मूर्ख दिवस का इतिहास April fool


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मूर्ख दिवस का इतिहास
मूर्ख दिवस का इतिहास का बहुत ही पुराना है. इस संदर्भ में पहला संबंध चॉसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में पाया जाता है. ब्रिटिश लेखक चॉसर की किताब ‘द कैंटरबरी टेल्स‘ में कैंटरबरी नाम के एक कस्बे का जिक्र है. इसमें इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा होती है जिसे कस्बे के लोग सही मानकर मूर्ख बन जाते हैं. तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है.
हालांकि बहुत से लोगों का मानना है कि मूर्ख दिवस की शुरूआत 17वीं सदी से हुई. इस मजेदार दिन की शुरूआत की कहानी भी बड़ी मनोरंजक है. 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों में एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था, जिसमें हर नया वर्ष पहली अप्रैल से शुरू होता था. उन दिनों पहली अप्रैल के दिन को लोग नववर्ष के प्रथम दिन की तरह ठीक इसी प्रकार मनाते थे, जैसे आज हम पहली जनवरी को मनाते हैं.
इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलकर बधाइयां देते थे और वह सब काम करते थे जो हम नए साल के दिन करते हैं. सन 1564 में वहां के राजा चार्ल्स नवम ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया. इस नए कैलेंडर में आज की तरह 1 जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था. अधिकतर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था. वह पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे. ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने पहली अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मजाक करने और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए और तभी से आज तक पहली अप्रैल को लोग ‘फ़ूल्स डे’ के रूप में मनाते हैं

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