www.teacherharyana.blogspot.com (Recruitment , vacancy , job , news) www.facebook.com/teacherharyana
कानून का शासन लागू करने में हरियाणा के बरवाला में जिस प्रकार
बाबा रामपाल के अनुयायियों और पुलिस के बीच खुला टकराव
सामने आया है उसने एक पुरानी समस्या को नए सिरे से सतह पर
ला दिया है। धर्म पर फिर सवाल खड़े हो रहे हैं और ऐसा इसलिए
हो रहा है, क्योंकि उनका आचरण ही संदेह के घेरे में है जो खुद को संत
अथवा धर्म का रक्षक घोषित करते हैं। जिन बाबा रामपाल ने
हरियाणा पुलिस को नाको चने चबवा दिए उनके बारे में कुछ
बातों को जान लेना जरूरी है। रामपाल इंजीनियर से कथित संत बने।
उन्होंने कबीर पंथ को अपनाकर 1999 में करौंथा में सतलोक आश्रम
की स्थापना की। आज यह आश्रम 16 एकड़ की भूमि में फैला है। आश्रम
किसी किले से कम नहीं है। तीन पर्तो में
बनी दीवारों को आसानी से पार नहीं किया जा सकता। इसमें एक
लाख भक्तों के बैठने और 50 हजार से अधिक के रहने व खाने
की पूरी व्यवस्था है। उन्होंने कई और आश्रम स्थापित किए, जिनमें
बरवाला का आश्रम भी शामिल है। बाबा के पास इस समय सत्तर से
अधिक महंगी गाड़ियां हैं। दिल्ली, राजस्थान व मध्य प्रदेश में
भी रामपाल की करोड़ों की संपत्ति है। कुल मिलाकर पिछले एक दशक
में बाबा ने सौ करोड़ से भी अधिक का अपना साम्राज्य खड़ा कर
लिया। वह हत्या के एक मामले में वांछित हैं और करीब चालीस
नोटिसों का सामना कर रहे हैं। उन्हें गिरफ्तार करने गई पुलिस
को अप्रत्याशित प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और
इसकी परिणति एक बच्चे समेत पांच महिलाओं की मौत और तीन
सौ लोगों के घायल होने के रूप में हुई। 1 बाबा रामपाल का सतलोक
आश्रम जिस तरह हिंसा की रणभूमि बना उससे पुलिस के खुफिया तंत्र
की नाकामी पर सवाल तो उठे ही हैं, साथ ही सरकार
की उदारता भी साफ नजर आई है। आश्रम के अंदर से बंदूक, रायफल और
अन्य कई लाइसेंसी व गैर लाइसेंसी हथियारों से हमला किया गया।
साथ ही आश्रम में भारी मात्र में पेट्रोल बम व तेजाब के साथ में
लाठी-डंडे होने के भी साक्ष्य मिले हैं। आश्रम केअनुयायियों ने बाहर
आकर जिस प्रकार अपनी व्यथा बयान की है उससे साफ पता लगता है
कि आश्रम के अंदर बहुत कुछ गलत हो रहा था। जहां तक स्वयंभू संत
बाबा रामपाल का सवाल है तो वह अचानक ही सुर्खियों में
नहीं आए। वह पहली बार 2006 में आर्य समाज के संस्थापक
स्वामी दयानंद सरस्वती की पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पर विवादास्पद
टिप्पणी कर चर्चा में आए थे। इसी के चलते आर्य समाजियों से विवाद
बढ़ा और दोनों के समर्थकों की हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत
हो गई। बाबा रामपाल इसी मामले में वांछित हैं। रामपाल
का मामला नया-अनोखा नहीं है। बीते साल एक कथावाचक
आसाराम की गिरफ्तारी के समय भी ऐसा ही दृश्य सामने
आया था। रामपाल खुद को धार्मिक और आध्यात्मिक गुरु घोषित
करते हैं, परंतु उनका या उनके अनुयायियों का जिस प्रकार का आचरण
अराजकता के रूप में सामने आया है वह किसी भी हालत में धर्मानुकूल
नहीं कहा जा सकता। हिसार में जिस प्रकार से धार्मिक आस्था से
कानून का टकराव हुआ वह सीधे-सीधे विधि के शासन
को खुली चुनौती है। हालांकि देश में ऐसे अनेक उदाहरण पहले भी मिलते
रहे हैं जब लोगों की दबंगई के सहारे खुले रूप में कानून
को चुनौती दी जाती रही है। उससे कई बार ऐसा भी महसूस
होता रहा है कि आज कानून कमजोर लोगों के मुकाबले ताकतवर
लोगों की रक्षा के लिए अधिक कारगर साबित हो रहा है।1कार्ल
