ये कैसी परीक्षा, अनुपस्थित बच्चे भी हो गए पास



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ये कैसी परीक्षा, अनुपस्थित बच्चे भी हो गए पास

हिसार। अगली कक्षा में दाखिले के लिए परीक्षा पार करनी
होती, जिसके लिए बाकायदा सभी स्कूलों में परीक्षा कराई
जाती है। मगर राजकीय प्राथमिक मिडिल विद्यालयों में हुई
परीक्षा में शिक्षा का अधिकार कानून का तर्क देते हुए अनुपस्थित
बच्चों को भी पास किया गया है। सवाल है कि जब सभी बच्चे
पास होने थे तो भी पेपर और कॉपियों पर लाखों रुपये खर्च क्यों
किए गए।
राजकीय प्राथमिक मिडिल विद्यालयों में 12 से 28 मार्च तक
पहली से आठवीं तक की परीक्षा कराई गई। तीन दिन पहले
परीक्षाओं का परिणाम जारी किया गया, मगर परीक्षाओं का
जो परिणाम जारी किया वह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़
करने वाला है। परीक्षाओं में उन बच्चों को भी पास किया गया है
जिन्होंने पेपर ही नहीं दिया। विभागीय अधिकारियों के पास
इन सवालों का भी गोलमोल सा जवाब है। जिले में प्राइमरी
स्कूलों की संख्या 530 है, जिसमें 78 हजार बच्चे पढ़ते हैं। मिडिल स्कूल
98 हैं।
रिकार्ड के मुताबिक, इन स्कूलों में भी 48 हजार बच्चे पढ़ाई करते हैं।
परीक्षा परिणाम जारी होने के बाद विभाग के एक आंकड़े के
मुताबिक पूरे जिले में करीब 15 फीसदी बच्चे परीक्षाओं के दौरान
अनुपस्थित रहे थे। ऐसे बच्चों को भी पास किया गया है।
नियम का हवाला देकर बच्चों को किया गया पास
दरअसल, 2009 में विभाग ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू
किया था। कानून के तहत प्रावधान है कि आठवीं तक के बच्चों को
फेल न किया जाए। तभी से बच्चों को पास करने का सिलसिला
चल रहा है।


परीक्षाओं में बदलाव पर उठ रहे सवाल
पहला सवाल : 6 से 8वीं तक की परीक्षाएं दो सेमेस्टर में कराई
जाती हैं, लेकिन इस बार निदेशालय ने मार्च में पूरे सेमेस्टर की
परीक्षा कराई।

दूसरा सवाल : परीक्षा के लिए स्थानीय स्तर पर ही पेपर तैयार
होते थे, लेकिन इस बार निदेशालय ने खुद पेपर तैयार किए। जब इस
परीक्षा का कोई औचित्य ही नहीं था तो पेपर तैयार करने का
क्या मतलब।

तीसरा सवाल : निदेशालय ने पारदर्शिता का हवाला देकर
निर्देश जारी किए थे कि परीक्षा में शिक्षक अपने स्कूल में ड्यूटी
नहीं देगी। इससे परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
अनुपस्थित बच्चों को इस आधार पर दिए गए नंबर
परीक्षा के दौरान 75 नंबर का पेपर आया था। इसके अलावा 25
नंबर बच्चे की गतिविधियां जैसे प्रोजेक्ट और उपस्थित आदि को
देखकर दिए जाते हैं। इन्हें जोड़-तोड़ कर अनुपस्थित रहने वाले बच्चों
को 33 नंबर तक दिए गए, जिसमें बच्चों को पास किया है।

कमजोर हो रहा बच्चों का स्तर
'शिक्षा का अधिकार कानून के तहत बच्चों को पास तो किया
जा रहा है, मगर इससे बच्चे का स्तर कमजोर हो रहा है। ऐसे बच्चे का
भविष्य अंधेरे की तरफ धकेला रहा है।' रामकिशन पुनिया, पूर्व राज्य
उपप्रधान हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ

नियम के तहत पास किया गया
'पहली से आठवीं तक के बच्चों को फेल नहीं करने का प्रावधान है।
विभाग के इस नियम के तहत ही बच्चों को पास किया गया
है।' बलजीत सिंह सहरावत, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी।

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