योजना आयोग की जगह नीति आयोग



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योजना आयोग की जगह नीति आयोग
‘नेशनल इंस्टीट्यूशन ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ यानी ‘एनआईटीआई’ को हिंदी में नीति आयोग नाम दिया
अमर उजाला ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ‘योजना आयोग’ को खत्म कर उसकी जगह ‘नीति आयोग’ बनाने की औपचारिक घोषणा कर दी है। 65 साल पुराने योजना आयोग के खत्म होने के साथ योजनाओं के निर्माण से लेकर उन पर अमल की दशकों पुरानी एक परंपरा का अंत हो गया है। ऐसा पहली बार होगा जब केंद्रीय संगठन के रूप में नीति आयोग राज्यों को कोष तो आवंटित करेगा ही, राज्यों में योजनाओं को लागू भी करेगा। इसके अस्तित्व में आने के बाद केंद्रीय योजनाओं की संख्या में भी काफी कमी आएगी। योजना आयोग को नेहरू के समाजवादी विकास मॉडल को क्रियान्वित करने का एक तरीका माना जाता था। ‘नेशनल इंस्टीट्यूशन ऑफ ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया’ यानी ‘एनआईटीआई’ को हिंदी में नीति आयोग नाम दिया गया है।
‘मजबूत राज्यों से मजबूत राष्ट्र का निर्माण’ के सिद्धांत पर गठित नीति आयोग के बारे में वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह सरकार के लिए एक थिंक टैंक का काम करेगा। साथ ही, राज्यों की सहभागिता से उनके लिए योजनाएं बनाएगा और उन्हें क्रियान्वित भी करेगा। उन्होंने कहा कि अब देश के सभी राज्यों के लिए एक समान योजना नहीं बनेगी।
शेष पेज 4 पर
•65 साल पुराना आयोग खत्म दशकों पुरानी परंपरा का अंत
ऐसा होगा पीएम के दबदबे वाला नीति आयोग
•प्रधानमंत्री आयोग के अध्यक्ष होंगे और वह उपाध्यक्ष को नियुक्त करेंगे।
•केंद्रीय मंत्रिमंडल के अधिकतम चार सदस्य भी पीएम द्वारा नामित किए जाएंगे।
•आयोग में किसी खास क्षेत्र के विशेषज्ञ को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा और उन्हें पीएम नामित करेंगे। इसमें कुछ पूर्णकालिक और कुछ अंशकालिक सदस्य होंगे।
•प्रशासनिक कामकाज देखने के लिए एक मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) होंगे, जो कि पीएम द्वारा नियुक्त किए जाएंगे। इनका निश्चित कार्यकाल व दर्जा भारत सरकार के सचिव के बराबर।
•इसके प्रशासनिक परिषद में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल होंगे। इसमें क्षेत्रीय परिषदों का भी प्रावधान है, जो किसी क्षेत्र या एक से ज्यादा राज्यों के विशेष मसलों को देखेगा।
हमें आशा है कि नीति आयोग के जरिए हर व्यक्ति तक विकास का फल पहुंचेगा। हमने सभी के लिए एक ही पैमाने के सिद्धांत को खत्म कर दिया है। -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
देश के विकास का खाका खींचेगा
•स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने की थी आयोग में बदलाव की घोषणा
•योजना आयोग की तरह पीएम होंगे अध्यक्ष और नामित करेंगे उपाध्यक्ष
•नीति आयोग राज्यों को कोष देने के साथ योजनाओं को लागू भी करेगा
•केंद्रीय योजनाओं की संख्या घटेगी
•विकसित, विकासशील और पिछड़े राज्यों की योजनाएं अलग होंगी
कांग्रेस और नेहरूवाद के खिलाफ इसके मूल ढांचे को बदला जा रहा है जो स्वीकारयोग्य नहीं है।
-अभिषेक मनु सिंघवी, कांग्रेस
क्या होगा बदलाव
नीति आयोग बनने से सबसे बड़ा बदलाव देश में योजनाओं के निर्माण और उनके क्रियान्वयन में होगा। योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए केंद्र राज्यों को धन देता था। राज्यों की सबसे बड़ी शिकायत यही थी कि उन्हें कई केंद्रीय योजनाओं को बेवजह ढोना पड़ता है। पिछले दिनों योजना आयोग में बदलाव के मसले पर मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी अधिकतर ने यह मुद्दा उठाया था। नीति आयोग के जरिए सरकार ने राज्यों की इस मांग को काफी हद तक पूरा करने की कोशिश की है।

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