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फर्जी दाखिला देने वाले स्कूलों पर गिरेगी गाज
अमर उजाला ब्यूरो
करनाल। फर्जी दाखिले करने वाले प्राइमरी और मिडिल सरकारी स्कूलों पर विभाग की गाज गिर सकती है। निदेशालय ने प्रदेश के सभी डीईईओ से फर्जी दाखिलों की रिपोर्ट मांगी है। दस दिन के अंदर जांच रिपोर्ट विभाग को भेजनी है ताकि विभाग को चूना लगा रहे विद्यार्थियों और स्कूल प्रधानों से निपटा जा सके।
निदेशालय की ओर से फर्जी दाखिलों की शिकायत का हवाला देकर जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को फर्जी दाखिलों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत सभी बीईओ को कंट्रोलर नियुक्त किया गया है। बीईओ अपनी देखरेख में सभी मुख्याध्यापकों को जांचकर्ता नियुक्त करेंगे। जांच के दौरान स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या, फर्जी दाखिलों की संख्या और लंबे समय से अनुपस्थित छात्रों की लिस्ट बनाई जाएगी। इसके आधार पर देखा जाएगा कि इस स्कूल का विद्यार्थी किसी दूसरे स्कूल में तो नहीं जा रहा। सभी बीईओ की जांच रिपार्ट डीईईओ को और उसके बाद डीईईओ की ओर से निदेशालय को भेजी जाएगी।
फर्जी दाखिले के ये हो सकते हैं कारण
विभाग की ओर से हर साल चार सौ रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से पैसे आते हैं और मिड डे मील का पैसा भी बच्चों की संख्या के आधार पर ही आता है। इससे स्कूल मुखिया बच्चों की अधिक संख्या दिखाकर विभाग को चूना लगता है।
शिक्षक कम बच्चे होने की वजह से गांव या आसपास के विद्यार्थियों का दाखिला स्कूल में कर देते हैं, जबकि बच्चा शिक्षा दूसरे स्कूल में प्राप्त कर रहा होता है। इससे एक ओर स्कूल बंद होने की नौबत नहीं आती और शिक्षक को ट्रांसफर होने के डर से मुक्ति मिल जाती है।
गरीब बच्चों को विभाग की ओर से मुक्त किताबें, स्टाईपेंड दिया जाता है, जिससेे पाने के लिए दो जगह पर विद्यार्थी दाखिले ले लेते हैं।
कुछ विद्यार्थी अगर गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूल में पढ़ रहे होते हैं, तो उस स्कूल के बंद होने के डर के कारण भी सरकारी स्कूल में भी दाखिला लेते हैं ताकि उनका साल खराब होने से बच जाए।
निदेशालय की ओर से डीईईओ को दिए आदेश
सभी खंडों के बीईओ को बनाया गया कंट्रोलर, मुख्याध्यापक करेंगे जांच
दस दिन के अंदर निदेशालय को भेजनी होगी रिपोर्ट
कम बच्चों वाले स्कूल होंगे बंद
विभाग की ओर से कुछ दिन पहले ही छात्रों की संख्या मांगी गई है। इसके तहत चालीस के कम बच्चों वाले स्कूलों के समायोजन की बात कही गई है। इसके लिए संबंधित स्कूल प्रबंधक कमेटी की सहमति भी मांगी गई है। छात्रों की संख्या का ब्यौरा मांगे जाने की यह भी मुख्य कारण हो सकता है।
निदेशालय की ओर से सभी प्राइमरी और मिडिल स्कूल के फर्जी दाखिलों का ब्यौरा मांगा गया है। इसके तहत सभी बीईओ को कंट्रोलर नियुक्त किया गया है। बीस दिसंबर तक जांच रिपोर्ट निदेशालय को भेजनी होगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
- सरोज बाला गुर, डीईईओ, करनाल
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