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स्पेशल ब्लैक बोर्ड पर लिखेंगे छात्र
एनसीईआरटी के सहयोग से प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में चलेगा अर्ली रीडिंग कार्यक्रम
स्कूल के एक कमरे में 2.5 फुट ऊंची दीवार को रंग कर बनाया जाएगा ब्लैक बोर्ड
तस्वीर देखकर बच्चे ब्लैक बोर्ड पर शब्द उकेरेंगे। सरकारी स्कूल में
बच्चों के लिए अलग से स्पेशल ब्लैक बोर्ड बनेगा। सरकारी शिक्षा के
गिरते स्तर को सुधारने के लिए जल्द ही स्कूलों में यह कदम
उठाया जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद
(एनसीईआरटी) के सहयोग से प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में
अर्ली रीडिंग कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी।
सरकारी स्कूलों के पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को इसमें शामिल
किया जाएगा। अर्ली रीडिंग कार्यक्रम की शुरुआत को लेकर
पंचकूला में बीते 7-8 नवंबर को वर्कशॉप आयोजित हुई। खंड संसाधन
समन्वयक एससीईआरटी से उपलब्ध कराए गए सात पुस्तकों का सेट
लेकर वर्कशॉप में शामिल हुए। वर्कशॉप में मथुरा से आए प्रशिक्षकों ने
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में
दिसंबर 2014 से अर्ली रीडिंग कार्यक्रम लागू करने की योजना है।
अभ्यास कर सीखेंगे :
अर्ली रीडिंग कार्यक्रम के तहत प्रत्येक सरकारी स्कूल में एक कमरे
का चयन किया जाएगा। उस कमरे में बच्चों के लिए अलग से ब्लैक
बोर्ड बनेगा। कमरे की 2.5 फुट ऊंची दीवार को काले रंग से पेंट कर
दिया जाएगा। गुरुजी की मौजूदगी में बच्चे इस स्पेशल ब्लैक बोर्ड
पर शब्द लिखेंगे। लिखने में बच्चा जैसे ही गलती करेगा गुरुजी उसे
बताएंगे। कनेसप्ट इससे क्लियर होगा। जल्द सीखने व समझने के फेर में
बार-बार गलती नहीं करेंगे। बच्चों का बेस मजबूत बनेगा।
मास्टर ट्रेनर देंगे प्रशिक्षण :
मास्टर ट्रेनर द्वितीय चरण में नवंबर माह के तीसरे सप्ताह से
जिला स्तर पर प्रशिक्षण देंगे। ब्लॉक स्तर पर प्रत्येक स्कूल से
दो शिक्षक ट्रेनिंग में भाग लेंगे। सभी जिलों में 30 नवंबर तक
प्रशिक्षण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
अध्यापकों को अर्ली रीडिंग का प्रशिक्षण डाइट संस्थानों में
दिया जाएगा।
रंगीन पुस्तकें बंटेंगी :
सरकारी स्कूलों में बच्चों को रंगीन पुस्तकें दी जाएंगी। पुस्तक में
पालतू पशु, पक्षी, जंगली जानवर सहित अन्य चीजों की तस्वीर
होगी। तस्वीर के हिसाब से ही शब्द लिखा होगा। बच्चे इस
तस्वीर को देखकर पहले महसूस करेंगे। रंग का ज्ञान होने के साथ शब्द
का भी सही ज्ञान होगा।
बच्चों के लिए अलग से स्पेशल ब्लैक बोर्ड बनेगा। सरकारी शिक्षा के
गिरते स्तर को सुधारने के लिए जल्द ही स्कूलों में यह कदम
उठाया जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद
(एनसीईआरटी) के सहयोग से प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में
अर्ली रीडिंग कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी।
सरकारी स्कूलों के पहली व दूसरी कक्षा के बच्चों को इसमें शामिल
किया जाएगा। अर्ली रीडिंग कार्यक्रम की शुरुआत को लेकर
पंचकूला में बीते 7-8 नवंबर को वर्कशॉप आयोजित हुई। खंड संसाधन
समन्वयक एससीईआरटी से उपलब्ध कराए गए सात पुस्तकों का सेट
लेकर वर्कशॉप में शामिल हुए। वर्कशॉप में मथुरा से आए प्रशिक्षकों ने
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। हरियाणा के सरकारी स्कूलों में
दिसंबर 2014 से अर्ली रीडिंग कार्यक्रम लागू करने की योजना है।
अभ्यास कर सीखेंगे :
अर्ली रीडिंग कार्यक्रम के तहत प्रत्येक सरकारी स्कूल में एक कमरे
का चयन किया जाएगा। उस कमरे में बच्चों के लिए अलग से ब्लैक
बोर्ड बनेगा। कमरे की 2.5 फुट ऊंची दीवार को काले रंग से पेंट कर
दिया जाएगा। गुरुजी की मौजूदगी में बच्चे इस स्पेशल ब्लैक बोर्ड
पर शब्द लिखेंगे। लिखने में बच्चा जैसे ही गलती करेगा गुरुजी उसे
बताएंगे। कनेसप्ट इससे क्लियर होगा। जल्द सीखने व समझने के फेर में
बार-बार गलती नहीं करेंगे। बच्चों का बेस मजबूत बनेगा।
मास्टर ट्रेनर देंगे प्रशिक्षण :
मास्टर ट्रेनर द्वितीय चरण में नवंबर माह के तीसरे सप्ताह से
जिला स्तर पर प्रशिक्षण देंगे। ब्लॉक स्तर पर प्रत्येक स्कूल से
दो शिक्षक ट्रेनिंग में भाग लेंगे। सभी जिलों में 30 नवंबर तक
प्रशिक्षण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।
अध्यापकों को अर्ली रीडिंग का प्रशिक्षण डाइट संस्थानों में
दिया जाएगा।
रंगीन पुस्तकें बंटेंगी :
सरकारी स्कूलों में बच्चों को रंगीन पुस्तकें दी जाएंगी। पुस्तक में
पालतू पशु, पक्षी, जंगली जानवर सहित अन्य चीजों की तस्वीर
होगी। तस्वीर के हिसाब से ही शब्द लिखा होगा। बच्चे इस
तस्वीर को देखकर पहले महसूस करेंगे। रंग का ज्ञान होने के साथ शब्द
का भी सही ज्ञान होगा।
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