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खुल गई पोल
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड परीक्षा के पहले
ही दिन तमाम प्रबंधों, सतर्कता, एहतियात,
गोपनीयता की पोल खुल गई। लगता है शिक्षा बोर्ड
की सारी तैयारी केवल कागजों पर
थी, कुछ भी चाक चौबंद नहीं था,
इसका परिणाम तत्काल सामने आ भी गया। दस
जमा दो का अंग्रेजी का पेपर परीक्षा शुरू होने से
पहले ही लीक हो गया? चूंकि विषय महत्वपूर्ण
और कठिन है इसलिए
आशंका थी कि परीक्षा केंद्रों पर
बाहरी हस्तक्षेप न हो जाए, हाईटेक तरीके से
नकल का मामला सामने न आ जाए लेकिन तमाम आशंकाएं-अटकलें
धरी रह गई और शातिरों ने इनसे कहीं आगे जाकर
पेपर ही लीक करा दिया। हालांकि शिक्षा बोर्ड ने
परीक्षा रद करने का ऐलान किया है पर क्या इससे
उसकी साख और विद्यार्थियों को हुए नुकसान
की क्षतिपूर्ति संभव है? एक बार फिर साबित हो गया कि नियम,
कानून या व्यवस्थाएं बनाने ,उन्हें लागू करने वालों से कहीं अधिक
तेज हैं कानून तोड़ने वाले, नियमों की खिल्ली उड़ाकर
व्यवस्था को तार-तार करने वाले। प्रश्न पत्र लीक होने
का सीधा सा अर्थ है कि निगरानी तंत्र में
कहीं न कहीं गंभीर चूक है। 1 यह
गहन जांच का विषय है कि क्या पर्चा लीक करने वालों के तार
शिक्षा बोर्ड के मुख्यालय से जुड़े हैं या स्थानीय स्तर पर बने
परीक्षा केंद्र से? नियम है कि पेपर परीक्षा आरंभ
होने से कुछ घंटे संबंधित शहर भेजे जाते हैं जहां विशेष फ्लाइंग स्क्वैड
की निगरानी में रहते हैं। यह दल शिक्षा बोर्ड
कर्मचारियों का होता है। इस बार बोर्ड ने व्यवस्था में कुछ बदलाव करते हुए
बोर्डकर्मियों के बजाय शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के विशेष दस्ते बना कर
प्रश्नपत्र उनकी सुपुर्दगी में भेजे। समझ से
बाहर है कि शिक्षा बोर्ड ने ऐसा निर्णय किस आधार पर लिया। क्या यह माना जाए
कि बोर्ड का निर्णय अव्यावहारिक था जिसके कारण परस्पर तालमेल
नहीं हुआ और तैयारी और
गोपनीयता को पलीता लग गया? शिक्षा बोर्ड ने दावे
किए थे कि नकल किसी कीमत पर
नहीं होने दी जाएगी और नई
व्यवस्था के तहत इस बार निजी स्कूलों के
शिक्षकों की परीक्षा में
ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी। 241
उड़नदस्तों के गठन के अलावा सेंटर
अधीक्षकों की रिजर्व सूची तक बनाई
गई ताकि किसी स्तर पर असहज स्थिति पैदा न हो। बोर्ड का अहम
दायित्व अब यह है कि पेपर लीक होने से विद्यार्थियों को हुए
नुकसान की भरपाई के उपाय तत्काल करे,
कार्यशैली व
प्रबंधों की पुन:समीक्षा करे ताकि व्यवस्था पर पेपर
लीक जैसा तमाचा फिर न लगे।
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