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रामपाल से सुबह करीब 10 बजे पूछताछ की गई, जब खाने की इच्छा जाहिर की तो उनके लिए थाने की मैस से एक रोटी और दाल मंगवाई गई। इसी दौरान कुछ पुलिस कर्मचारियों ने उनसे पूछताछ की।
पसरा सन्नाटा
पुलिसः बाबा केवल एक रोटी से पूरा दिन कैसे काम चलता है?
रामपालः मैं दोनों टाइम एक-एक रोटी ही खाता हूं, सुबह दस बजे और शाम सात बजे।
सवाल : बाबा आप काजू-बादाम खाने वाले हो, अब दाल रोटी खा रहे हो, ऐसी परिस्थितियां क्यों बनी, जो आपको यह कष्ट उठाने पड़े?
जवाब : जब बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, तब ऐसा ही होता है, मेरी भी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी।
सवाल : बाबा आपने हमारे 200 जवानों को चोट मरवा दी, क्या हम पाकिस्तान के हैं?
जवाब : रामपाल हाथ मलने लगे, मुझे पता ही नहीं था, बाहर क्या चल रहा है।
सवाल : क्या आप टीवी चैनल, अखबार पढ़कर भी नहीं जान पाए?
जवाब : इस पर बाबा ने कोई जवाब नहीं दिया, वे चुप हो गए।
सवाल : बाबा आपको सब पता था, आप खुद ऐसा चाहते थे?
जवाब : जब समय आया तो भगवान श्रीकृष्ण से भी युद्ध नहीं टाला गया, मेरा भी यह समय खराब है।
सवाल : बाबा आपके आश्रम में रेप जैसी शर्मनाक घटनाएं सुन रहे हैं?
जवाब : पिछले दो-तीन दिनों से कंट्रोल मेरे हाथ से छूट गया था, मेरा जोर नहीं चला, क्या कुछ हुआ मुझे नहीं पता, अव्यवस्था फैल गई थी।
सवाल : आप खुद क्यों नहीं बाहर आए?
जवाब : मुझे भी अंदर बंधक बना लिया गया था, जब मैं छूटा तो बाहर निकल आया।
रात भर टहलते रहे सलाखों के पीछे जमीन पर बिछे कंबल पर नहीं आई नींद
रात भर टहलते रहे सलाखों के पीछे, जमीन पर बिछे कंबल पर नहीं आई नींद
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