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जेबीटी को मिल सकती है जल्द नियुक्ति!
दयानंद शर्मा, चंडीगढ़ ।
9870 चयनित जेबीटी उम्मीदवारों में से उनको जल्द नियुक्ति की सौगात मिल सकती है जिन्होंने एचटेट की परीक्षा 2011 में पास की हुई है। दरअसल वर्ष 2011 में हुई एचटेट परीक्षा की वीडियोग्राफी हुई थी और इसी को आधार बना कर हाईकोर्ट में कई उम्मीदवारों ने याचिका दायर की। एचटेट-2011 पास कर चयनित हुए जेबीटी उम्मीदवारों ने याचिका में कहा कि महासिंह केस में पारित आदेश की शिक्षा विभाग द्वारा गलत व्याख्या की जा रही है। 1 महासिंह केस में डिवीजन बेंच ने सिर्फ उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार साइंटिफिक वेरिफिकेशन के बाद नियुक्ति देने का आदेश दिया था न कि सभी चयनित जेबीटी उम्मीदवारों के थम्ब इम्प्रेशन का आदेश दिया है। 2011 में आयोजित एचटेट में सभी उम्मीदवारों की बकायदा वीडियो रिकार्डिग हुई थी जिससे साफ पता चल सकता है कि कौन व्यक्ति परीक्षा दे रहा है और नियुक्ति कौन ले रहा है। ऐसे में किसी भी प्रकार की धांधली संभव ही नहीं थी। इन उम्मीदवारों का पूरा रिकॉर्ड भिवानी बोर्ड के पास उपलब्ध है। आरटीआइ से प्राप्त सूचना के अनुसार एचटेट-2011 के परीक्षार्थियों की पूरी वीडियो रिकाडिर्ंग 235 डीवीडी में बोर्ड के पास उपलब्ध है। ऐसे में एचटेट-2011 पास कर 9870 जेबीटी भर्ती में चयनित उम्मीदवारों का साइंटिफिक वेरिफिकेशन सिर्फ एक हफ्ते में वीडियोग्राफी देख कर किया जा सकता है। 1 9870 चयनित जेबीटी में से 90 प्रतिशत ने तो एचटेट-2011 पास किया हुआ है और ऐसे में सिर्फ स्टेट पास कर चयनित हुए चंद उम्मीदवारों के थम्ब इम्प्रेशन की जांच तो मधुबन लैब सिर्फ एक महीने में करने में सक्षम है। याचिकाकर्ता के वकील राजेश बंसल ने हाईकोर्ट को बताया कि महासिंह केस में पात्रता परीक्षा के जिस क्लॉज 10 का हवाला दे कर थम्ब इम्प्रेशन की जांच की मांग गई थी वो तो स्टेट की वर्ष 2008 व 2009 की परीक्षा में पास हुए परीक्षार्थियों पर ही लागू होता है क्योंकि उस समय पात्रता परीक्षा की वीडियोग्राफी नहीं हुई थी और काफी अनियमितता भी सामने आई है। एचटेट-2011 के प्रॉस्पेक्ट्स में तो क्लाज 10 था ही नहीं, जिसके आधार पर महासिंह केस में याचिकाकर्ता ने थम्ब इम्प्रेशन जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एचटेट-2011 की परीक्षा के समय वीडियोग्राफी पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया था।
9870 चयनित जेबीटी उम्मीदवारों में से उनको जल्द नियुक्ति की सौगात मिल सकती है जिन्होंने एचटेट की परीक्षा 2011 में पास की हुई है। दरअसल वर्ष 2011 में हुई एचटेट परीक्षा की वीडियोग्राफी हुई थी और इसी को आधार बना कर हाईकोर्ट में कई उम्मीदवारों ने याचिका दायर की। एचटेट-2011 पास कर चयनित हुए जेबीटी उम्मीदवारों ने याचिका में कहा कि महासिंह केस में पारित आदेश की शिक्षा विभाग द्वारा गलत व्याख्या की जा रही है। 1 महासिंह केस में डिवीजन बेंच ने सिर्फ उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार साइंटिफिक वेरिफिकेशन के बाद नियुक्ति देने का आदेश दिया था न कि सभी चयनित जेबीटी उम्मीदवारों के थम्ब इम्प्रेशन का आदेश दिया है। 2011 में आयोजित एचटेट में सभी उम्मीदवारों की बकायदा वीडियो रिकार्डिग हुई थी जिससे साफ पता चल सकता है कि कौन व्यक्ति परीक्षा दे रहा है और नियुक्ति कौन ले रहा है। ऐसे में किसी भी प्रकार की धांधली संभव ही नहीं थी। इन उम्मीदवारों का पूरा रिकॉर्ड भिवानी बोर्ड के पास उपलब्ध है। आरटीआइ से प्राप्त सूचना के अनुसार एचटेट-2011 के परीक्षार्थियों की पूरी वीडियो रिकाडिर्ंग 235 डीवीडी में बोर्ड के पास उपलब्ध है। ऐसे में एचटेट-2011 पास कर 9870 जेबीटी भर्ती में चयनित उम्मीदवारों का साइंटिफिक वेरिफिकेशन सिर्फ एक हफ्ते में वीडियोग्राफी देख कर किया जा सकता है। 1 9870 चयनित जेबीटी में से 90 प्रतिशत ने तो एचटेट-2011 पास किया हुआ है और ऐसे में सिर्फ स्टेट पास कर चयनित हुए चंद उम्मीदवारों के थम्ब इम्प्रेशन की जांच तो मधुबन लैब सिर्फ एक महीने में करने में सक्षम है। याचिकाकर्ता के वकील राजेश बंसल ने हाईकोर्ट को बताया कि महासिंह केस में पात्रता परीक्षा के जिस क्लॉज 10 का हवाला दे कर थम्ब इम्प्रेशन की जांच की मांग गई थी वो तो स्टेट की वर्ष 2008 व 2009 की परीक्षा में पास हुए परीक्षार्थियों पर ही लागू होता है क्योंकि उस समय पात्रता परीक्षा की वीडियोग्राफी नहीं हुई थी और काफी अनियमितता भी सामने आई है। एचटेट-2011 के प्रॉस्पेक्ट्स में तो क्लाज 10 था ही नहीं, जिसके आधार पर महासिंह केस में याचिकाकर्ता ने थम्ब इम्प्रेशन जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि एचटेट-2011 की परीक्षा के समय वीडियोग्राफी पर करोड़ों रुपया खर्च किया गया था।
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