5 साल में 5 लाख बच्चों ने छोड़ा स्कूल
रेवाड़ी|राइट-टू एजुकेशनएक्ट लागू होने के बाद सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था और उसके स्तर पर विमर्श में सामने आया कि पांच सालों में प्रदेश के साढ़े तेरह हजार सरकारी स्कूलों से 5 लाख के लगभग बच्चे कम हो गए। नई शिक्षा नीति को लेकर पंचकूला के शिक्षा सदन में 8 जुलाई को 10 जिलों के शिक्षा अधिकारी नामी शिक्षाविदों की हुई बैठक में सच सामने आने से हड़कंप मच गया है।
जब बच्चों के कम होने पर सवाल उठा तो किसी भी अधिकारी ने ना जवाब दिया और ना खंडन। लिहाजा शिक्षक संगठनों ने 10 जुलाई को गुड़गांव में 12 जिलों की होने वाली बैठक में अधिकारियों का घेरने का फैसला लिया है। अगर यहां भी तस्वीर साफ नहीं हुईं तो शिक्षक बैठक का बहिष्कार करेंगे। इसके बाद नई शिक्षा नीति के विरोध में मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जाएगा। नई शिक्षा नीति का एजेंडा एनसीईआरटी से आई टीम ने रखा। सभी को शिक्षा की नई नीति को लेकर एक प्रफोर्मा दिया गया, जिसमें दिए गए सवालों के जवाब दिए जाने थे। एससीईआरटी, गुड़गांव की निदेशक स्नेहलता ने कहा कि 10 जुलाई को सुबह 10 बजे गुड़गांव और रोहतक मंडल के 12 जिलों की होने वाली बैठक की तैयारी कर ली है। इसमें नई शिक्षा नीति को बेहतर बनाने के लिए शिक्षाविदों से सुझाव लिए जाएंगे।
आज गुड़गांव में जुटेंगे अधिकारी
10जुलाई को नई शिक्षा नीति को लेकर रोहतक-गुड़गांव मंडल के तहत आने वाले 12 जिलों के शिक्षा अधिकारियों की बैठक भी हंगामेदार हो सकती है। इन जिलों में गुड़गांव, रोहतक, महेंद्रगढ़, झज्जर, रेवाड़ी, मेवात, फरीदाबाद, पलवल, करनाल, पानीपत, सोनीपत शामिल है। यहां भी शिक्षक कम हुए 5 लाख बच्चों की वजहों को लेकर सवाल करेंगे। अगर जवाब नहीं मिला तो वे बैठक का बहिष्कार करेंगे।
पंचकूला की बैठक में हुआ सरकारी स्कूलों के हालातों का खुलासा
जब बच्चों के कम होने पर सवाल उठा तो किसी भी अधिकारी ने ना जवाब दिया और ना खंडन। लिहाजा शिक्षक संगठनों ने 10 जुलाई को गुड़गांव में 12 जिलों की होने वाली बैठक में अधिकारियों का घेरने का फैसला लिया है। अगर यहां भी तस्वीर साफ नहीं हुईं तो शिक्षक बैठक का बहिष्कार करेंगे। इसके बाद नई शिक्षा नीति के विरोध में मानसून सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया जाएगा। नई शिक्षा नीति का एजेंडा एनसीईआरटी से आई टीम ने रखा। सभी को शिक्षा की नई नीति को लेकर एक प्रफोर्मा दिया गया, जिसमें दिए गए सवालों के जवाब दिए जाने थे। एससीईआरटी, गुड़गांव की निदेशक स्नेहलता ने कहा कि 10 जुलाई को सुबह 10 बजे गुड़गांव और रोहतक मंडल के 12 जिलों की होने वाली बैठक की तैयारी कर ली है। इसमें नई शिक्षा नीति को बेहतर बनाने के लिए शिक्षाविदों से सुझाव लिए जाएंगे।
आज गुड़गांव में जुटेंगे अधिकारी
10जुलाई को नई शिक्षा नीति को लेकर रोहतक-गुड़गांव मंडल के तहत आने वाले 12 जिलों के शिक्षा अधिकारियों की बैठक भी हंगामेदार हो सकती है। इन जिलों में गुड़गांव, रोहतक, महेंद्रगढ़, झज्जर, रेवाड़ी, मेवात, फरीदाबाद, पलवल, करनाल, पानीपत, सोनीपत शामिल है। यहां भी शिक्षक कम हुए 5 लाख बच्चों की वजहों को लेकर सवाल करेंगे। अगर जवाब नहीं मिला तो वे बैठक का बहिष्कार करेंगे।
पंचकूला की बैठक में हुआ सरकारी स्कूलों के हालातों का खुलासा
कंप्यूटर शिक्षकों का अनुबंध बढ़ाने को राजी नहीं सरकार
