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प्रदेश के छह हजार बच्चों को मिले दस फीसद से कम अंक
भिवानी : बारहवीं कक्षा में पढ़ने वाले प्रदेश के करीब 6 हजार से
अधिक विद्यार्थियों का रिजल्ट 10 प्रतिशत से भी कम रहा।
इनमें लड़कों की स्थिति लड़कियों से बहुत ज्यादा बुरी है। शिक्षा
बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों के बाद प्रदेश अब
शिक्षा के गिरते स्तर का मुद्दा सुíखयों में आ चुका है। यहां गौर
करने वाली बात यह है कि फिसड्डी विद्यार्थियों में जहां
लड़कियों की संख्या कम है, वहीं, 91 से 100 प्रतिशत अंक लेने के
मामले में लड़कियां बहुत आगे हैं।
शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के
कुल 6027 छात्र-छात्रएं ऐसे हैं, जिनका परीक्षा परिणाम 0 से 10
प्रतिशत के बीच रह गया। इनमें लड़कों की संख्या 4281 व लड़कियों
की संख्या 1746 है। जाहिर है कि हजारों छात्रों का परीक्षा
परिणाम इतना गिरना शिक्षा विभाग व शिक्षा जगत दोनों के
लिए चिंता का विषय है। शिक्षा का स्तर निजी स्कूलों की
बजाए सरकारी स्कूलों में ज्यादा गिर रहा है। इसको लेकर शिक्षा
विभाग व सरकार चिंतित है। दाखिलों के समय निजी स्कूलों में
जहां मारा-मारी रहती है, वहीं सरकारी स्कूलों में बच्चों को
खोजकर लाना पड़ता है। इन परिस्थितियों से जूझने के लिए प्रदेश
सरकार को नई योजना बनानी होगी।
अधिक विद्यार्थियों का रिजल्ट 10 प्रतिशत से भी कम रहा।
इनमें लड़कों की स्थिति लड़कियों से बहुत ज्यादा बुरी है। शिक्षा
बोर्ड द्वारा घोषित परीक्षा परिणामों के बाद प्रदेश अब
शिक्षा के गिरते स्तर का मुद्दा सुíखयों में आ चुका है। यहां गौर
करने वाली बात यह है कि फिसड्डी विद्यार्थियों में जहां
लड़कियों की संख्या कम है, वहीं, 91 से 100 प्रतिशत अंक लेने के
मामले में लड़कियां बहुत आगे हैं।
शिक्षा बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के
कुल 6027 छात्र-छात्रएं ऐसे हैं, जिनका परीक्षा परिणाम 0 से 10
प्रतिशत के बीच रह गया। इनमें लड़कों की संख्या 4281 व लड़कियों
की संख्या 1746 है। जाहिर है कि हजारों छात्रों का परीक्षा
परिणाम इतना गिरना शिक्षा विभाग व शिक्षा जगत दोनों के
लिए चिंता का विषय है। शिक्षा का स्तर निजी स्कूलों की
बजाए सरकारी स्कूलों में ज्यादा गिर रहा है। इसको लेकर शिक्षा
विभाग व सरकार चिंतित है। दाखिलों के समय निजी स्कूलों में
जहां मारा-मारी रहती है, वहीं सरकारी स्कूलों में बच्चों को
खोजकर लाना पड़ता है। इन परिस्थितियों से जूझने के लिए प्रदेश
सरकार को नई योजना बनानी होगी।
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