पंचकूला/चंडीगढ़ : हरियाणा के करीब 2600 स्कूलों के कंप्यूटर आज शट डाऊन हो गये। सरकारी स्कूलों के 3000 कंप्यूटर शिक्षकों ने सोमवार को कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया है। इनकी मांग है कि जब तक हरियाणा सरकार कंप्यूटर शिक्षकों को निजी कंपनियों के शोषण से मुक्त कर नयी योजना के तहत उन्हें शिक्षा विभाग में समायोजित नहीं करती, उनका बहिष्कार जारी रहेगा। प्रदेश में सरकारी स्कूलों में कल से विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। राज्य के विभिन्न जिलों से आए करीब 1000 कंप्यूटर शिक्षकों ने आज कंप्यूटर टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के बैनर तले पंचकूला के शिक्षा सदन के पीछे अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष बलराम धीमान, प्रदेश प्रवक्ता सुरेश नैन ने बताया कि कंप्यूटर अध्यापकों की 2013 में शिक्षा विभाग व पूर्व की हुड्डा सरकार द्वारा संचालित सीडेक-मोहाली द्वारा लिखित परीक्षा लेकर मेरिट सूची के आधार पर नियुक्ति हुई थी। सभी उम्मीदवारों की योग्यता हरियाणा सर्विस रूल 2012 के तहत पीजीटी (कंप्यूटर साइंस) एमसीए, एमएससी, एम-टैक, बी-टैक और पीएचडी अध्यापक शामिल हैं। उन्होंने रोष व्यक्त करते हुए बताया कि पूर्व हुड्डा सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा उनका चयन किए जाने के बावजूद उन्हें गलत नीतियों के चलते 3 निजी कंपनियों को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने गत वर्ष इस विवाद को देखते हुए आदेश जारी करते हुए सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किए गए थे कि कंप्यूटर शिक्षकों की मासिक हाजरी की रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा करावाई जाए साथ ही शिक्षकों का वेतन कंपनियों को न देकर सीधे तौर पर कंप्यूटर शिक्षकों को देने के आदेश जारी किए गए थे। धरनाधारियों ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि एक वर्ष से शिक्षकों को वेतन नहीं मिल रहा है। हरियाणा की मौजूदा सरकार की ओर से भी इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने दावा किया कि नियुक्ति के समय प्रत्येक शिक्षक से 24000 रुपए सिक्योरिटी और 2250 प्रशिक्षण शुल्क के तौर पर लिया गया, वहीं सरकार द्वारा प्रदेश के सभी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य किए जाने के बावजूद बच्चों को अभी तक कंप्यूटर की किताबें उपलब्ध नहीं करवाई गई हैं। धीमान ने बताया कि शिक्षा विभाग द्वारा हालांकि उनकी आपत्तियों पर कंपनियों की जांच की जा चुकी है, लेकिन बीती 6 जनवरी को वित्तायुक्त टीसी गुप्ता द्वारा कंपनियों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में भी फैसला नहीं हो सका
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