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : हरियाणा सरकार हटाए जा चुके कंप्यूटर शिक्षकों का अनुबंध बढ़ाने को फिलहाल तैयार नहीं है। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कंप्यूटर शिक्षकों के साथ बृहस्पतिवार शाम लगभग डेढ़ घंटे तक चली वार्ता में यह साफ कर दिया है।1 शिक्षक पूर्व समझौते के अनुसार मार्च 2016 या नियमित भर्ती होने तक अनुबंध बढ़ाने को लेकर अड़े हुए हैं। पांच महीने से ज्यादा समय से पंचकूला में उनका आंदोलन चल रहा है। बीते दिनों उन्होंनेआमरण अनशन की चेतावनी दी थी। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव ने शिक्षा मंत्री के साथ वार्ता तय कराई। शिक्षा मंत्री के साथ वार्ता में शिक्षक सिर्फ अनुबंध बढ़ाने के अलावा किसी सूरत में धरना खत्म करने को तैयार नहीं हुए। इससे अंतत: वार्ता विफल हो गई। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि कंप्यूटर अध्यापकों का 28 करोड़ रुपये बकाया मानदेय अगले 10 दिन में जारी कर दिया जाएगा। अध्यापक अध्यापन के नेक कार्य में निष्ठापूर्वक ध्यान दें। बैठक में मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव, माध्यमिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक एम एल कौशिक के अलावा कंप्यूटर शिक्षक वेलफेयर संघ की ओर से निर्मल, संदीप ढोचक व राजीव सैनी उपस्थित रहे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि नए अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। कंप्यूटर अध्यापकों को भी उनके अनुभव के आधार पर लाभ दिया जाएगा। प्राइवेट स्कूल संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी मुलाकात हुई है। 1206 स्कूलों को एक वर्ष अर्थात 31 मार्च 2016 तक मान्यता प्रदान की गई है। 955 प्राइवेट स्कूलों के दस्तावेजों की समीक्षा की जा रही है।
प्रदेश सरकार का हनीमून खत्म, अब रिजल्ट का इंतजार
अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़1मनोहर सरकार को सत्ता संभालने के करीब आठ माह बाद हरियाणा की पिच अपने अनुकूल लगने लगी है। पिछली हुड्डा सरकार इस पिच पर दस साल जमी रही, जिस कारण मनोहर सरकार पिच का मिजाज भांपने में चूक कर गई। आठ माह तक कई बदलाव करते हुए पिच अपने अनुकूल होने के भरोसे के साथ मनोहर सरकार नए सिरे से बैटिंग छोर पर है। सरकार की नई रणनीति को चुनौती देते हुए सधी गेंदबाजी और मजबूत फील्डिंग के साथ विपक्ष भी मैदान में डट गया है। मनोहर सरकार पिछले आठ माह में हुड्डा कार्यकाल से जुड़े तीन दर्जन मामलों में जांच के आदेश दे चुकी है। 1 कई हजार भर्तियां रद करने के साथ ही नई भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो गई। मुख्यमंत्री विधानसभावार जनसभाएं कर रहे हैं। बावजूद इसके भाजपा कार्यकर्ताओं में असंतोष बना हुआ है। पार्टी विधायकों तक ने मंत्रियों द्वारा उनके काम नहीं करने के आरोप जड़कर सरकार की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा को चंडीगढ़ में दफ्तर तक खोलना पड़ गया। रही-सही कसर बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैन और मंत्री नहीं बन पाने से नाराज विधायकों ने अपनी सरकार के विरुद्ध माहौल बनाने में पूरी कर दी है। मुख्यमंत्री ने अपनों और परायों की इस व्यूह रचना को भांपते हुए नए सिरे से रणनीति तैयार की है। अभी तक वे पिछली सरकार द्वारा खोदे गए गड्ढे भरने की बात कह रहे थे, मगर अब व्यवस्था पटरी पर आने का दावा कर रहे हैं।