मार्क्स ने जब धर्म को अफीम की संज्ञा दी थी तो उसका साफ
मतलब था कि धर्म कई बार आस्था के नाम पर भाव शून्यता और
अंधभक्ति को बढ़ाता है। सच यह है कि धार्मिक नेता स्वयंभू बनकर
लोगों की गहन आस्था और उनकी अंधभक्ति का लाभ उठाकर उनमें एक
छद्म धार्मिक चेतना का संचार कर देते हैं। धर्म के नाम पर यह एक प्रकार
का सम्मोहन है। इसके माध्यम से धर्म गुरु अपनी हर
क्रिया को नैतिकता का लबादा ओढ़ाता है और भक्तों के सामने
स्वयं की छवि को ईश्वर के नजदीक ले जाता है। स्वयंभू बाबाओं
की यही वह स्थिति है जहां वे अपनी धार्मिक सत्ता को धनोन्मुख
सत्ता में रूपांतरित करने में कामयाब हो जाते हैं। शायद इसी वजह से
तमाम धार्मिक संस्थानों और धर्मगुरुओं के पास अकूत धन, संपत्ति,
जमीन, निजी सेना व बाहुबल का विस्तार होता चला जाता है। इन
सभी का इस्तेमाल ये लोग अपनी धार्मिक सत्ता को देश व विदेश में
फैलाने में अधिक करते हैं। कड़वा सच यह है कि धर्म अब धीरे-धीरे
नैतिकता के लिबास को छोड़ रहा है। सामुदायिक ढांचे के कमजोर
होने से समाज में बढ़ती वैयक्तिक असुरक्षा और रातों-रात भौतिक
लक्ष्यों को प्राप्त करने की लालसा लोगों को इन धर्मगुरुओं के
नजदीक जाने को मजबूर कर रही है। केवल इतना ही नहीं, इस धर्म
की सत्ता से अब राजनीति की वैतरणी पार करने के दावे भी सामने
आने लगे हैं। ऐसे तमाम उदाहरण हैं जहां अनेक राजनेता इन धर्मगुरुओं के समक्ष
दंडवत करते नजर आते हैं। इसी से जुड़ा यहां यक्ष प्रश्न यह भी है
कि आखिर बाबा रामपाल और उनके समर्थकों ने कानून के सारे नियम
व कायदों को ताक पर रखकर हिंसा के सहारे
न्यायपालिका की अवमानना करने की हिम्मत कैसे और
क्यों दिखाई। वह इसलिए, क्योंकि वे अपने राजनीतिक और
प्रशासनिक रसूख और उनकी गहराई व कमजोरियों को बखूबी जानते
हैं। 1अब समय आ गया है कि देश की तमाम ऐसी धार्मिक संस्थाओं व
ऐसे धर्म गुरुओं की धर्म और अंधविश्वास के नाम पर जुटाई धन-
संपत्ति की जांच करते हुए उसे कानून के दायरे में लाया जाए। आज ये
स्ांस्थान काले धन को श्वेत करने के भी माध्यम बन गए हैं।
आश्रमों अथवा डेरों का धर्म, नैतिकता और अध्यात्म से कोई लेना-
देना नहीं है। फिर भी समाज में इनकी पैठ लगातार बढ़ रही है। कानून
के दबाव में रामपाल और उनके समर्थकों की घेराबंदी तो हो चुकी है,
परंतु भविष्य में जनता ऐसे बाबाओं के चंगुल में न फंसे, इसके लिए समाज
को भी आस्था और अंधविश्वास में फर्क करना आना चाहिए। ऐसे
बाबाओं से देश के संविधान को भविष्य में चुनौती न मिले, इसके लिए
भी राजनेताओं को समय रहते आत्ममूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
बाबा दूध से नहाता, उससे बनती खीर
लखीपुरा बिहार की रुकमणि ने कहा कि गांव के ही एक व्यक्ति ने बाबा की खीर के बारे में बताया था। उसे खाने से बड़ी से बड़ी बीमारी दूर हो जाती है, अपंग चल पड़ता है और मुर्दे में भी जान आ जाती है। बस इसी लालच से अपने पांच साल के अभिषेक और तीन बेटियों को लेकर आश्रम चली आई। महिला ने बताया कि पहले बाबा दूध से नहाते हैं। नहाने के बाद उस सारे दूध की खीर बनाई जाती है। खीर में बहुत सारी चीजें होती हैं जिनमें मेवे आदि भी होते हैं। पहली बार आई परंतु खीर तो नहीं मिली। 1बाबा का हाथ लगी हर चीज प्रसाद1आश्रम में प्रशाद के नाम पर कुछ भी खिलाने के लिए बाबा के गुर्गे उसे बाबा का हाथ लगा प्रसाद बताते हैं। जिसे पाने के लिए हजारों हाथ ऊपर उठ जाते हैं। प्रसाद में चावल रोटी के अलावा मिठाई, खील-बताशे व अन्य कोई भी खाने-पीने की चीज होती है। उसे खाने पर संतोष महसूस होता है। अब उसमें क्या मिलाया जाता था, ये सिर्फ बाबा या उसके गुर्गे ही जानते है। 1हरी, पीली व लाल दवा से इलाज1किसी भी बीमारी के लिए आश्रम में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उसमें हरी, पीली व लाल रंग की दवाओं से भरी शीशी ही बांटी जाती थी। हालांकि वहां सेवादार ही दवाएं बांटते थे।
