स्पैट खिलाड़ियों को सरकारी कोच से ही लेनी होगी कोचिंग



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स्पैट खिलाड़ियों को सरकारी कोच से ही लेनी होगी कोचिंग

स्पैट खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं देने और उन्हें अच्छा स्पोर्ट्स मैन बनाने के लिए खेल विभाग ने बड़ा कदम उठाने जा रहा है। स्पैट के तहत दी जाने वाली स्कॉलरशिप में बदलाव करके खेल विभाग ने खिलाड़ियों के स्तर को सुधारने की योजना बनाई है। स्पैट के तहत चयनित खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स विभाग के सरकारी कोचों से ही कोचिंग लेनी होगी। अन्यथा उन्हें स्कॉलरशिप से वंचित कर दिया जाएगा।

अब खिलाड़ी इस स्कॉलरशिप को लेने के लिए अपनी मर्जी के कोच से कोचिंग नहीं ले सकेंगे। इतना ही नहीं उन्हें विभाग के कोच से प्रशिक्षण लेने पर ही स्कॉलरशिप और कोचिंग दी जाएगी। स्पोर्ट्स विभाग हर वर्ष 5 हजार खिलाड़ियों को स्कॉलरशिप देता है, लेकिन इस बार विभाग इन 5 हजार खिलाड़ियों की संख्या को घटाकर कम खिलाड़ियों को अधिक स्कॉलरशिप और सुविधाएं देकर उन्हें एक स्पोर्ट्समैन बनाना चाहता है।


2010 में पहली बार शुरू हुई थी स्पैट

2010 में स्पैट के तहत 5 हजार खिलाड़ियों को प्रदेशस्तरीय टेस्ट के आधार पर मेरिट बनाकर स्कॉलरशिप दिए जाने की योजना शुरू हुई थी। स्पैट ट्रायल पास 8 से 14 आयु वर्ग के खिलाड़ियों को 1500 रुपए प्रतिमाह और 15 से 19 आयु वर्ग के खिलाड़ियों को 2 हजार रुपए की स्कॉलरशिप के साथ उन्हें फ्री में खेल का समान भी दिया जाता है। ज्यादातर जिलों में अभी तक खेल नर्सरियां स्थापित नहीं हो पाई हैं। अभी तक अधिकतर जिलों में सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में या तो खेल मैदान ही नहीं है या फिर उनमें किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है। जहां सुविधाएं हैं उन खेल मैदानों का आकार बेहद छोटा है। ऐसे में खेल नर्सरियों को विकसित करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

बदलाव का आइडिया
दरअसल स्कॉलरशिप प्राप्त करने के जो नियम हैं उसके तहत खिलाड़ी अपनी मर्जी के कोच से कोचिंग ले सकता है। वह स्कूल के पीटीआई टीचर या डीपीई या गांव में नियुक्त क्रीड़ा श्री से अटेंडेंस लिखवाकर स्कॉलरशिप लेने का हकदार है, लेकिन पिछले 6 सालों में स्पैट के लिए चयनित हुए खिलाड़ियों में से ज्यादातर खिलाड़ी दोबारा चयनित नहीं हो सके। इनका परिणाम भी खराब रहा। अलबत्ता विभाग को लगा कि खिलाड़ियों को दी जा रही स्कॉलरशिप का सदुपयोग नहीं हो रहा है। लिहाजा विभाग नई योजना को जल्द ही अमलीजामा पहना सकता है।

फिलहाल हमारे पास इस संबंध में खेल विभाग से कोई सूचना नहीं आई है। विचार कई तरह के चलते हैं, चल भी रहे हैं। जब तक हमारे पास खेल विभाग की ओर से लिखित आदेश नहीं आते कोई जानकारी नहीं दे सकते।
- सचदेव सिंह राणा, जिला खेल अधिकारी

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