स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की बात पर बिफरा शिक्षक संघ



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स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की बात पर बिफरा शिक्षक संघ
प्रदर्शन की दी चेतावनी, सरकार को जमकर कोसा
अमर उजाला ब्यूरो
करनाल। हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ ने सरकारी स्कूलों को भारती फाउंडेशन को सौंपे जाने का पुरजोर विरोध किया है। संघ का कहना है कि स्कूलों को निजी हाथों में सौंपना सरासर गलत है। ऐसा करके सरकार अध्यापकों और विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करने का काम कर रही है। संघ के अध्यक्ष अनिल सैनी ने
बताया कि शिक्षा विभाग ने करनाल जिले से 6 स्कूलों को भारतीय फाउंडेशन को सौंपने का निर्णय लिया है। इन स्कूलों में राजकीय प्राथमिक विद्यालय सीकरी, राजकीय प्राथमिक विद्यालय भादसो, राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजीदा जाटान, राजकीय प्राथमिक विद्यालय चिड़ाव, राजकीय प्राथमिक विद्यालय पदाना हसनपुर, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जलमाना शामिल हैं।
अनिल सैनी ने कहा कि किसी भी एनजीओ को स्कूलों में
घुसने नहीं दिया जाएगा। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार सुधारीकरण के नाम पर सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में सौंपा रही है। यह सहन नहीं किया जाएगा। शिक्षा का निजीकरण नहीं होने दिया जाएगा। जरूरत पड़ने पर धरने प्रदर्शन करने से भी अध्यापक गुरेज नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अध्यापकों के एसीपी के जो मामले अधूरे हैं, उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इस मामले को लेकर कई बार यूनियन का प्रतिनिधिमंडल उच्चाधिकारियों से मिल चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। हर बार टालमटोल का रवैया
अपनाया जाता है। संघ के प्रेस सचिव जयराज बिड़लान ने कहा कि जो अध्यापक रिटायर हो रहे हैं, उन्हें 31 मार्च तक के लिए रिटायरमेंट पत्र सौंपे जाएं ताकि विद्यार्थियों की शिक्षा किसी भी तरह प्रभावित न हो।
शिक्षा के निजीकरण के विरोध में उतरा अध्यापक संघ
स्कूल सौंपे जाने का तीव्र विरोध किया है और सरकार व शिक्षा विभाग पर भी पूंजीपतियों के हाथों खेलने का आरोप लगाया है। अध्यापक संघ के पूर्व राज्य सचिव कृष्ण कुमार निर्माण, पूर्व जिला प्रधान नरेंद्र चोपड़ा, बलराज सिंह, खंड प्रधान करनाल महेंद्र सिंह दादूपुर रोडान, वरिष्ठ अध्यापक नेता गुरनाम सिंह संधु, धर्मपाल शास्त्री असंध, कुलबीर सिंह नीलोखेड़ी, खंड प्रधान इंद्री मुनीष कांबोज, सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र खेड़ा व नरेश सैनी ने
कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में देकर अपनी जिम्मेदारी से बचना चाह रही है और गरीब व मध्यम वर्ग के लोगों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रखे जाने की साजिश रच रही है, जिसे कामयाब नहीं होने
दिया जाएगा। जन शिक्षा को बचाने के लिए अध्यापक संघर्ष करेंगे। संघ के पूर्व राज्य सचिव कृष्ण कुमार निर्माण व नरेंद्र चोपड़ा ने कहा कि जिस कंपनी (भारती फाउंडेशन) को स्कूल गुणवत्ता के नाम पर
सौंपे जा रहे हैं, उसका विरोध होगा, क्योंकि इस कंपनी को पूर्व में भी स्कूल सौंपे जाने का लंबा व निर्णायक विरोध अध्यापक कर चुके हैं और सरकार को अपना निर्णय वापस लेना था।
अध्यापक प्रतिनिधियों ने सवाल उठाया कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से
भाग रही है, क्योंकि सरकार के पास किसी भी निजी कंपनी,
फाऊंडेशन से ज्यादा संसाधन है। उन्होंने मांग की कि पूर्व में कंपनी
को दिए गए स्कूलों की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।

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