नियम 134-ए की मुखालफत पर सरकार को झटका जज ने पूछा क्या सरकार गरीब बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं देना चाहती

नियम 134-ए की मुखालफत पर सरकार को झटका
जज ने पूछा क्या सरकार गरीब बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं देना चाहती
चंडीगढ़(ब्यूरो)। हरियाणा के निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत गरीब बच्चों को 10 फीसदी सीटों पर पहली से आठवीं कक्षा तक दाखिला मिलना लगभग तय हो गया है। दाखिले रोकने के उद्देश्य से नियम 134ए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई हरियाणा सरकार को जज की तीखी टिप्पणी केबाद अपनी याचिका वापस लेनी पड़ी और सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर दी।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से बीती एक मई को नियम 134ए के तहत प्रदेश सरकार को गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने का आदेश दिया गया था, लेकिन यह आदेश प्रदेश सरकार ने अमल में नहीं लाया तो दस जमा दो मुद्दे जनआंदोलन के प्रमुख सत्यवीर सिंह हुड्डा ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान ही हरियाणा सरकार ने नियम 134ए के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट में सरकार की याचिका पर 20 जुलाई को सुनवाई हुई। सरकार की पैरवी सॉलिसिटर जनरल आफ इंडिया ने की। जस्टिस एमवाई इकबाल और जस्टिस सी. नागाप्पन ने एसएलपी के कारण पर हैरानी जताई कि क्या सरकार गरीब बच्चों को स्कूल में दाखिला नहीं देना चाहती। उन्होंने इस एसएलपी को बेबुनियाद ठहराया तो हरियाणा सरकार ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर किए जाने की बात कहते हुए अपनी याचिका वापस ले ली। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को (डिममिस्ड ऐज विड्रान) खारिज कर दिया। अब राज्य सरकार पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में नियम 134ए केखिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी लेकिन दूसरी ओर, हाईकोर्ट में विचाराधीन अवमानना याचिका पर गत प्रदेश सरकार को आदेश दिया जा चुका है कि पहली से आठवीं तक गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में 10 फीसदी सीटों पर दाखिला दिलाया जाए। सत्यवीर सिंह हुड्डा का कहना है कि राज्य सरकार की बहानेबाजी अब और नहीं चल सकेगी। वह 70 हजार गरीब बच्चों केदाखिले को बहुत देर तक नहीं रोक सकेगी।
हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट में वापस लेनी पड़ी याचिका, हुई खारिज
दो जजों की खंडपीठ ने याचिका को माना बेबुनियाद
निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को दाखिला देने का मामला

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सीबीएसई ने प्राइवेट पब्लिसर्स पर कसा शिकंजा
अब स्कूलों में नहीं लगेंगी प्राइवेट पब्लिसर्स की किताबें
अमर उजाला ब्यूरो
भिवानी। कान्वेंट स्कूलों में अब किताबों की आड़ में कमीशनखोरी का खेल नहीं चलेगा। स्कूल बच्चों को प्राइवेट पब्लिसर्स की महंगी किताबें खरीदने को बाध्य नहीं कर सकेंगे। इस संबंध में सीबीएसई ने सभी स्कूलों को सर्कुलर जारी कर ′लर्निंग विदाउट बर्डेन‘ बनाने का निर्देश दिया है। हिदायत दी है कि सिलेबस में वही किताबें शामिल की जाएंगी, जो एनसीईआरटी से मान्य होंगी।
निजी कान्वेंट स्कूलों में अब तक किताबों के नाम पर बड़ी गड़बड़ी होती आ रही हैं। क्वालिटी बेस्ड एजुकेशन के नाम पर स्कूल हर वर्ष बच्चों को तमाम ऐसी किताबें खरीदने को विवश करते हैं, जिनका न तो बच्चों के सेलेेबस से कोई सरोकार होता है और न ही कोई अन्य लाभ मिलता है। प्राइवेट पब्लिसर्स की ओर से उपलब्ध कराई जाने वाली बेमतलब की यह किताबें बच्चों के लिए सिर्फ बोझ होती हैं। कई बार तो यह किताबें पूरे साल बस्ते से बाहर ही नहीं निकल पाती। इन किताबों की कीमत भी सेलेबस की किताबों की अपेक्षा कई गुनी होती है। इनकी खरीदी अनिवार्य होने से अभिभावकों की जेब पर अतिरिक्त बोझ तो पड़ता है। निजी स्कूलों में इस तरह की मनमानी की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद प्रो.यशपाल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए बच्चों पर किताबों का अतिरिक्त बोझ घटाने की सिफारिश की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही सीबीएसई ने अब ‘लर्निंग विदाउट बर्डेनÓ पर जोर दिया है। सीबीएसई के ज्वाइंट सेक्रेटरी डीटी सुधांशु राव के हवाले से 20 जुलाई को जारी पत्र क्रमांक एकेडमिक-41/2015 के अनुसार सभी संबद्ध स्कूलों को हिदायत दी गई है।
बच्चों-अभिभावकों के लिए हितकर
लर्निंग विदाउट बर्डेन होगा कान्वेंट स्कूलों का सिलेबस
सीबीएसई ने जारी किया सर्कुलर, एनसीईआरटी किताबें ही मान्य
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन ने सीबीएसई के इस फैसले को बच्चों-अभिभावकों के लिए हितकर बताया है। संगठन के प्रधान बृजपाल परमार के मुताबिक निजी स्कूल अपने निहित स्वार्थों के लिए बच्चों पर प्राइवेट पब्लिसर्स की महंगी किताबें थोपते रहें है। इससे न सिर्फ पढ़ाई महंगी हो जाती है, बल्कि बच्चे भी अतिरिक्त तनाव झेलते हैं। इस निर्देश के बाद पढ़ाई कुछ हद तक तनावमुक्त हो पाएगी।

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