2500 एक्सटेंशन लेक्चरर्स की छुट्टी
राज्य सरकार ने 5 साल से प्रदेश के सरकारी काॅलेजों में पढ़ा रहे करीब 2500 एक्सटेंशन लेक्चरर्स को नौकरी से निकाल दिया है। इनकी जगह रिटायर्ड प्रोफेसरों को नियुक्त करने का फरमान उच्चतर शिक्षा विभाग की ओर से जारी किया गया है। इस
फैसले के बाद पीएचडी व नैट पास ढाई हजार युवा बेरोजगार हो जाएंगे। इन लेक्चरर्स को 7 महीने के लिए एक्सटेंशन पर तैनाती दी जाती थी।
नयी पॉलिसी की पड़ी मार
सरकारी कॉलेजों में पिछले 5 वर्ष से पढ़ा रहे एक्सटेंशन लेक्चरर्स की सेवाएं उच्चतर शिक्षा विभाग ने नयी पॉलिसी बनाकर समाप्त की हैं। नयी पॉलिसी के तहत काॅलेजों में रिटायर्ड प्रिंसिपल, एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसरों को ही एक्सटेंशन लेक्चरर्स के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। विभाग के इस निर्णय से काॅलेजों में पढ़ा रहे हजारों पीएचडी व नैट पास युवाओं का रोजगार छिन गया है। बेरोजगार हुए एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने अब विभाग पर अदालत के फैसले के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए अवमानना का केस दर्ज कराने की बात कही है। विभिन्न छात्र यूनियनों ने भी सरकार के फैसले को युवा विरोधी करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
सरकारी कॉलेजों में पिछले 5 वर्ष से पढ़ा रहे एक्सटेंशन लेक्चरर्स की सेवाएं उच्चतर शिक्षा विभाग ने नयी पॉलिसी बनाकर समाप्त की हैं। नयी पॉलिसी के तहत काॅलेजों में रिटायर्ड प्रिंसिपल, एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसरों को ही एक्सटेंशन लेक्चरर्स के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। विभाग के इस निर्णय से काॅलेजों में पढ़ा रहे हजारों पीएचडी व नैट पास युवाओं का रोजगार छिन गया है। बेरोजगार हुए एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने अब विभाग पर अदालत के फैसले के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए अवमानना का केस दर्ज कराने की बात कही है। विभिन्न छात्र यूनियनों ने भी सरकार के फैसले को युवा विरोधी करार देते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है।
हुड्डा सरकार में हुई थी नियुक्ति
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व हुड्डा सरकार में वर्ष 2010 के बाद अतिथि अध्यापकों व प्राध्यापकों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाने के बाद उच्चतर शिक्षा विभाग ने काॅलेजों में खाली पदों को भरने के लिए प्रति वर्ष एक्सटेंशन लेक्चरर्स लगाने का निर्णय लिया था। इसके लिए नियुक्त लेक्चरर्स को प्रति पीरियड 250 रुपये रोजाना या अधिकतम 18000 रुपये प्रति माह के हिसाब से मानदेय दिया जाता था। कॉलेज प्रशासन को खाली पदों को भरने के लिए बाकायदा विज्ञापन जारी करना पड़ता था तथा मेरिट के आधार पर पीएचडी या नैट धारक को अनुबंध पर रखा जाता था। प्रति वर्ष अनुबंध के लिए इंटरव्यू लेकर मेरिट लिस्ट बनाई जाती थी।
नयी नियुक्ति के लिए घोषित हो चुकी थी इंटरव्यू की तारीख
शिक्षा सत्र 2015-16 के लिए सरकार काॅलेजों ने एक्सटेंशन लेक्चरर्स के लिए विज्ञापन जारी कर दिया था। इंटरव्यू के लिए तारीखों का ऐलान भी हो चुका था लेकिन 21 जुलाई को विभाग ने सभी काॅलेजों को पत्र जारी कर इंटरव्यू रद्द कर एक्सटेंशन की प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए। एक्सटेंशन की नयी पॉलिसी बनाते हुए उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी काॅलेज प्राचार्यों को पत्र जारी कर एक्सटेंशन की शर्तों में बदलाव कर दिया। नयी शर्तों के अनुसार अब केवल रिटायर्ड प्रिंसिपल, एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसर्स को ही एक्सटेंशन लेक्चरर्स के तौर पर नियुक्त किया जा सकेगा।
एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने कहा- अवमानना का केस करेंगे
एक्सटेंशन लेक्चरर्स एसोसिएशन की प्रदेश प्रधान संतोष मिगलानी ने कहा कि विभाग ने उनके साथ धोखा किया है। उन्होंने न्यायालय में केस दायर किया हुआ है तथा अदालत ने उनके मामले में स्टे दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि एक्सटेंशन पर लगे योग्य कर्मियों को हटाकर दोबारा एक्सटेंशन कर्मचारी नहीं लगाया जा सकता। हम सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला दायर करेंगे।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व हुड्डा सरकार में वर्ष 2010 के बाद अतिथि अध्यापकों व प्राध्यापकों की नियुक्ति पर प्रतिबंध लगाने के बाद उच्चतर शिक्षा विभाग ने काॅलेजों में खाली पदों को भरने के लिए प्रति वर्ष एक्सटेंशन लेक्चरर्स लगाने का निर्णय लिया था। इसके लिए नियुक्त लेक्चरर्स को प्रति पीरियड 250 रुपये रोजाना या अधिकतम 18000 रुपये प्रति माह के हिसाब से मानदेय दिया जाता था। कॉलेज प्रशासन को खाली पदों को भरने के लिए बाकायदा विज्ञापन जारी करना पड़ता था तथा मेरिट के आधार पर पीएचडी या नैट धारक को अनुबंध पर रखा जाता था। प्रति वर्ष अनुबंध के लिए इंटरव्यू लेकर मेरिट लिस्ट बनाई जाती थी।
नयी नियुक्ति के लिए घोषित हो चुकी थी इंटरव्यू की तारीख
शिक्षा सत्र 2015-16 के लिए सरकार काॅलेजों ने एक्सटेंशन लेक्चरर्स के लिए विज्ञापन जारी कर दिया था। इंटरव्यू के लिए तारीखों का ऐलान भी हो चुका था लेकिन 21 जुलाई को विभाग ने सभी काॅलेजों को पत्र जारी कर इंटरव्यू रद्द कर एक्सटेंशन की प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए। एक्सटेंशन की नयी पॉलिसी बनाते हुए उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी काॅलेज प्राचार्यों को पत्र जारी कर एक्सटेंशन की शर्तों में बदलाव कर दिया। नयी शर्तों के अनुसार अब केवल रिटायर्ड प्रिंसिपल, एसोसिएट या असिस्टेंट प्रोफेसर्स को ही एक्सटेंशन लेक्चरर्स के तौर पर नियुक्त किया जा सकेगा।
एक्सटेंशन लेक्चरर्स ने कहा- अवमानना का केस करेंगे
एक्सटेंशन लेक्चरर्स एसोसिएशन की प्रदेश प्रधान संतोष मिगलानी ने कहा कि विभाग ने उनके साथ धोखा किया है। उन्होंने न्यायालय में केस दायर किया हुआ है तथा अदालत ने उनके मामले में स्टे दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी उल्लंघन किया है, जिसमें कहा गया है कि एक्सटेंशन पर लगे योग्य कर्मियों को हटाकर दोबारा एक्सटेंशन कर्मचारी नहीं लगाया जा सकता। हम सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला दायर करेंगे।
इनसो ने बताया खिलवाड़ : छात्र संगठन इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने सरकार के इस फैसले की निंदा करते हुए कहा कि भाजपा सरकार युवाओं को सुनहरे सपने दिखा कर सत्ता में आई थी, लेकिन अब उनके हितों से खिलवाड़ कर रही है। सरकार ने एक तरफ तो रिटायरमेंट की उम्र सीमा 60 से घटाकर 58 कर दी है, दूसरी तरफ रिटायर्ड कर्मियों को बेरोजगार युवाओं की जगह नौकरी में तरजीह दी जा रही है।
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