पुलिस द्वारा बुधवार रात को गिरफ्तार किए जाने के बाद रामपाल को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष पेश किया गया। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 नवंबर मुकर्रर की और तब तक के लिए रामपाल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
हाईकोर्ट ने हरियाणा पुलिस से पूछा है कि क्या रामपाल के आश्रम में हथियार या बंकर हैं। कोर्ट ने पूछा कि इस ऑपरेशन में कितने लोग घायल हुए। पुलिस को आश्रम से संबंधित रिपोर्ट पांच दिन में देने का निर्देश दिया है।
वहीं कोर्ट ने हरियाणा पुलिस की तारीफ भी की है। कोर्ट ने कहा कि कम नुकसान में आपने यह ऑपरेशन पूरा किया। इसके साथ ही सरकारी वकील ने नुकसान का सारा खर्च रामपाल से वसूलने की मांग की है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने रामपाल की संपत्ति का ब्यौरा भी मांगा है और साथ ही कहा कि सरकारों को इस तरह के डेरों और आश्रमों पर लगाम लगानी चाहिए।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 17 नवंबर को रामपाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था और उसे शुक्रवार तक किसी भी हालत में पेश करने का निर्देश दिया था।
इससे पहले, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने साल 2006 के रोहतक मर्डर केस में रामपाल को मिली जमानत रद्द कर दी। रामपाल इस मामले में साल 2008 से जमानत पर था। हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया।
उल्लेखनीय है कि एक हफ्ते से ज्यादा के हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद हरियाणा पुलिस ने स्वघोषित संत रामपाल को हिसार के बरवाला स्थित उसके आश्रम से बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया। रात में पुलिस आश्रम के अंदर घुसी और रामपाल को गिरफ्तार कर लिया। रामपाल के साथ उसके कई समर्थकों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया।
रामपाल के समर्थक बड़ी संख्या में उसके प्रति भक्ति भाव के चलते आश्रम खिंचे चले आए, लेकिन वहां जो कुछ हुआ, उससे हजारों भक्तों की आंखें खुल गई हैं। आश्रम से बाहर आए समर्थक अपने घर लौटने को बेताब हैं। इनके लिए प्रशासन ने रोडवेज की बसों की व्यवस्था की है।
डॉक्टरों के मुताबिक बीमारी का बहाना बनाकर कोर्ट में पेश न होने वाला रामपाल पूरी तरह से फिट है और वह खुद चलकर गाड़ी तक आया। पुलिस की ओर से रामपाल के लिए तीन एंबुलेंस को लगाया गया था। रामपाल को गिरफ्तारी के बाद पुलिस मेडिकल चेक अप के लिए पंचकुला सिविल अस्पताल ले गई।
पुलिस ने रामपाल के बरवाला आश्रम को सील कर दिया है। बरवाला स्थित आश्रम से पुलिस को अभी कोई हथियार नहीं मिला है। मंगलवार को राइफल, बंदूक और पिस्तौल से फायरिंग की गई थी। आशंका जताई जा रही है कि रामपाल की फौज के लोग अंदर ही छुपे हैं। जब तक सीआरपीएफ और पुलिस आश्रम के अंदर जाकर तलाशी नहीं लेती, तब तक स्थिति साफ नहीं होगी। इस बीच, रामपाल की गिरफ्तारी के बाद उसके समर्थकों का आश्रम छोड़कर जाने का सिलसिला जारी है।
No comments:
Post a Comment
thanks for your valuable comment