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High Court : बर्थ सर्टिफिकेट के बिना स्कूलों में नहीं होगा दाखिला: हाईकोर्ट
चंडीगढ़। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व
चंडीगढ़ के सभी गवर्मेंट, पब्लिक और प्राइवेट स्कूलों को साफ निर्देश
दिए हैं कि बिना बर्थ सर्टिफिकेट के बच्चों को सकूलों में
दाखिला न दें। कोर्ट ने बकायदा रजिस्ट्रार बर्थस एंड डेथ्स से
जारी बर्थ सर्टिफिकेट पेश करने पर ही एडमिशन देने की बात कही
है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ ने फैसले में
कहा, तीन साल का समय पूरा होने के बाद डेट ऑफ बर्थ में करेक्शन
भी नहीं की जा सकेगी। खंडपीठ ने फैसले में कहा, सही डेट ऑफ बर्थ
का रिकाॅर्ड सही होना इसलिए भी जरूरी है कि 10वीं के डेट ऑफ
बर्थ के लिए इस्तेमाल होने वाले सर्टिफिकेट में सही ब्योरा हो।
फैसले में कहा गया कि रजिस्ट्रार से जारी सर्टिफिकेट को जन्म
की सही प्रमाण माना जाएगा।
लेकिन, अगर स्कूल में दाखिले के लिए दूसरा सर्टिफिकेट जारी कर
दिया जाता है तो यह माना जाएगा कि सुविधा के मुताबिक
पहली जानकारी दी गई थी। हाईकोर्ट का यह फैसला सीबीएसई
के खिलाफ दायर एक याचिका पर आया। इसमें याची अंबिका
कौल ने दावा किया कि रजिस्ट्रार डेथ एंड बर्थ द्वारा मेंटेन
रजिस्टर की इंट्री में करेक्शन कराई गई थी। कोर्ट ने सुनवाई के
दौरान पाया कि सीबीएसई द्वारा दसवीं कक्षा के जारी बर्थ
सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रार के रिकाॅर्ड में दी गई डेट ऑफ बर्थ में अंतर
है। सिंगल जज ने फैसले में कहा कि एक बार स्कूल रिकाॅर्ड में डेथ ऑफ
बर्थ दर्ज होने के बाद उसमें बदलाव नहीं किया जा सकता। फैसले के
खिलाफ डबल बेंच में अपील दायर की गई। डबल बेंच ने फैसले में कहा कि
रजिस्ट्रार के पास डेट ऑफ बर्थ को सही कराने के लिए तीन साल
तक का समय होता है। इसके बाद इसमें फेरबदल नहीं किया जा
सकता। और दसवीं कक्षा में दिए डेट ऑफ बर्थ को ही सही माना
जाता है।
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