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प्रदेश सरकार को दिया आदेश, पुराने स्कूल की सेवा जोड़कर अध्यापक को दें पेंशन
संस्थान बदलने से पद की प्रकृति नहीं बदलती
सुरजीत सिंह सत्ती
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जितेंद्र चौहान की बेंच ने एक अहम फैसले में कहा है कि संस्थान बदलने से सरकारी सहायता प्राप्त पद की प्रकृति नहीं बदलती। यह टिप्पणी एक अध्यापक की पेंशन तय करते वक्त उसे एक अन्य स्कूल में दी गई सेवा का लाभ न मिलने पर की गई है। बेंच ने आदेश दिया है कि अध्यापक की पेंशन चार महीने में दोबारा तय की जाए और ऐसा करते वक्त पुराने स्कूल की सेवा अवधि भी जोड़ी जाए।
दरअसल, राधेश्याम नामक शिक्षक ने हरिमन गौरावती हाई स्कूल में एक अगस्त 1977 से चार सितंबर 1979 तक गणित के अध्यापक के तौर पर सेवा दी थी। उन्होंने इस स्कूल के प्रबंधन से मंजूरी लेकर यमुनानगर के ही मुकंदलाल नेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल में गणित शिक्षक पद के लिए आवेदन किया था। चयन होने पर वह मुकंद लाल स्कूल में नौकरी करने लगे थे। इस बीच 31 दिसंबर 2003 को वह सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उन्हें पेंशन एक सितंबर 1981 केहिसाब से ही मिली।
राधेश्याम ने पुराने सेवा काल को जोड़कर पेंशन की मांग को लेकर साल 2010 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में राधेश्याम ने कहा कि वह हरिमन स्कूल में भी सेवा दे चुके हैं। वह अपने हिस्से का पीएफ लगातार जमा करा रहे हैं। ऐसे में उनकी सेवा लगातार है। ऐसे में पुरानी सेवा अवधि के लाभ भी दिए जाएं। हाईकोर्ट ने कहा कि वह सरकार को मांग पत्र दें और सरकार को निर्देश दिया कि लगातार सेवा बनती है तो लाभ दिए जाएं। सरकार ने पिछली सेवा के लाभ नहीं दिए और राधेश्याम ने दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। नोटिस जारी होने पर सरकार ने कहा कि सेवा में ब्रेक है। राधेश्याम का पांच सितंबर 1979 से लेकर एक सितंबर 1981 तक पीएफ जमा नहीं हुआ। वैसे भी उन्होंने दो अलग-अलग संस्थानों में नौकरी की। लिहाजा पिछली सेवा के लाभ नहीं दिए जा सकते।
सरकार ने यह भी कहा कि डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन से सेवा की कंटिन्यूटी नहीं ली गई। राधेश्याम ने हाईकोर्ट को बताया कि वह अपने हिस्से का पीएफ लगातार जमा करवाते आए हैं। दोनों स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं और दोनों में उन्होंने स्वीकृत पद पर सेवा दी है। अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब दोनों स्कूलों को सरकारी सहायता प्राप्त है और दोनों में राधेश्याम ने स्वीकृत पद पर सेवा दी है, ऐसे में संस्थान भले ही अलग हों, लेकिन सरकारी सहायता प्राप्त पद की किस्म नहीं बदली। लिहाजा, सरकार पुरानी सेवा को जोड़कर चार महीने में पेंशन का लाभ दे। इतना ही नहीं यदि कोई एरियर बनता है, तो वह भी अदा करे।
शिक्षक के रिटायर होने पर स्कूल ने पुराने संस्थान की सेवा को पेंशन में नहीं जोड़ा था
अदालत ने पुराने संस्थान के कार्यकाल को जोड़कर रिटायरमेंट लाभ देने को कहा
संस्थान बदलने से पद की प्रकृति नहीं बदलती
सुरजीत सिंह सत्ती
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस जितेंद्र चौहान की बेंच ने एक अहम फैसले में कहा है कि संस्थान बदलने से सरकारी सहायता प्राप्त पद की प्रकृति नहीं बदलती। यह टिप्पणी एक अध्यापक की पेंशन तय करते वक्त उसे एक अन्य स्कूल में दी गई सेवा का लाभ न मिलने पर की गई है। बेंच ने आदेश दिया है कि अध्यापक की पेंशन चार महीने में दोबारा तय की जाए और ऐसा करते वक्त पुराने स्कूल की सेवा अवधि भी जोड़ी जाए।
दरअसल, राधेश्याम नामक शिक्षक ने हरिमन गौरावती हाई स्कूल में एक अगस्त 1977 से चार सितंबर 1979 तक गणित के अध्यापक के तौर पर सेवा दी थी। उन्होंने इस स्कूल के प्रबंधन से मंजूरी लेकर यमुनानगर के ही मुकंदलाल नेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल में गणित शिक्षक पद के लिए आवेदन किया था। चयन होने पर वह मुकंद लाल स्कूल में नौकरी करने लगे थे। इस बीच 31 दिसंबर 2003 को वह सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन उन्हें पेंशन एक सितंबर 1981 केहिसाब से ही मिली।
राधेश्याम ने पुराने सेवा काल को जोड़कर पेंशन की मांग को लेकर साल 2010 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में राधेश्याम ने कहा कि वह हरिमन स्कूल में भी सेवा दे चुके हैं। वह अपने हिस्से का पीएफ लगातार जमा करा रहे हैं। ऐसे में उनकी सेवा लगातार है। ऐसे में पुरानी सेवा अवधि के लाभ भी दिए जाएं। हाईकोर्ट ने कहा कि वह सरकार को मांग पत्र दें और सरकार को निर्देश दिया कि लगातार सेवा बनती है तो लाभ दिए जाएं। सरकार ने पिछली सेवा के लाभ नहीं दिए और राधेश्याम ने दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। नोटिस जारी होने पर सरकार ने कहा कि सेवा में ब्रेक है। राधेश्याम का पांच सितंबर 1979 से लेकर एक सितंबर 1981 तक पीएफ जमा नहीं हुआ। वैसे भी उन्होंने दो अलग-अलग संस्थानों में नौकरी की। लिहाजा पिछली सेवा के लाभ नहीं दिए जा सकते।
सरकार ने यह भी कहा कि डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन से सेवा की कंटिन्यूटी नहीं ली गई। राधेश्याम ने हाईकोर्ट को बताया कि वह अपने हिस्से का पीएफ लगातार जमा करवाते आए हैं। दोनों स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल हैं और दोनों में उन्होंने स्वीकृत पद पर सेवा दी है। अब हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि जब दोनों स्कूलों को सरकारी सहायता प्राप्त है और दोनों में राधेश्याम ने स्वीकृत पद पर सेवा दी है, ऐसे में संस्थान भले ही अलग हों, लेकिन सरकारी सहायता प्राप्त पद की किस्म नहीं बदली। लिहाजा, सरकार पुरानी सेवा को जोड़कर चार महीने में पेंशन का लाभ दे। इतना ही नहीं यदि कोई एरियर बनता है, तो वह भी अदा करे।
शिक्षक के रिटायर होने पर स्कूल ने पुराने संस्थान की सेवा को पेंशन में नहीं जोड़ा था
अदालत ने पुराने संस्थान के कार्यकाल को जोड़कर रिटायरमेंट लाभ देने को कहा
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