28 साल बाद मनेगा कॉलेजों और स्कूलों में नेशनल साइंस डे



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28 साल बाद मनेगा कॉलेजों और स्कूलों में नेशनल साइंस डे

देश के इतिहास में इस बार पहली बार सभी यूनिवर्सिटी और महाविद्यालयों के साथ स्कूलों में भी 28 फरवरी को कंपल्सरी रूप से नेशनल साइंस-डे मनाया जाएगा। इस कार्यक्रम को आयोजित करने की जिम्मेदारी स्टेट साइंस एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल की होगी। यूजीसी ने तो सर्कुलर भी जारी कर दिया है। हालांकि वर्ष 1986 से देशभर में हर वर्ष 28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाया जाता है, लेकिन अनिवार्य नहीं होता।

यूनिवर्सिटीज और कॉलेजिस को तो नेशनल साइंस डे के लिए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। कार्यक्रम में यूजीसी सचिव प्रो. जसपाल सिंह संधू ने विश्वविद्यालयों के कुलपति को पत्र जारी किया है।


साइंस डे का थीम "साइंस फॉर नेशन बिल्डिंग' है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नई दिल्ली के निर्देश पर सभी विवि व कॉलेजों, स्कूलों व संस्थानों को 28 फरवरी को विशेष कार्यक्रम आयोजित करने को कहा गया है। स्कूल, कॉलेजों के साथ-साथ साइंस से जुड़े हुए सभी संस्थान व इंस्टीट्यूशन भी इसमें हिस्सा लेंगे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य साइंस को बढ़ावा देने के साथ-साथ साइंस के गुण और अवगुणों के बारे में विद्यार्थियों को जानकारी देना भी है।

अभिभावक भी ले सकते हैं हिस्सा

नेशनल साइंस डे पर यूनिवर्सिटीज और महाविद्यालयों में स्टूडेंट्स, टीचर्स और स्टूडेंट्स के परिवार वाले भी इस कार्यक्रम में भागीदारी कर सकते हैं। इस मौके पर विज्ञान प्रदर्शनी, विशेषज्ञों के लेक्चर, विज्ञान आधारित फिल्म, स्लाइड- शो, डाटा बेस/क्विज/निबंध लेखन प्रतियोगिता, डॉक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया जाएगा।

^28 फरवरी को नेशनल साइंस डे मनाया जाता है लेकिन अनिवार्य रूप से मनाया जाए यह कभी जरूरी नहीं हुआ। इस बार क्या दिशा निर्देश जारी हुए हैं यह फिलहाल जानकारी नहीं है।
प्रो. सुबोध, पूर्व प्रिंसिपल पीजी कॉलेज।

1986 में शुरू हुई थी परम्परा

देश में 1986 से हर 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है। प्रोफेसर चंद्रशेखर वेंकट रमन ने 1928 में कोलकाता में इस दिन एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक खोज की थी, जो ‘रमन प्रभाव’ के रूप में प्रसिद्ध है। रमन की यह खोज 28 फरवरी 1930 को प्रकाश में आई थी। इस कारण 28 फरवरी राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस कार्य के लिए उनको 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

इस दिन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित करना, प्रेरित करना है। मुख्य तौर पर स्कूलों में इस दिन कार्यक्रम आयोजित होते हैं, इनमें साइंस और मैथ विषय पर क्विज प्रतियोगिता अकसर होती आई हैं।

स्टेट काउंसिल के पास भेजने होंगे अपने-अपने प्रस्ताव

इस बारे में सरकार ने साइंस से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों और संस्थानों, स्कूलों, कॉलेजों इत्यादि मनाने के लिए प्रपोजल (क्या-क्या करना चाहते हैं) मांगा है। इस प्रपोजल को सभी स्कूल, संस्थाएं व कालेज अपनी-अपनी स्टेट साइंस एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल को भेजेंगे। इसके बाद इसी आधार पर स्टेट साइंस काउंसिल ही इसके लिए राशि भेजेगी।

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