जाट आरक्षण : सरकार एनसीबीसी से फिर से अध्ययन कराएगी
नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट की ओर से जाट आरक्षण निरस्त किए जाने के बाद नरेंद्र मोदी सरकार सियासी नुकसान की भरपाई के प्रयास में जुट गई है। इस क्रम में सरकार कमेटी गठित कर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) से जाट समुदाय की सामाजिक व आर्थिक स्थिति का फिर से अध्ययन कराने की तैयारी में है। सरकार इस दिशा में आगे बढ़ने के साथ ही आरक्षण रद्द होने का
ठीकरा पूर्ववर्ती यूपीए सरकार और कांग्रेस पर फोड़ने की तैयारी भी कर रही है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के जाट आरक्षण को निरस्त करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, पार्टी के जाट नेताओं और सरकार के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ दो दौर की बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत में कानून बना कर जाटों को आरक्षण देने के विकल्प पर बातचीत नहीं हुई है। हालांकि माना जा रहा है कि एनसीबीसी से अध्ययन के आग्रह के बाद पूरी प्रक्रिया पूरी होने में लंबा वक्त लगेगा। क्योंकि अगर एनसीबीसी ने अध्ययन का आग्रह स्वीकार भी कर लिया तो उसे नौ राज्यों में जाटों की स्थिति का अध्ययन करना होगा। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च अदालत से आरक्षण रद्द होने के बाद जाट समुदाय आंदोलनरत हैं। सरकार को आशंका है कि जाट समुदाय की नाराजगी के कारण उसे सियासी मोर्चे पर नुकसान उठाना पड़ सकता है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान ने अमर उजाला से बातचीत में बताया कि पार्टी और सरकार केंद्रीय स्तर पर जाटों को आरक्षण को प्रतिबद्ध है। फैसला हुआ है कि इस दिशा में पहल करने के लिए जरूरी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए। इस ही एनसीबीसी की अनदेखी नहीं करेगी, बल्कि एनसीबीसी से ही नए सिरे से जाटों की आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति जानने के लिए अध्ययन का आग्रह करेगी। आरक्षण निरस्त होने के कारण सियासी नुकसान की भरपाई में जुटी सरकार ।
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