12वीं तक के विद्यािर्थयों का होगा लर्निंग लेवल टेस्ट
भिवानी : सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों का अब हर महीने लर्निंग लेवल टेस्ट लिया जाएगा। इस टेस्ट के जरिए ही संबंधित स्कूल के एजुकेशन लेवल का आकलन किया जाएगा। टेस्ट को एजुकेशन डिपार्टमेंट संचालित करेगा। इसे पहली से 12वीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। फिलहाल विभाग ने 20 दिसंबर से टेस्ट शुरू कराने की प्लानिंग तैयार कर ली है। गौरतलब है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं क्लास के बच्चों का एग्जाम नहीं लिया जाता। लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत अब हर महीने 9वीं से 12वीं कक्षा के साथ-साथ पहली से 8वीं के सभी स्टूडेंट्स का भी टेस्ट लिया जाएगा। शिक्षा विभाग की इस योजना के शुरू होने की सूचना मिलने पर सभी सरकारी स्कूलों में टेस्ट लेने की तैयारी शुरू हो गई हैं।
सरकारी स्कूलों के एजुकेशन लेवल व इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लर्निंग लेवल को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। इन सवालों का जवाब खोजने के लिए एजुकेशन डिपार्टमेंट और एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग) की ओर से टेस्ट लिया जाएगा। इस टेस्ट के माध्यम से ये देखा जाएगा कि सरकारी स्कूलों में एजुकेशन का क्या स्तर है। मंथली टेस्ट की तरह ही स्कूलों में प्रत्येक विद्यार्थी का टेस्ट होगा, लेकिन इसमें फर्क सिर्फ इतना होगा कि इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग तैयार करेगा। स्कूलों में विद्यार्थियों के आकलन के बाद एजुकेशन के स्तर की प्लानिंग की जाएगी।
हर महीने की तैयार होगी रिपोर्ट
शिक्षा विभाग की ओर से हर महीने रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसमें सब्जेक्ट टीचर ही कॉपी की मार्किंग करेगा। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए प्रोफॉर्मा के अनुसार, संबंधित कक्षा के स्टूडेंट की टेबल तैयार की जाएगी। अलग-अलग कॉलम में 1 से 25 पर्सेंट, 26 से 50, 51 से 75, 76 से 90 और 91 से 100 पर्सेंट हासिल करने वाले विद्यार्थियों की संख्या दर्ज की जाएगी। प्रत्येक स्कूल से रिपोर्ट जिला शिक्षा कार्यालय के बाद हेड ऑफिस पंचकूला भेजी जाएगी। एससीईआरटी सेल के अधिकारी मनोज शर्मा का कहना है कि लर्निंग लेवल टेस्ट से यह आइडिया हो जाएगा कि स्टूडेंट्स के लिए आगे क्या प्लानिंग की जा सकती है। इसलिए एससीईआरटी और एजुकेशन डिपार्टमेंट दोनों की ओर से प्रोजेक्ट के तहत काम किया जाएगा
भिवानी : सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे विद्यार्थियों का अब हर महीने लर्निंग लेवल टेस्ट लिया जाएगा। इस टेस्ट के जरिए ही संबंधित स्कूल के एजुकेशन लेवल का आकलन किया जाएगा। टेस्ट को एजुकेशन डिपार्टमेंट संचालित करेगा। इसे पहली से 12वीं कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। फिलहाल विभाग ने 20 दिसंबर से टेस्ट शुरू कराने की प्लानिंग तैयार कर ली है। गौरतलब है कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं क्लास के बच्चों का एग्जाम नहीं लिया जाता। लेकिन इस प्रोजेक्ट के तहत अब हर महीने 9वीं से 12वीं कक्षा के साथ-साथ पहली से 8वीं के सभी स्टूडेंट्स का भी टेस्ट लिया जाएगा। शिक्षा विभाग की इस योजना के शुरू होने की सूचना मिलने पर सभी सरकारी स्कूलों में टेस्ट लेने की तैयारी शुरू हो गई हैं।
सरकारी स्कूलों के एजुकेशन लेवल व इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लर्निंग लेवल को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। इन सवालों का जवाब खोजने के लिए एजुकेशन डिपार्टमेंट और एससीईआरटी (स्टेट काउंसिल फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग) की ओर से टेस्ट लिया जाएगा। इस टेस्ट के माध्यम से ये देखा जाएगा कि सरकारी स्कूलों में एजुकेशन का क्या स्तर है। मंथली टेस्ट की तरह ही स्कूलों में प्रत्येक विद्यार्थी का टेस्ट होगा, लेकिन इसमें फर्क सिर्फ इतना होगा कि इसकी रिपोर्ट शिक्षा विभाग तैयार करेगा। स्कूलों में विद्यार्थियों के आकलन के बाद एजुकेशन के स्तर की प्लानिंग की जाएगी।
हर महीने की तैयार होगी रिपोर्ट
शिक्षा विभाग की ओर से हर महीने रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसमें सब्जेक्ट टीचर ही कॉपी की मार्किंग करेगा। इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से भेजे गए प्रोफॉर्मा के अनुसार, संबंधित कक्षा के स्टूडेंट की टेबल तैयार की जाएगी। अलग-अलग कॉलम में 1 से 25 पर्सेंट, 26 से 50, 51 से 75, 76 से 90 और 91 से 100 पर्सेंट हासिल करने वाले विद्यार्थियों की संख्या दर्ज की जाएगी। प्रत्येक स्कूल से रिपोर्ट जिला शिक्षा कार्यालय के बाद हेड ऑफिस पंचकूला भेजी जाएगी। एससीईआरटी सेल के अधिकारी मनोज शर्मा का कहना है कि लर्निंग लेवल टेस्ट से यह आइडिया हो जाएगा कि स्टूडेंट्स के लिए आगे क्या प्लानिंग की जा सकती है। इसलिए एससीईआरटी और एजुकेशन डिपार्टमेंट दोनों की ओर से प्रोजेक्ट के तहत काम किया जाएगा
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