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जाति प्रमाण पत्र का कॉलम बना जी का जंजाल
ऑनलाइन हो रहा शिक्षा विभाग नई नई पेचीदगियों से
उलझ रहा है। अब जाति प्रमाण पत्र से मुश्किल ऐसी खड़ी
हो गई कि स्कूल मुखियाओं के साथ साथ बच्चे भी परेशान हैं।
बच्चों की परेशानी अभिभावकों के लिए दुविधा बनी हुई
है। खेतों में काम का समय है। इधर शिक्षा विभाग ने फरमान
जारी किया है कि बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनवाए
जाएं। अभिभावक काम छोड़कर तहसील कार्यालयों में
चक्कर लगा रहे हैं। जाति प्रमाण पत्र
बनवाने की प्रक्रिया इतनी लंबी है कि हर कोई परेशान है। शिक्षक विभाग
से गुहार लगा रहे हैं कि इस प्रक्रिया में बदलाव किया जाए। लेकिन
फिलहाल कोई चारा नजर नहीं आ रहा। दरअसल, स्कूलों में बच्चों से
संबंधित सभी प्रकार की जानकारी ऑनलाइन की जा रही है। इसके
लिए विशेष फोरमैट है, जिसे पूरा किया जाना जरूरी है। इस फोरमैट
में एक कॉलम जाति संबंधी है। साथ में लिखा है कि जाति प्रमाण
पत्र की संख्या भी लिखें। इस समय तकरीबन किसी बच्चे के पास
जाति प्रमाण पत्र नहीं है। अजीब बात देखिए, पिता का जाति
प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। वेबसाइट पर संबंधित कॉलम के आगे स्टार
लिखा हुआ है, जिसका मतलब है कि यह कॉलम भरा जाना आवश्यक
है। यानी इस कॉलम में कुछ न लिखा तो प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी।
शिक्षक संघ ने सुझाया रास्ता इस फरमान के चलते स्कूल मुखिया भी
कम परेशान नहीं है। विभाग ने तो साफ कहा है कि काम करना है,
समय पर करना है और किसी सूरत में बच्चों की संख्या भी नहीं
घटनी चाहिए। मगर स्कूल मुखियाओं का डर है कि बच्चे प्रोसेस से
परेशान होकर निजी स्कूलों में न चले जाएं। इसलिए राजकीय
शिक्षक संघ ने एक सुझाव भी दिया है। कहा है कि सरकारी नियम
के मुताबिक बच्चे का जाति प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से
होना जरुरी नहीं है। गांव का सरपंच, नंबरदार या पार्षद भी
तस्दीक कर सकता है। बकायदा संघ ने एक पत्र दिखाया है जो
अंबाला के तहसीलदार द्वारा जारी किया गया है। यह पत्र भी
इस मसले को लेकर डीईओ के नाम लिखा गया है। फिलहाल विभाग
की प्रतिक्रिया का इंतजार है। शायद विभाग मान जाए।
उलझ रहा है। अब जाति प्रमाण पत्र से मुश्किल ऐसी खड़ी
हो गई कि स्कूल मुखियाओं के साथ साथ बच्चे भी परेशान हैं।
बच्चों की परेशानी अभिभावकों के लिए दुविधा बनी हुई
है। खेतों में काम का समय है। इधर शिक्षा विभाग ने फरमान
जारी किया है कि बच्चों के जाति प्रमाण पत्र बनवाए
जाएं। अभिभावक काम छोड़कर तहसील कार्यालयों में
चक्कर लगा रहे हैं। जाति प्रमाण पत्र
बनवाने की प्रक्रिया इतनी लंबी है कि हर कोई परेशान है। शिक्षक विभाग
से गुहार लगा रहे हैं कि इस प्रक्रिया में बदलाव किया जाए। लेकिन
फिलहाल कोई चारा नजर नहीं आ रहा। दरअसल, स्कूलों में बच्चों से
संबंधित सभी प्रकार की जानकारी ऑनलाइन की जा रही है। इसके
लिए विशेष फोरमैट है, जिसे पूरा किया जाना जरूरी है। इस फोरमैट
में एक कॉलम जाति संबंधी है। साथ में लिखा है कि जाति प्रमाण
पत्र की संख्या भी लिखें। इस समय तकरीबन किसी बच्चे के पास
जाति प्रमाण पत्र नहीं है। अजीब बात देखिए, पिता का जाति
प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। वेबसाइट पर संबंधित कॉलम के आगे स्टार
लिखा हुआ है, जिसका मतलब है कि यह कॉलम भरा जाना आवश्यक
है। यानी इस कॉलम में कुछ न लिखा तो प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ेगी।
शिक्षक संघ ने सुझाया रास्ता इस फरमान के चलते स्कूल मुखिया भी
कम परेशान नहीं है। विभाग ने तो साफ कहा है कि काम करना है,
समय पर करना है और किसी सूरत में बच्चों की संख्या भी नहीं
घटनी चाहिए। मगर स्कूल मुखियाओं का डर है कि बच्चे प्रोसेस से
परेशान होकर निजी स्कूलों में न चले जाएं। इसलिए राजकीय
शिक्षक संघ ने एक सुझाव भी दिया है। कहा है कि सरकारी नियम
के मुताबिक बच्चे का जाति प्रमाण पत्र तहसील कार्यालय से
होना जरुरी नहीं है। गांव का सरपंच, नंबरदार या पार्षद भी
तस्दीक कर सकता है। बकायदा संघ ने एक पत्र दिखाया है जो
अंबाला के तहसीलदार द्वारा जारी किया गया है। यह पत्र भी
इस मसले को लेकर डीईओ के नाम लिखा गया है। फिलहाल विभाग
की प्रतिक्रिया का इंतजार है। शायद विभाग मान जाए।
इसलिए चाहिए जाति की जानकारी: सरकार द्वारा
पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति के बच्चों को कई प्रकार के
लाभ दिए जाते हैं। इस लाभ के लिए जाति प्रमाण मांगा
जाता है। व्यवहारिक तौर पर देखें तो अभिभावक का
जाति प्रमाण पत्र मान्य होना चाहिए। लेकिन फिलहाल
विभाग बच्चों के जाति प्रमाण चाहता है।
पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति के बच्चों को कई प्रकार के
लाभ दिए जाते हैं। इस लाभ के लिए जाति प्रमाण मांगा
जाता है। व्यवहारिक तौर पर देखें तो अभिभावक का
जाति प्रमाण पत्र मान्य होना चाहिए। लेकिन फिलहाल
विभाग बच्चों के जाति प्रमाण चाहता है।
अब नहीं आएगी दिक्कत: फतेहाबाद के जिला शिक्षा
अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त वर्मा का कहना है कि हमने
उच्चाधिकारियों से बात कर ली है। जल्द ही ऑनलाइन
फोरमैट से स्टार हटा दिया जाएगा। यानी इस कॉलम को
खाली छोड़ा जा सकता है और बाद में भरा जा सकता है।
अधिकारी डॉ. यज्ञदत्त वर्मा का कहना है कि हमने
उच्चाधिकारियों से बात कर ली है। जल्द ही ऑनलाइन
फोरमैट से स्टार हटा दिया जाएगा। यानी इस कॉलम को
खाली छोड़ा जा सकता है और बाद में भरा जा सकता है।
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