एचसीएस भर्ती मामले हाईकोर्ट सक्रिय उत्तर पुस्तिकाओं में पाई खामियां



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30 से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं की हाईकोर्ट कर रहा जांच
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा में चौटाला शासनकाल के दौरान हुई एचसीएस भर्ती में चयनित उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने खामियां पाई हैं। जस्टिस राजीव भल्ला पर आधारित डिवीजन बेंच ने वीरवार को उत्तर पुस्तिकाओं की जांच शुरू कर दी। यह जांच मंगलवार 27 जनवरी को भी जारी रहेगी। करीब 30 से अधिक उत्तर पुस्तिकाओं की जांच की जानी है।
बेंच द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं की जांच शुरू किए जाने पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों एडवोकेट कंवलजीत सिंह और एडवोकेट अजयवीर सिंह ने इनमें खामियां गिनानी शुरू कर दीं। पड़ताल के बाद बेंच ने भी खामियां पाईं। यह पड़ताल हाईकोर्ट की विजिलेंस शाखा की ओर से पहले की जा चुकी पड़ताल के आधार पर की जा रही है। इसके अतिरिक्त यदि कोई और खामी है, तो वह भी बेंच परखेगी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि कम दक्षता वाले उम्मीदवारों को अधिक अंक देकर दक्ष उम्मीदवारों को पीछे धकेला गया है। यह आरोप भी है कि जिन उम्मीदवारों के लिखित परीक्षा में कम अंक थे, उन्हें इंटरव्यू में काफी अधिक अंक देकर उनका चयन कर लिया गया। याचिका में हवाला दिया गया कि ऐसी प्रक्रिया अपनाने के बाद असफल उम्मीदवारों में सेे दो तो बाद में आईएएस भी बन गए।
पिछली सुनवाई पर हाईकोर्ट ने एचसीएस भर्ती में एचपीएससी से पूछा था कि उत्तर पुस्तिकाएं मूल्यांकन के लिए भेजने की क्या प्रक्रिया है। यह फैसला कौन लेता है। मूल्यांकन कैसे किया जाता है और किन-किन एग्जामिनर्स ने मूल्यांकन किया। एग्जामिनर्स की सूची भी हाईकोर्ट ने तलब की थी। यह समूची जानकारी हाईकोर्ट में पेश किए जाने के बाद बेंच ने उत्तर पुस्तिकाओं की पड़ताल का फैसला लिया था। हरियाणा सरकार ने भी चौटाला शासनकाल में हुई 65 एचसीएस अधिकारियों की भर्ती में गड़बड़ी की बात स्वीकारी थी। हालांकि सरकार इस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी कि इस मामले में क्या किया जाना है। हाईकोर्ट ने सरकार के इस रवैये को गंभीरता से लेते हुए सभी वादी व प्रतिवादियों का पक्ष सुनना शुरू किया था।
हरियाणा में आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों की भर्ती पर फैसला सुरक्षित
जाट आरक्षण मामले में रोड़ जाति भी बनी प्रतिवादी
चंडीगढ़(ब्यूरो)। हरियाणा में जाटों को आरक्षण देने के विरोध में दाखिल याचिका की सुनवाई के दौरान रोड़ जाति के लोगों ने भी खुद को प्रतिवादी बनने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वीरवार को अर्जी दायर की। हाईकोर्ट ने अरजी स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। सरकार ने रोड़ जाति को भी आरक्षण की सूची में शामिल किया है, लेकिन जाटों व रोड़ समेत पांच जातियों को आरक्षण दिए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सही सर्वेक्षण कराए बिना आरक्षण लागू कर दिया, इसलिए आरक्षण रद्द किया जाए।
पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने एमडीयू रोहतक के माध्यम से हरियाणा सरकार द्वारा करवाए सर्वे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि करीब तीन सौ ऐसे फार्म हैं, जिनमें कोई भी कालम भरा ही नहीं गया था। इसी सर्वे के आधार पर सरकार आरक्षण के लिए जाटों का उपयुक्त डाटा होने का दम भर रही थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि सर्वेक्षण के लिए तैनात अमले के उन छह अधिकारियों की ड्यूटियां लगी ही नहीं, जिनसे सर्वेक्षण करवाने का दावा किया जा रहा है। यह भी आरोप लगाया गया कि कुछ अधिकारियों ने शपथ पत्र के माध्यम से कहा कि शुरुआत में उन्होंने सर्वे किया, लेकिन सरक ार को जल्दी थी। ऐसे में उन्होंने अपने स्तर पर ही फार्म मुकम्मल कर दिए। इस पर हाईकोर्ट ने शपथ पत्र को रिकार्ड पर लेते हुए सुनवाई स्थगित कर दी थी।
अब रोड़ जाति के लोगों ने इस मामले में प्रतिवादी बनने का आग्रह किया। प्रदेश में बिश्नोई, जाट, जट सिख, रोड़ और त्यागी जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल किए जाने के खिलाफ याचिकाएं दायर हुई हैं। उनमें कहा गया है कि इससे आरक्षण की संख्या अधिक हो गई है।
चंडीगढ़। हरियाणा में वर्ष 2008 के दौरान भर्ती किए गए 816 आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों की भर्ती को चुनौती देती याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस राजेश बिंदल की एकल बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। भर्ती में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इसे खारिज करने की मांग की गई थी।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2006 में इस भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था और 2008 में नियुक्ति पत्र थमा दिए गए थे। इस भर्ती के लिए उपयुक्त प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षकों की भर्ती के लिए संबंधित डिप्लोमे की शर्त भी अनिवार्य नहीं रखी गई थी, जबकि यह जरूरी था। यह भी कहा गया था कि एक चयनित उम्मीदवार की आवेदन के लिए अधिकतम आयु सीमा निकल चुकी थी, लेकिन फिर भी उसका चयन कर लिया गया। ऐसी कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए भर्ती रद्द करने की मांग की गई थी।

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