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सरकारी कॉलेजों में लेक्चरर के लिए मुश्किल होगी ग्रामीण सेवा की डगर
चंडीगढ़ : सरकारी कॉलेजों में कार्यरत लेक्चरर के लिए ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी के नियम सरकार ने और कड़े कर दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लिए तय निर्धारित अवधि एक्टिव सर्विस की ही मानी जाएगी। सेवाकाल के दौरान ली गई छुट्टियां इसमें काउंट नहीं होंगी। उच्च शिक्षा विभाग ने ग्रामीण सेवा की विभागीय नीति में संशोधन किया है। संशोधित नीति इसी सप्ताह से लागू मानी जाएगी। सिर्फ मातृत्व अवकाश को एक्टिव सर्विस में जोड़ा जाएगा।
चाइल्ड केयर लीव, अर्जित अवकाश, एक्सट्रा आर्डिनरी लीव, स्टडी लीव और शहरी क्षेत्र में प्रतिनियुक्ति की अवधि एक्टिव सर्विस में अब नहीं जुड़ेगी। ग्रामीण सेवाओं के दायरे से इन अवकाश को बाहर कर दिया गया है। सरकार ने ये निर्णय ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में लेक्चरर की कमी को पूरा करने के लिए लिया है। अब लेक्चरर को अपने सेवाकाल में पांच वर्ष की नौकरी ग्रामीण क्षेत्र के कॉलेजों में करनी ही होगी। इसे दो चरणों में बांटा गया है। सीनियर स्टेज के लिए तीन वर्ष और सलेक्शन ग्रेड के लिए ये अवधि दो वर्ष है। अगर लेक्चरर ग्रामीण कॉलेज में सेवाएं नहीं देता है तो उसे न तो सीनियर लेक्चरर का दर्जा मिलेगा, न ही सलेक्शन ग्रेड।
उच्च शिक्षा विभाग के महानिदेशक अंकुर गुप्ता की ओर से जारी पत्र के अनुसार 23 दिसंबर से संशोधित विभागीय नीति लागू हो गई है। इसका पालन न करने वाले लेक्चरर को विभागीय लाभ मिलने में देरी होगी। उन्होंने बताया कि पहले मातृत्व सहित सभी तरह के अवकाश को ग्रामीण सेवा के कार्यकाल में जोड़ा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। चूंकि बहुत से लेक्चरर ग्रामीण सेवाएं कम से कम समय देने के लिए तरतह-तरह की छुट्टियां पांच वर्ष की अवधि में ले लेते थे, जिससे मुख्य उद्देश्य पूरा नहीं हो पाता था।
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