीवन में नैतिक मूल्य अपनाने का भी संदेश दिया।
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