1 उन्हें लग रहा कि पिछली सरकार के कामकाज पर अंगुली उठाने का फामरूला ज्यादा दिन चलने वाला नहीं है। लिहाजा अंगुली सख्त के साथ टेढ़ी भी करनी पड़ेगी। मुख्यमंत्री ने अपने आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट पर साफ कर दिया कि अब तक व्यवस्था की दिशा बदलने पर काम हो रहा था। अब व्यवस्था पटरी पर है तो विकास को भी दिशा मिलनी शुरू हो गई है। यानि मुख्यमंत्री मान चुके कि सब कुछ पटरी पर आ चुका है। मुख्यमंत्री ने यह ट्वीट ठीक उस समय किया है, जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को दिल्ली में हरियाणा सरकार के कामकाज का हिसाब लेने वाले हैं। ट्वीट के जरिए सरकार अब खुलकर बैटिंग करने का संदेश देना चाह रही है। शाह की बैठक का एजेंडा भले ही महासंपर्क अभियान से जुड़ा है, लेकिन मुख्य चर्चा सरकार के कामकाज पर ही की जानी है।
कंप्यूटर टीचर्स को भी अनुभव का लाभ मिलेगा
शिक्षा मंत्री बोले, बकाया मानदेय भी दस दिन में जारी होगाअमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। हरियाणा के शिक्षा मंत्री प्रो. राम बिलास शर्मा ने कहा है कि कंप्यूटर अध्यापकों का 28 करोड़ रुपये का बकाया मानदेय अगले 10 दिनों में जारी कर दिया जाएगा। शिक्षा मंत्री ने यह आश्वासन वीरवार शाम अपने कार्यालय में कम्प्यूटर अध्यापक संघ के एक शिष्टमंडल के साथ हुई बैठक में दिया।
बैठक में मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव, माध्यमिक शिक्षा विभाग के महानिदेशक एमएल कौशिक के अलावा संघ की ओर से निर्मल, संदीप ढोचक व राजीव सैनी उपस्थित थे। पत्रकारों से बातचीत में शिक्षा मंत्री ने कहा कि नए अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं। कंप्यूटर अध्यापकों को भी उनके अनुभव के आधार पर लाभ दिया जाएगा।
एक प्रश्न के उत्तर में शर्मा ने कहा कि प्राइवेट स्कूल संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी मुलाकात हुई थी और 1206 स्कूलों को एक वर्ष के लिए यानी 31 मार्च 2016 तक मान्यता प्रदान की गई है, जबकि 955 प्राइवेट स्कूलों के दस्तावेजों की समीक्षा की जा रही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जेबीटी अध्यापकों के अंतर जिला स्थानांतरण के लिए ड्राफ्ट नीति तैयार की गई है, जिसे विभाग की वेबसाइट पर डाल दिया गया है। अध्यापक संघों के प्रतिनिधिमंडल, शिक्षाविदों से 20 दिनों के अंदर सुझाव मांगे गए हैं, जिन पर विचार-विमर्श करने के बाद अच्छे सुझावों को नीति में शामिल किया जाएगा।
कंप्यूटर टीचर बोले- वार्ता विफल, जारी रहेगा धरना
चंडीगढ़। कंप्यूटर टीचरों ने वीरवार को शिक्षामंत्री के साथ हुई वार्ता को विफल बताया है। शिक्षकों ने कहा कि लगभग दो घंटे चली बैठक में सरकार कंप्यूटर शिक्षकों को मनाने में सफल नहीं हो सकी। सरकार की तरफ से शिक्षकों को सिर्फ बकाया वेतन देकर आंदोलन को समाप्त करवाने का प्रयास किया जा रहा है जबकि शिक्षक अपनी नौकरी बहाली की मांग कर रहे हैं। कंप्यूटर शिक्षक संघ के प्रधान बलराम धीमान ने कहा कि अब 16 जुलाई से आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।
साथ ही खाप पंचायतों और अन्य कर्मचारी संघों को साथ लेकर इस आंदोलन को जनांदोलन में बदला जाएगा।
कंप्यूटर शिक्षक संघ के प्रेस प्रवक्ता सुरेश नैन का कहना है कि जब तक सरकार कंप्यूटर शिक्षकों की नियमित भर्ती नहीं करती तब तक कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर पहले से काम कर रहे शिक्षकों को रखना चाहिए। अगर फिर भी सरकार नहीं मानती तो निश्चित रूप से भर्ती कानूनी पचड़े में पड़ लंबे समय तक लटक सकती है।
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